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नंदा महोत्सव का आगाज, शहर में निकली मां नंदा-सुनंदा की भव्य झांकी

अल्मोड़ा में प्रसिद्ध नंदा महोत्सव का आगाज हो गया है. नंदा देवी मेले में लोगों ने मां नंदा से आशीर्वाद लिया और परिवार के लिए सुख समृद्धि की कामना की. मां नंदा की प्रतिमा का स्वरूप उत्तराखंड की सबसे ऊंची चोटी नंदा देवी की तरह बनाया जाता है. इस मेले को 203 साल पूरे हो चुके हैं.

nanda devi
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Published : Sep 3, 2019, 6:13 PM IST

Updated : Sep 3, 2019, 7:40 PM IST

अल्मोड़ा/रानीखेत/चौखुटियाः सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में प्रसिद्ध नंदा महोत्सव का आगाज हो गया है. नंदा देवी मेले के पहले दिन स्कूली बच्चों, स्थानीय महिलाओं ने कुमाऊंनी परिधान में सजकर शहर में मां नंदा सुनंदा की भव्य झांकी निकाली. इस दौरान विभिन्न स्थानों पर लोगों ने मां नंदा से आशीर्वाद लिया और परिवार के लिए सुख समृद्धि की कामना की. इस मेले का शुभारंभ चंद वंशज के लोग गणेश पूजन और जागर के साथ करते हैं. साथ ही कदली वृक्ष (केले) का आमंत्रण भी किया जाता है. इस मेले को 203 साल पूरे हो चुके हैं.

नंदा देवी महोत्सव का हुआ आगाज.

अल्मोड़ाः मां नंदा देवी मेला आगामी 8 सितंबर तक चलेगा. अंतिम दिन मां नंदा सुनंदा भव्य शोभा यात्रा निकाली जाएगी और कैंट स्थित नौले पर देवी की मूर्ति को विसर्जित किया जाएगा. अल्मोड़ा शहर चंद राजाओं की राजधानी रही है. यह मेला चंद वंश की राज परंपराओं से संबंध रखता है.

पंचमी तिथि के शुरू होने पर देवी की दो भव्य प्रतिमाएं बनाईं जाती हैं. पंचमी की रात से ही जागर भी शुरू होती है. ये प्रतिमाएं कदली स्तंभ से बनाई जाती हैं. मां नंदा की प्रतिमा का स्वरूप उत्तराखंड की सबसे ऊंची चोटी नंदा देवी की तरह बनाया जाता है.

ये भी पढे़ंः राज्य सरकार की मंजूरी के बाद STPF के गठन की कवायद में जुटा कॉर्बेट प्रशासन

रानीखेतः नगर में मां नंदा देवी महोत्सव की शुरुआत हो गई है. मंगलवार को श्रद्धालु नगाड़ों और अन्य वाद्य यंत्रों के साथ रायस्टेट पहुंचे. जहां कदली वृक्ष की पूजा-अर्चना के बाद जरूरी बाजार, विजय चौक, रायस्टेट, सदर बाजार में शोभा यात्रा निकाली गई.

क्षेत्रीय विधायक करन माहरा, हेमंत मेहरा समेत श्रद्धालुओं ने केले की पूजा-अर्चना की. नंदा देवी महोत्सव समिति के अध्यक्ष हरीश लाल साह ने बताया कि पांच सितंबर से मूर्तियों का निर्माण किया जाएगा. आगामी 6 सितंबर की सुबह मां नंदा सुनंदा की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा होगी.

nanda
मां नंदा देवी.

बता दें कि, जरूरी बाजार स्थित नंदा देवी मंदिर में 1890 से पहले एक छोटा सा मंदिर था. 1994 में मंदिर कमेटी के सहयोग से मंदिर का जीर्णाद्धार किया गया. बताया जाता है कि पहले इस मंदिर में बलि दी जाती थी, लेकिन बीते कई सालों से यहां पर बलि प्रथा बंद है. श्रद्धालु अपनी मनौती पूरी होने पर मंदिर में नारियल चढ़ाते हैं.

महोत्सव में खेल प्रतियोगिताएं पेंटिग, ऐपण, और विभिन्न विद्यालयों के बीच सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाएगी. साथ ही मेहंदी, कुमाऊंनी भाषण, लोकनृत्य, कुर्सी दौड़, पासिंग बाल, जलेबी दौड़ फैंसी ड्रेस प्रतियोगिताएं भी होंगी.

