अल्मोड़ा: उत्तराखंड में कोरोना का कहर जारी है. कोरोना रोकथाम के लिए राज्य सरकार की ओर से कर्फ्यू लगाया गया है. कोरोना कर्फ्यू में जहां पुलिस प्रशासन मिशन हौसला के तहत जरूरतमंद व असहाय लोगों की मदद कर रहे है. वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं जो खुद निस्वार्थ भाव से गरीब जरूरतमंदों की मदद में जुटे हैं. अल्मोड़ा के सिकुड़ा गांव में एक बुजुर्ग को अपने ही परिवार ने ठुकरा दिया था. इस कोरोना काल में उनकी मदद के लिए ग्रामीण आगे आ रहे हैं.
बता दें कि, सिकुड़ा गांव में बुजुर्ग किशन सिंह (65) पंचायत घर में अपना जीवन काट रहे हैं. कमाई का कोई साधन नहीं है. उनकी परेशानी को देखते हुए स्थानीय मयंक जोशी ऐसे लोगों की मदद कर रहे हैं. बुजुर्ग किशन सिंह का कहना है कि 10 साल पहले उनके बेटे और बहू ने उनको घर से निकाल दिया. जिसके बाद वह गांव के पंचायत घर में रह रहे हैं. उनके साथ उनकी पत्नी भी रहती थी. लेकिन कुछ समय पहले पत्नी की मौत हो गई. अब वह पंचायत भवन में अकेले रहते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से उनको 12 सौ रुपए वृद्धावस्था पेंशन दी जाती है. इसके अलावा उनके पास कमाई का कोई साधन नहीं है. कोरोनाकाल में उनकी हालत खराब हो गई. पुलिस के मिशन हौसला से प्रेरित होकर युवा मयंक जोशी उनको राशन समेत अन्य जरूरी सामान पहुंचाकर उनकी मदद में जुटे हुए हैं.
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मयंक का कहना है कि वह दिल्ली में पढ़ाई करते हैं. कोरोना के चलते फिलहाल वह अल्मोड़ा में हैं. वह पुलिस की पहल मिशन हौसला से प्रेरित होकर असहाय व जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि बुजुर्ग किशन सिंह की तरह ही वह अन्य अकेले असहाय बुजुर्गों को जरूरी मदद पहुंचाकर उनकी सेवा में जुटे हैं.