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सर्दी में खाने में शामिल करें देवभूमि की 'भट्ट की दाल,' बीमारियों को कहें बाय-बाय

देवभूमि उत्तराखंड अतीत की परंपरा के साथ ही लजीज खान-पान के लिए भी प्रसिद्ध है. सर्दियों के मौसम में भट्ट की दाल हर घर में बनाई जाती है. जो पौष्टिकता के साथ ही सेहत के लिए लाभदायक मानी जाती है.

Uttarakhand Dishes Bhatt Recipe
सर्दियों में लीजिए 'भट्ट की दाल' का जायका.
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Published : Dec 16, 2019, 6:35 PM IST

Updated : Jan 8, 2020, 7:20 AM IST

अल्मोड़ा: देवभूमि उत्तराखंड अतीत की परंपरा के साथ ही लजीज खान-पान के लिए भी प्रसिद्ध है. यहां का स्वाद एक बार जुबां में चढ़ जाए तो उतरना मुश्किल होता है. पहाड़ी भोजन पौष्टिकता के साथ ही सेहत के लिए लाभदायक भी होता है. पर्वतीय क्षेत्रों में पैदा किया जाने वाला ऐसा ही एक व्यंजन है भट्ट की दाल, जो शरद ऋतु में विशेषकर हर घर में बनाई जाती है. प्रवासी इस दाल को भोजन में शामिल करने के लिए लालायित रहते हैं. अकसर कोई घर जाता है तो उससे ये दाल मंगवाना नहीं भूलते.

सर्दियों में लीजिए 'भट्ट की दाल' का जायका.

सर्दियों के मौसम में भट्ट की दाल से भट्वाणी (चुड़कानी), डुबका, भटुला, जौला व्यंजन बनाए जाते हैं, जिनका स्वाद लाजवाब होता है. जिसमें औषधि गुण भी पाए जाते हैं. भट्ट की दाल को पीलिया के रामबाण औषधि माना जाता है. कुमाऊं हो या गढ़वाल दोनों मंडलों में इस दाल को खासा पसंद किया जाता है. पर्वतीय क्षेत्रों में इस दाल को प्रमुख तौर से खाने में शामिल किया जाता है. जो अपने लजीज स्वाद के लिए जाना जाता है.

पढ़ें-उत्तराखंडः लगातार बारिश और बर्फबारी से लुढ़का पारा, सच साबित हुई मौसम विभाग की भविष्यवाणी

भट्ट की दाल की रेसिपी

भट्ट का डुबका बनाने के लिए दाल को चक्की में पीसा जाता है. विशेषकर इस व्यंजन को लोहे की कढ़ाई में बनाया जाता है, जिसमें भट्ट के आटा को घी में भूना जाता है फिर स्वादानुसार नमक मिर्च, धनिया और जीरा मिलाया जाता है फिर पानी मिलाया जाता है. बनने के बाद इसका जायका लाजवाब होता है.

भट्वाणी बनाने की विधि

अब बात करते हैं भट्वाणी जिसे चुड़कानी भी कहा जाता है. इसकी रेसिपी काफी आसान होती है. सबसे पहले भट्ट की दाल को या तेल में लोहे की कढ़ाई में भूना जाता है. जिसके बाद प्याज और टमाटर का भूनने के बाद मसाला डाला जाता है. मसाला तैयार हो जाने पर भुने भट्टों को डाल दिया जाता है, फिर अपने हिसाब से आप पानी डाल सकते हैं. अमूमन भट्वाणी को कुमाऊं और गढ़वाल में हर सीजन में परोसा जाता है. जो अपने बहतरीन स्वाद के लिए जाना जाता है.