ये भी पढे़ंः 30 साल में नहीं पूरी हुई ग्रामीणों के सड़क निर्माण की मांग, पंचायत चुनाव के बहिष्कार का एलान

चौखुटियाः जाबर में नंदा देवी मेले में आस्था का जनसैलाब उमड़ा. रविवार रात बगड़ी में हुई रात्रि जागरण के बाद श्रद्धालु सोमवार की सुबह नंदा देवी के प्रतीक कदली वृक्ष आमंत्रण के लिए नवाण पहुंचे. जहां से केला लेकर बगड़ी, टेड़ागांव होते हुए नंदा देवी मंदिर पहुंचे. इस दौरान मां नंदा देवी मंदिर में श्रद्धालु भक्ति भाव में डूबे नजर आए.

मार्मिक होता है नंदा देवी के विदाई का दृश्य
बगड़ी से नंदा देवी की विदाई का दृश्य काफी मार्मिक होता है. परंपरा के अनुसार बगड़ी से नंदा देवी की विदाई के साथ गांव की तमाम बेटियां नंदा के प्रतीक कदली वृक्ष पर चुनरी आदि चढ़ाकर आशीर्वाद लेती हैं. इस दौरान महिलाएं नंदा की विदाई गीत भी गाती हैं.

अल्मोड़ा/रानीखेत/चौखुटियाः सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में प्रसिद्ध नंदा महोत्सव का आगाज हो गया है. नंदा देवी मेले के पहले दिन स्कूली बच्चों, स्थानीय महिलाओं ने कुमाऊंनी परिधान में सजकर शहर में मां नंदा सुनंदा की भव्य झांकी निकाली. इस दौरान विभिन्न स्थानों पर लोगों ने मां नंदा से आशीर्वाद लिया और परिवार के लिए सुख समृद्धि की कामना की. इस मेले का शुभारंभ चंद वंशज के लोग गणेश पूजन और जागर के साथ करते हैं. साथ ही कदली वृक्ष (केले) का आमंत्रण भी किया जाता है. इस मेले को 203 साल पूरे हो चुके हैं.

नंदा देवी महोत्सव का हुआ आगाज.

अल्मोड़ाः मां नंदा देवी मेला आगामी 8 सितंबर तक चलेगा. अंतिम दिन मां नंदा सुनंदा भव्य शोभा यात्रा निकाली जाएगी और कैंट स्थित नौले पर देवी की मूर्ति को विसर्जित किया जाएगा. अल्मोड़ा शहर चंद राजाओं की राजधानी रही है. यह मेला चंद वंश की राज परंपराओं से संबंध रखता है.

पंचमी तिथि के शुरू होने पर देवी की दो भव्य प्रतिमाएं बनाईं जाती हैं. पंचमी की रात से ही जागर भी शुरू होती है. ये प्रतिमाएं कदली स्तंभ से बनाई जाती हैं. मां नंदा की प्रतिमा का स्वरूप उत्तराखंड की सबसे ऊंची चोटी नंदा देवी की तरह बनाया जाता है.

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रानीखेतः नगर में मां नंदा देवी महोत्सव की शुरुआत हो गई है. मंगलवार को श्रद्धालु नगाड़ों और अन्य वाद्य यंत्रों के साथ रायस्टेट पहुंचे. जहां कदली वृक्ष की पूजा-अर्चना के बाद जरूरी बाजार, विजय चौक, रायस्टेट, सदर बाजार में शोभा यात्रा निकाली गई.

क्षेत्रीय विधायक करन माहरा, हेमंत मेहरा समेत श्रद्धालुओं ने केले की पूजा-अर्चना की. नंदा देवी महोत्सव समिति के अध्यक्ष हरीश लाल साह ने बताया कि पांच सितंबर से मूर्तियों का निर्माण किया जाएगा. आगामी 6 सितंबर की सुबह मां नंदा सुनंदा की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा होगी.

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मां नंदा देवी.

