सोमेश्वर: उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में सोमवार को बारिश ने जमकर कहर बरपाया. गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक हर जगह से तबाही की तस्वीरें सामने आई हैं. सोमेश्वर के कौसानी-ग्वालदम हाईवे पर बारिश की वजह से सेलिग्वाड़ में भारी मलबा आ गया था. इसकी वजह से हाईवे करीब पांच घंटे तक बाधित रहा.
हाईवे के बाधित होने से यात्रियों और स्थानीय लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. मलबा आने के करीब तीन घंटे बाद जेसीबी को मौके पर भेजा गया है. इसके बाद जेसीबी ने रास्ते को खोला. यानी करीब पांच घंटे बीच रास्ते में फंसे लोगों की जान में जान आई. हाईवे खोलने में हुई देरी को लेकर लोगों ने प्रशासन के खिलाफ अपना आक्रोश भी व्यक्त किया.
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लोगों ने बताया कि सुबह करीब 10 बजे अचानक सोमेश्वर-कौसानी हाईवे में पर चनौदा सैजारी निर्माणाधीन सड़क का मलबा आ गया था. इसके बाद सड़क के दोनों ओर लंबा जाम लग गया था. जाम में फंसे लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
जाम में फंसे ग्राम प्रधान संगठन सोमेश्वर के महासचिव कैलाश चंद्र जोशी और उपाध्यक्ष विनोद बोरा ने लोक निर्माण विभाग और प्रशासन को मामले की जानकारी दी. लेकिन उनका आरोप है कि सूचना देने के तीन घंटे बाद प्रशासन ने मौके पर जेसीबी मशीन भेजी और दोपहर बाद लगभग 3 बजे मलबा हटने के बाद यातायात सुचारू हो सका. प्रधान संगठन के महासचिव ने लोक निर्माण विभाग की कार्यशैली पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि आपदा के समय सड़कों से मलबा हटाने और जल निकासी की व्यवस्था करने में विभाग नाकाम साबित हुआ है.
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बता दें कि प्रशासन की ये स्थिति तब जब सरकार के तरफ से पहले ही जिला प्रशासन और संबंधित विभागों को अवगत कराया गया है कि भूस्खलन संभावित क्षेत्र में पहले ही जेसीबी मशीनों को खड़ा किया जाए. ताकि मार्ग बाधित होने पर उसे तत्काल खोला जा सके और लोगों को ज्यादा समय तक जाम में न फंसना पड़े.