डुबका बनाने की विधि

अब बात करते हैं डुबका की, जिसको बनाने का तरीका इस प्रकार है. डुबका बनाने के लिए भट्ट की दाल को रात को भिगोना आवश्यक होता है. जिससे बाद दूसरे दिन बनाने वक्त सिल-बट्टे और मिक्सी में मोटा-मोटा पीसा जाता है. जिसके बाद कढ़ाई में तेल या घी के डालकर लहसुन, प्याज, जख्या, कढ़ी पत्ता, जम्बू का तड़का बनाकर पीसे हुई दाल को उसमें डाल दिया जाता है. मसाला स्वादानुसार डाला जाता है, फिर पानी डालकर पकाया जाता है. जिसे चावल के साथ परोसा जाता है. जिसका स्वाद अपने आपमें बेहतरीन होता है.

अल्मोड़ा: देवभूमि उत्तराखंड अतीत की परंपरा के साथ ही लजीज खान-पान के लिए भी प्रसिद्ध है. यहां का स्वाद एक बार जुबां में चढ़ जाए तो उतरना मुश्किल होता है. पहाड़ी भोजन पौष्टिकता के साथ ही सेहत के लिए लाभदायक भी होता है. पर्वतीय क्षेत्रों में पैदा किया जाने वाला ऐसा ही एक व्यंजन है भट्ट की दाल, जो शरद ऋतु में विशेषकर हर घर में बनाई जाती है. प्रवासी इस दाल को भोजन में शामिल करने के लिए लालायित रहते हैं. अकसर कोई घर जाता है तो उससे ये दाल मंगवाना नहीं भूलते.

सर्दियों में लीजिए 'भट्ट की दाल' का जायका.

सर्दियों के मौसम में भट्ट की दाल से भट्वाणी (चुड़कानी), डुबका, भटुला, जौला व्यंजन बनाए जाते हैं, जिनका स्वाद लाजवाब होता है. जिसमें औषधि गुण भी पाए जाते हैं. भट्ट की दाल को पीलिया के रामबाण औषधि माना जाता है. कुमाऊं हो या गढ़वाल दोनों मंडलों में इस दाल को खासा पसंद किया जाता है. पर्वतीय क्षेत्रों में इस दाल को प्रमुख तौर से खाने में शामिल किया जाता है. जो अपने लजीज स्वाद के लिए जाना जाता है.

पढ़ें-उत्तराखंडः लगातार बारिश और बर्फबारी से लुढ़का पारा, सच साबित हुई मौसम विभाग की भविष्यवाणी

भट्ट की दाल की रेसिपी

भट्ट का डुबका बनाने के लिए दाल को चक्की में पीसा जाता है. विशेषकर इस व्यंजन को लोहे की कढ़ाई में बनाया जाता है, जिसमें भट्ट के आटा को घी में भूना जाता है फिर स्वादानुसार नमक मिर्च, धनिया और जीरा मिलाया जाता है फिर पानी मिलाया जाता है. बनने के बाद इसका जायका लाजवाब होता है.

भट्वाणी बनाने की विधि

अब बात करते हैं भट्वाणी जिसे चुड़कानी भी कहा जाता है. इसकी रेसिपी काफी आसान होती है. सबसे पहले भट्ट की दाल को या तेल में लोहे की कढ़ाई में भूना जाता है. जिसके बाद प्याज और टमाटर का भूनने के बाद मसाला डाला जाता है. मसाला तैयार हो जाने पर भुने भट्टों को डाल दिया जाता है, फिर अपने हिसाब से आप पानी डाल सकते हैं. अमूमन भट्वाणी को कुमाऊं और गढ़वाल में हर सीजन में परोसा जाता है. जो अपने बहतरीन स्वाद के लिए जाना जाता है.

डुबका बनाने की विधि

अब बात करते हैं डुबका की, जिसको बनाने का तरीका इस प्रकार है. डुबका बनाने के लिए भट्ट की दाल को रात को भिगोना आवश्यक होता है. जिससे बाद दूसरे दिन बनाने वक्त सिल-बट्टे और मिक्सी में मोटा-मोटा पीसा जाता है. जिसके बाद कढ़ाई में तेल या घी के डालकर लहसुन, प्याज, जख्या, कढ़ी पत्ता, जम्बू का तड़का बनाकर पीसे हुई दाल को उसमें डाल दिया जाता है. मसाला स्वादानुसार डाला जाता है, फिर पानी डालकर पकाया जाता है. जिसे चावल के साथ परोसा जाता है. जिसका स्वाद अपने आपमें बेहतरीन होता है.

