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चौबटिया-नागपानी-दिहोली सड़क मार्ग बनने पर विवाद जारी, सेना की फायरिंग रेंज है पास

चौबटिया-नागपानी-दिहोली सड़क मार्ग को लेकर स्थानीय नागरिकों तथा सैन्य प्रशासन के बीच गतिरोध समाप्त नहीं हो रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि पूर्व में सेना द्वारा एनओसी देने के बाद कार्य रोका जा रहा है.

विवाद जारी,
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Published : Jan 7, 2020, 1:48 PM IST

Updated : Jan 7, 2020, 2:01 PM IST

रानीखेतः चौबटिया-नागपानी-दिहोली सड़क मार्ग पर जा रही जेसीबी मशीन को सैन्य चेक पोस्ट पर रोके जाने का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. तीनों गांवों के ग्रामीणों ने झूला देवी सैन्य बैरियर के पास धरना दिया और चार घंटे तक चक्का जाम कर दिया.

इस दौरान सेना के साथ ही आम लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. संयुक्त मजिस्ट्रेट के आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने जाम खोला. धरने पर बैठे सिवाली, कालनू और दिहोली के ग्रामीणों का कहना है कि सिवाली गांव शहीद मेजर महेश सती का गांव है जो आज भी सड़क से वंचित है. पूर्व में सड़क निर्माण को लेकर सेना ने एनओसी दी थी, लेकिन अब काम रोका जा रहा है. उनका कहना है कि 200 मीटर की सैन्य भूमि सड़क निर्माण में बाधा बन रही है, वहां से सड़क नहीं बननी है. गांव से उन्हें सड़क पर आने के लिए 8-9 किमी पैदल चलना पड़ता है. इस सड़क के लिए काफी लंबे समय से ग्रामीम प्रयास कर रहे थे, लेकिन जब सड़क का निर्माण शुरू होने वाला है तो सेना द्वारा काम रोका जा रहा है.

यह भी पढ़ेंः पिथौरागढ़: जाख-रामेश्वर वैकल्पिक मार्ग की कवायद तेज, 3 महीने बंद रहेगा एनएच 9

ग्रामीणों के प्रदर्शन के बाद प्रशासन ने 10 जनवरी को सैन्य अधिकारियों के साथ वार्ता का आश्वासन दिया है. बता दें कि जिस सड़क का निर्माण किया जाना है, वो सेना की फायरिंग रेंज के पास है, जिसमें सैन्य प्रशिक्षण होते रहते हैं. सुरक्षा की दृष्टि से भी यह संवेदनशील क्षेत्र है. इसका विकल्प खोजने की कोशिश की जा रही है.

रानीखेतः चौबटिया-नागपानी-दिहोली सड़क मार्ग पर जा रही जेसीबी मशीन को सैन्य चेक पोस्ट पर रोके जाने का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. तीनों गांवों के ग्रामीणों ने झूला देवी सैन्य बैरियर के पास धरना दिया और चार घंटे तक चक्का जाम कर दिया.

इस दौरान सेना के साथ ही आम लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. संयुक्त मजिस्ट्रेट के आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने जाम खोला. धरने पर बैठे सिवाली, कालनू और दिहोली के ग्रामीणों का कहना है कि सिवाली गांव शहीद मेजर महेश सती का गांव है जो आज भी सड़क से वंचित है. पूर्व में सड़क निर्माण को लेकर सेना ने एनओसी दी थी, लेकिन अब काम रोका जा रहा है. उनका कहना है कि 200 मीटर की सैन्य भूमि सड़क निर्माण में बाधा बन रही है, वहां से सड़क नहीं बननी है. गांव से उन्हें सड़क पर आने के लिए 8-9 किमी पैदल चलना पड़ता है. इस सड़क के लिए काफी लंबे समय से ग्रामीम प्रयास कर रहे थे, लेकिन जब सड़क का निर्माण शुरू होने वाला है तो सेना द्वारा काम रोका जा रहा है.

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ग्रामीणों के प्रदर्शन के बाद प्रशासन ने 10 जनवरी को सैन्य अधिकारियों के साथ वार्ता का आश्वासन दिया है. बता दें कि जिस सड़क का निर्माण किया जाना है, वो सेना की फायरिंग रेंज के पास है, जिसमें सैन्य प्रशिक्षण होते रहते हैं. सुरक्षा की दृष्टि से भी यह संवेदनशील क्षेत्र है. इसका विकल्प खोजने की कोशिश की जा रही है.

Intro:

चैबटिया -नागपानी - दिहोली सड़क निर्माण को लेकर ग्रामीणों ने किया चक्का जाम
जाम से सेना तथा आम लोगों को करना पड़ा दिक्कतों का सामना
रानीखेत। चैबटिया-नागपानी - दिहोली सड़क मार्ग को जा रही जेसीबी मशीन को सैन्य चैक पोस्ट पर रोके जाने का मामला थमने का नाम नही ले रहा है। सोमवार तीनों गांवों के ग्रामीणों ने झूला देवी सैन्य बैरियर के पास सड़क पर धरना दिया तथा चार घंटे तक चक्का जाम कर दिया। इस दौरान सेना तथा आम लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। संयुक्त मजिस्ट्रेट के आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने जाम खोला। धरने पर बैठे सिवाली ,कालनू तथा दिहोली के ग्रामीणों ने कहा कि पूर्व में सेना द्वारा एनओसी दी गई थी लेकिन अब अडंगा लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 200 मीटर की सैन्य भूमि जो सड़क निर्माण में बाधा बन रही है वहां से सड़क नहीं बननी है। ग्रामीणों ने कहा कि सिवाली गांव शहीद मेजर महेश सती का गांव है जो आज भी सड़क से वंचित है। ग्रामीणों का कहना है कि गांव से उन्हे सड़क पर आने के लिए आठ नौ किमी पैदल चलना पड़ता है जिससे दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि इस सड़क के लिए काफी लंबे समय से प्रयासरत थे लेकिन जब सड़क का निर्माण शुरू होने वाला है तो सेना द्वारा अडंगा लगाया जा रहा है। धरने में महिलाएं भी मौजूद रही। 10 जनवरी को प्रशासन ने सैन्य अधिकारियों के साथ ग्रामीणों को वार्ता का आश्वासन दिया। बता दें कि जिस सड़क का निर्माण किया जाना है सेना की फायरिंग रेंज भी उसके पास है। जिसमें सैन्य प्रशिक्षण होते रहते हैं।
Body: जिस कारण सुरक्षा की दृष्टि से यह संवेदनशील क्षेत्र है। इसका विकल्प खोजने की कोशिश की जा रही है।
नोट- फोटो व्हाटसप ग्रुप में है। कृपया उठा लीजिएगा। Conclusion:
Last Updated : Jan 7, 2020, 2:01 PM IST
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