अल्मोड़ा: उत्तराखंड की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए जानी जाती है. यहां हर पर्व को उत्साह के साथ मनाया जाता है. इसी क्रम में शारदीय नवरात्रि में होने वाली कुमाऊंनी रामलीला की तैयारियां जोरों पर हैं. नगर के विभिन्न हिस्सों में रामलीला मंचन के लिए अलग-अलग स्थानों पर पात्रों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. पिछले तीन माह से पात्रों को दिया जा रहा प्रशिक्षण अपने अंतिम चरण में है.
बता दें कि अल्मोड़ा की रामलीला पूरे देश में प्रसिद्व है. इस रामलीला में पारसी थियेटर की झलक दिखाई देती है. इस रामलीला मंचन की खास बात ये है कि इसमें नाट्य के गायन शैली का समावेश होता है और शास्त्रीय रागों पर आधारित गीत गाए जाते हैं. जिनमें रामचरित्र मानस के दोहे और चौपाईयों का गायन किया जाता है. यह गायन मालकोष, खमाज, बिहाग, मांड, देश, जैजवंती आदि रागों पर होता है.
रामलीला में हारमोनियम के सुर और गायन शैली के अलावा पात्रों को तबले पर बजने वाली ताल की महत्ता को बताते हुए पारंगत किया जा रहा है. रामलीला मंचन के लिए चुने गए पात्र नारद मोह, सीता स्वयंवर, परशुराम लक्ष्मण संवाद, मंथरा कैकयी संवाद, दशरथ कैकयी संवाद, श्रीराम हनुमान संवाद, सूर्पणखा नासिका भेदन, खर दूषण वध, रावण मारीच संवाद, सीता हरण, लक्ष्मण शक्ति, मेघनाथ वध, रावण विभिषण संवाद आदि विभिन्न प्रसंगों के गीतों व उसके अभिनय का बच्चों और युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है.
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पहली नवरात्रि से होने वाली रामलीला मंचन के लिए मंच के पीछे कार्य करने वाले स्थानीय कलाकार अस्त्र शस्त्र निमार्ण में लगे हैं. वहीं रामलीला कमेटियां मंच निर्माण के लिए आवश्यक सामग्री जुटाने में व्यस्त हैं. नगर के नंदा देवी, धारा नौला, हुक्का क्लब, एनटीडी, कर्नाटक खोला, राजपुरा व खत्याड़ी में रामलीला के मंचन की तैयारियां जोरों पर हैं.
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