Intro:उयतराखंड के पारंपरिक व्यंजन अपने लजीज स्वाद के लिए पूरे देश दुनिया मे प्रसिद्ध है। इन्ही में से एक उत्तराखंडी व्यंजन भट्ट की चुनकानी और भट्ट का डुबका है। यह व्यजन न केवल अपने स्वाद के लिए प्रसिद्ध है बल्कि यह पौष्टिक होने के साथ ही कई रोगों के दवा के रूप में प्रयोग में लाये जाते हैं।
सर्दियों के मौसम में ऐसा भोजन मिल जाए, जो तन में गर्माहट लाने के साथ मन में संतुष्टि का भाव जगा दे तो कहने ही क्या। भट्ट की दाल से बनने वाले चुड़कानी और भट्ट का डुबका जिसे जौला नाम से भी जानते हैं। ये स्वाद में जितने लाजवाब हैं, उतने ही पौष्टिक भी। भट्ट का डुबका तो पीलिया की भी रामबाण औषधि है। इन्हीं तमाम गुणों के कारण शहरों में रहने वाले प्रवासी उत्तराखंडी भी सर्दियों में पहाड़ से भट्ट की दाल मंगाना नहीं भूलते। आइये! आपको भी भट्ट के जायके से परिचित कराते हैं।
Body:भट्वाणी या चुड़कानी कुमाऊं गढ़वाल में शीतकाल के दौरान सर्वाधिक पसंद किया जाने वाला व्यंजन है। इसके लिए सबसे पहले भट्ट की दाल को बिना तेल या घी के कढ़ाई या तवे में हल्की राख डालकर भून लें। इससे भट्ट बर्तन में चिपकते नहीं और अच्छी तरह चटकते व फूल जाते हैं। अब लोहे की कढ़ाई में घी-तेल डालकर प्याज, लहसुन, जख्या व जम्बू का तड़का दें। साथ ही दो-चार छोटे चेरी टमाटर डालकर जरूरत के हिसाब से नमक, मिर्च व अन्य मसाले मिला लें। ग्रेवी तैयार होने पर इसमें भुने भट्ट डालकर खूब अल्टा-पल्टी करते रहें। फिर ढक्कन रखकर थोड़ी देर तक पकाएं। लगभग आधे घंटे में ही भट्ट की चुड़कानी पककर तैयार हो जाएगा। इसे आप भात (चावल)-झंगोरा के साथ गर्मागर्म परोस सकते हैं। वैसे चुड़कानी हर सीजन में खाया जा सकता है।

वही भट्ट की दाल का डुबका या जौला भी बनाया जाता है। इसकी एक मजेदार रेसेपी है, जिसे साग या दाल के रूप में नहीं, बल्कि संपूर्ण भोजन के रूप में खाया जाता है। जो भट्ट की दाल व चावल के मिश्रण से बनता है। इसके लिए रात को भट्ट की दाल भिगोकर रख दें। सुबह इसे छिलका अलग कर या छिलके सहित ही सिल-बट्टे या अन्य तरीके से पीसकर मसीटा तैयार कर लें। लोहे की कढ़ाई में इस मसीटे को बिना छौंके पकाएं। साथ में जरूरत के हिसाब से चावल भी डाल दें। देर तक पकाते रहें। जब यह पककर बिल्कुल लसपसा हो जाए तो इसके साथ लहसुन वाला हरा नमक मिलाकर खाएं। यह पीलिया की रामबाण औषधि है। पीलिया के रोगी चावल की जगह डूबके को बिना नमक के ही खा सकते हैं।
बाइट हर्ष कनवाल स्थानीय
बाइट प्रीति बिष्ट स्थानीय
बाइट मनोज पवार स्थानीय
Conclusion:
Last Updated : Jan 8, 2020, 7:20 AM IST
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