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किसान आंदोलन के नाम पर विपक्ष अपनी राजनीतिक रोटियां सेक रहा- बीजेपी - बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रकाश रावत ने प्रेस वार्ता की

दिल्ली-पंजाब में कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को 18 दिन पूरे हो चुके हैं. इस मुद्दे पर किसानों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है. लेकिन, अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है. इसी को लेकर अब राज्य सरकार की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस का दौर चलाया जा रहा है.

Uttarakhand BJP news
बीजेपी की प्रेस वार्ता
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Published : Dec 14, 2020, 4:09 PM IST

अल्मोड़ा: कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले 18 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. सोमवार को किसानों ने भूख हड़ताल भी की है. किसानों आंदोलन सरकार के गले ही फांस बन गया है, जो न निगलते बन रहा है न उगलते. हालांकि, इससे पार पाने का भी बीजेपी ने रास्ता निकाला है. अब बीजेपी के बड़े नेता शहर-शहर जाकर किसानों को कृषि कानूनों के फायदे गिना रहे हैं. इसी के तहत सोमवार को अल्मोड़ा में बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रकाश रावत ने प्रेस वार्ता की.

इस दौरान बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रकाश रावत ने कहा कि विपक्षी दल किसान आंदोलन के नाम पर अपनी रोटियां सेकने का काम कर रहे हैं. हालांकि, अब किसान धीरे-धीरे इसे समझने लगा है. यह कानून किसानों की आय दोगुना करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

पढे़ं- कृषि कानूनों पर BJP करेगी प्रदेश भर में प्रेस कॉन्फ्रेंस, गिनाएगी लाभ

प्रकाश रावत ने कहा कि किसान देश की रीढ़ है. देश की अर्थव्यवस्था किसानों पर ही निर्भर है. एमएसपी पहले की तरह लागू रहेगा. करार सिर्फ फसल का होगा न कि भूमि का. किसान चाहे तो इसे लेकर न केवल एसडीएम कोर्ट बल्कि सिविल कोर्ट में भी वाद दायर कर सकेगा. कृषि कानून का विरोध सिर्फ विरोध करने के लिए किया जा रहा है. आंदोलन को देखकर साफ लगता है कि कुछ बाहरी ताकतें किसानों को गुमराह कर रही है.

उन्होंने कहा कि साल 2013-14 की तुलना में सरकार ने 2020-21 के बजट में 6 गुना वृद्वि की है. यह एक ऐतिहासिक कार्य है. कृषि बजट में 6 साल में 6 गुना वृद्वि हुई है. भारत सरकार ने 2020 में 1 लाख 34 हजार 399 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया है.

अल्मोड़ा: कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले 18 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. सोमवार को किसानों ने भूख हड़ताल भी की है. किसानों आंदोलन सरकार के गले ही फांस बन गया है, जो न निगलते बन रहा है न उगलते. हालांकि, इससे पार पाने का भी बीजेपी ने रास्ता निकाला है. अब बीजेपी के बड़े नेता शहर-शहर जाकर किसानों को कृषि कानूनों के फायदे गिना रहे हैं. इसी के तहत सोमवार को अल्मोड़ा में बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रकाश रावत ने प्रेस वार्ता की.

इस दौरान बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रकाश रावत ने कहा कि विपक्षी दल किसान आंदोलन के नाम पर अपनी रोटियां सेकने का काम कर रहे हैं. हालांकि, अब किसान धीरे-धीरे इसे समझने लगा है. यह कानून किसानों की आय दोगुना करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

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प्रकाश रावत ने कहा कि किसान देश की रीढ़ है. देश की अर्थव्यवस्था किसानों पर ही निर्भर है. एमएसपी पहले की तरह लागू रहेगा. करार सिर्फ फसल का होगा न कि भूमि का. किसान चाहे तो इसे लेकर न केवल एसडीएम कोर्ट बल्कि सिविल कोर्ट में भी वाद दायर कर सकेगा. कृषि कानून का विरोध सिर्फ विरोध करने के लिए किया जा रहा है. आंदोलन को देखकर साफ लगता है कि कुछ बाहरी ताकतें किसानों को गुमराह कर रही है.

उन्होंने कहा कि साल 2013-14 की तुलना में सरकार ने 2020-21 के बजट में 6 गुना वृद्वि की है. यह एक ऐतिहासिक कार्य है. कृषि बजट में 6 साल में 6 गुना वृद्वि हुई है. भारत सरकार ने 2020 में 1 लाख 34 हजार 399 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया है.

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