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लॉकडाउन का असर: फायर सीजन में यहां वनाग्नि का नहीं आया एक भी केस

लॉकडाउन का सकारात्मक असर जंगलों पर भी पड़ा है. जंगलों में फायर सीजन का आधा वक्त बीत जाने के बाद भी अल्मोड़ा जिले में इस वर्ष एक भी आग की घटना सामने नहीं आई है.

almora
अल्मोड़ा
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Published : May 13, 2020, 5:16 PM IST

अल्मोड़ा: कोरोना लॉकडाउन के कारण जहां पूरे देश के लोग परेशान है, तो वहीं लॉकडाउन का सकारात्मक असर प्रकृति पर देखने को मिल रहा है. लॉकडाउन के कारण प्रदूषण कम हो गया है. साथ ही नदियों का पानी स्वच्छ हो गया है. लॉकडाउन का सकारात्मक असर जंगलों पर भी पड़ा है. फायर सीजन का आधा वक्त बीत जाने के बाद भी अल्मोड़ा जिले में इस वर्ष एक भी वनाग्नि की घटना सामने नहीं आई है. जबकि, हर साल इस समय तक हजारों हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आ जाते थे और करोड़ो की वन संपदा नष्ट हो जाती थी.

लॉकडाउन का सकारात्मक असर जंगलो पर.

अल्मोड़ा वन प्रभाग के डीएफओ खुशाल सिंह रावत ने बताया कि इस वर्ष फायर सीजन में अल्मोड़ा जिले में एक भी वनाग्नि की घटना सामने नहीं आई है. उनका कहना है कि इसके पीछे दो कारण है, जिसमें एक कारण लगातार हो रही बारिश है. वहीं दूसरा मुख्य कारण लॉकडाउन भी है. लॉकडाउन के कारण लोगों के बेवजह बाहर निकलने से रोक लगने के कारण जंगलो की ओर इंसानों का आवागमन कम रहा. इससे भी आग की घटनाएं नहीं हुई. जबकि, इससे पहले लोंगो का जंगलों की ओर आवागन काफी रहता था.

पढ़ें: दो दिन के भीतर 1,700 प्रवासियों को लेकर लालकुआं पहुंचेगी विशेष ट्रेन

डीएफओ खुशाल सिंह रावत ने बताया कि अल्मोड़ा जिले में 72 हजार हेक्टेयर आरक्षित वन है. जबकि, 79 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र है. जिसमे से 50 प्रतिशत वन क्षेत्र चीड़ का है. आग की सबसे ज्यादा घटनाएं चीड़ के जंगलों में ही सामने आती है.

अल्मोड़ा: कोरोना लॉकडाउन के कारण जहां पूरे देश के लोग परेशान है, तो वहीं लॉकडाउन का सकारात्मक असर प्रकृति पर देखने को मिल रहा है. लॉकडाउन के कारण प्रदूषण कम हो गया है. साथ ही नदियों का पानी स्वच्छ हो गया है. लॉकडाउन का सकारात्मक असर जंगलों पर भी पड़ा है. फायर सीजन का आधा वक्त बीत जाने के बाद भी अल्मोड़ा जिले में इस वर्ष एक भी वनाग्नि की घटना सामने नहीं आई है. जबकि, हर साल इस समय तक हजारों हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आ जाते थे और करोड़ो की वन संपदा नष्ट हो जाती थी.

लॉकडाउन का सकारात्मक असर जंगलो पर.

अल्मोड़ा वन प्रभाग के डीएफओ खुशाल सिंह रावत ने बताया कि इस वर्ष फायर सीजन में अल्मोड़ा जिले में एक भी वनाग्नि की घटना सामने नहीं आई है. उनका कहना है कि इसके पीछे दो कारण है, जिसमें एक कारण लगातार हो रही बारिश है. वहीं दूसरा मुख्य कारण लॉकडाउन भी है. लॉकडाउन के कारण लोगों के बेवजह बाहर निकलने से रोक लगने के कारण जंगलो की ओर इंसानों का आवागमन कम रहा. इससे भी आग की घटनाएं नहीं हुई. जबकि, इससे पहले लोंगो का जंगलों की ओर आवागन काफी रहता था.

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डीएफओ खुशाल सिंह रावत ने बताया कि अल्मोड़ा जिले में 72 हजार हेक्टेयर आरक्षित वन है. जबकि, 79 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र है. जिसमे से 50 प्रतिशत वन क्षेत्र चीड़ का है. आग की सबसे ज्यादा घटनाएं चीड़ के जंगलों में ही सामने आती है.

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