बता दें कि, जरूरी बाजार स्थित नंदा देवी मंदिर में 1890 से पहले एक छोटा सा मंदिर था. 1994 में मंदिर कमेटी के सहयोग से मंदिर का जीर्णाद्धार किया गया. बताया जाता है कि पहले इस मंदिर में बलि दी जाती थी, लेकिन बीते कई सालों से यहां पर बलि प्रथा बंद है. श्रद्धालु अपनी मनौती पूरी होने पर मंदिर में नारियल चढ़ाते हैं.

महोत्सव में खेल प्रतियोगिताएं पेंटिग, ऐपण, और विभिन्न विद्यालयों के बीच सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाएगी. साथ ही मेहंदी, कुमाऊंनी भाषण, लोकनृत्य, कुर्सी दौड़, पासिंग बाल, जलेबी दौड़ फैंसी ड्रेस प्रतियोगिताएं भी होंगी.

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चौखुटियाः जाबर में नंदा देवी मेले में आस्था का जनसैलाब उमड़ा. रविवार रात बगड़ी में हुई रात्रि जागरण के बाद श्रद्धालु सोमवार की सुबह नंदा देवी के प्रतीक कदली वृक्ष आमंत्रण के लिए नवाण पहुंचे. जहां से केला लेकर बगड़ी, टेड़ागांव होते हुए नंदा देवी मंदिर पहुंचे. इस दौरान मां नंदा देवी मंदिर में श्रद्धालु भक्ति भाव में डूबे नजर आए.

मार्मिक होता है नंदा देवी के विदाई का दृश्य
बगड़ी से नंदा देवी की विदाई का दृश्य काफी मार्मिक होता है. परंपरा के अनुसार बगड़ी से नंदा देवी की विदाई के साथ गांव की तमाम बेटियां नंदा के प्रतीक कदली वृक्ष पर चुनरी आदि चढ़ाकर आशीर्वाद लेती हैं. इस दौरान महिलाएं नंदा की विदाई गीत भी गाती हैं.

Intro:
रानीखेत। नगर में मां नंदा देवी महोत्सव की शुरूआत हो गई है। मंगलवार श्रद्धालु नगाड़ों निशानों के साथ रायस्टेट पहुंचे जहां कदली वृक्ष को पूजा अर्चना के साथं जरूरी बाजार ,विजय चैक ,रायस्टेट,सदर बाजार में शोभा यात्रा निकालकर नंदा देवी मंदिर परिसर लाया गया। क्षेत्रीय विधायक करन माहरा ,हेमंत मेहरा सहित श्रद्धालुओं ने केले की पूजा अर्चना की। नंदा देवी महोत्सव समिति के अध्यक्ष हरीश लाल साह ने बताया कि पांच सितंबर से मूर्तियों का निर्माण किया जायेगा। 6 को सुबह मां नंदा सुनंदा की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा होगी। बता दे कि जरूरी बाजार स्थित नंदा देवी मंदिर में 1890 से पूर्व छोटा सा मंदिर था 1994 में मंदिर कमेटी के सहयोग से मंदिर का जीर्णाेद्धार किया गया। बताते है कि पहले इस मंदिर में बलि दी जाती थी लेकिन पिछले काफी वर्षो से यहां बलि प्रथा बंद है। मंदिर में मनौती पूरी होने पर नारियल चढ़ाया जाता है। कदली वृ़़क्ष लाने के दौरान बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। महोत्सव के दौरान बच्चों की खेल प्रतियोगिताएं पेंटिग, ,ऐपण, तथा विद्यालयों के बीच सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जायेगी। जूूनियर और सीनियर वर्ग की चित्रकला,बालिकाओं की ऐपण प्रतियोगिता,रात्रि साढ़े आठ बजे से सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रम शुरू किये जायेंगे। सीनियर वर्ग में बालिकाओं की मेहंदी प्रतियोगिता,कुमाऊंनी भाषण प्रतियोगिता,विभिन्न सांस्कृतिक दलों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। Body:जूनियर ,सीनियर वर्ग की अंतर विद्यालयी लोकनृत्य प्रतियोगिता की जायेगी। सात को कुर्सी दौड़,पासिंग बाल,जलेबी दौड़ फेंसी ड्रस प्रतियोगिता आयोजन किया जायेगा।
बाईट- करन माहरा विधायक Conclusion:
Last Updated : Sep 3, 2019, 7:40 PM IST
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