सोमेश्वर: जिले के बयालाखालसा और गोलने गांव में नहर का हेड पूरी तरह से क्षतिग्रस्त होने से किसानों के धान की पौध सूखने लगी है. जिसके चलते किसानों की फसल की सिंचाई के लिए खेतों तक पानी पहुंचाने में काफी परेशानी हो रही है. वहीं लोग बाल्टियों से पानी भरकर पौधों की सिंचाई कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि सिंचाई विभाग की इस अनदेखी के चलते किसानों की सैकड़ों नाली कृषि भूमि बंजर होने के कगार पर है.
बता दें कि सोमेश्वर के बयालाखालसा और गोलने गांव में नहर का हेड पूरी तरह से क्षतिग्रस्त होने के साथ ही मलबे से पटा हुआ है.वहीं लोग बाल्टियों से पानी भरकर पौधों की सिंचाई कर रहे हैं. तीन साल पहले क्षेत्र में हुई अतिवृष्टि ने सांई और अन्य सहायक नदियों ने खाड़ी सुनार की धारीखेत नहर, गोलने प्रथम और लखनाड़ी सिंचाई गूलों के हेड को नुकसान पहुंचाया था. खाड़ी सुनार की धारीखेत नहर से तीन गांवों के किसान खेती में सिंचाई करते हैं.
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सामाजिक कार्यकर्ता दिलीप सिंह रौतेला का कहना है कि किसानों का आलू, प्याज, लहसुन, गेहूं आदि की फसल अतिवृष्टि और ओलावृष्टि से चौपट हो गई है. काश्तकारों ने खेतों में धान के पौध लगा रखे हैं जिसे सिंचाई की आवश्यकता है. लेकिन विभाग द्वारा गूल को दुरुस्त न करने से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लोगों का कहना है कि विभाग के अधिकारियों को समस्या से अवगत कराने के बाद भी उचित कार्रवाई नहीं की जा रही है. जिसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है. ग्राम प्रधान भगवंत लाल वर्मा, दिलीप रौतेला, चंदन सिंह रावत, दिनेश सिंह, दुर्गा सिंह आदि किसानों में विभागीय लापरवाही से खासा रोष है. किसानों का कहना है कि आपदा के तीन साल बाद गूल की मरम्मत नहीं की जा रही है. जबकि धान की रोपाई शुरू होने वाली है ऐसे में गांवों में सिंचाई व्यवस्था चौपट है. किसानों का कहना है कि विभाग द्वारा जल्द गूल को दुरुस्त नहीं किया तो वे उग्र आंदोलन को विवश होंगे.