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ब्रिटिश कालीन इस कॉलेज का रहा है समृद्ध इतिहास, आज झेल रहा उपेक्षा का दंश - almora news

इस कॉलेज का निर्माण ब्रिटिशकाल में कुमाऊं के कमिश्नर रहे हेनरी रैमजे ने 1871 में करवाया था. इस कॉलेज आजादी के आंदोलन में बहुत बड़ा योगदान रहा है. भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत, महान स्वततंत्रता आंदोलनकारी विक्टर मोहन जोशी और स्वतंत्रता आंदोलकारी मुकुन्दी लाल समेत बड़ी-बड़ी हस्तियों ने यहां शिक्षा हासिल की और देश-दुनिया में ख्याति प्राप्ति के साथ ही देशहित में अपना योगदान दिया.

रैमसे कॉलेज अल्मोड़ा
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Published : May 9, 2019, 7:30 PM IST

Updated : May 9, 2019, 7:36 PM IST

अल्मोड़ा: सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा अपनी प्राचीन विरासत व ऐतिहासिक धरोहर को संजाये हुए है. जहां एक ओर यहां चंद राजाओं का वृहद इतिहास मिलता है तो वहीं दूसरी ओर ब्रिटिशकालीन धरोहरें भी नगर में आकर्षण का केंद्र हैं. इन्ही में से एक ब्रिटिशकालीन कुमाऊं का प्राचीन रैमजे इंटर कॉलेज भी है. जो कुमाऊं के सबसे प्राचीन शिक्षण संस्थानों में शुमार है. इस कॉलेज का निर्माण ब्रिटिशकाल में कुमाऊं के कमिश्नर रहे हेनरी रैमजे ने 1871 में करवाया था. इस कॉलेज का आजादी के आंदोलन में बहुत बड़ा योगदान रहा है. भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत, महान स्वततंत्रता आंदोलनकारी विक्टर मोहन जोशी और स्वतंत्रता आंदोलकारी मुकुन्दी लाल समेत बड़ी-बड़ी हस्तियों ने यहां शिक्षा हासिल की और देश-दुनिया में ख्याति प्राप्ति के साथ ही देशहित में अपना योगदान दिया.

ब्रिटिश कालीन इस कॉलेज का है समृद्ध इतिहास.

वहीं, कॉलेज के वर्तमान प्रधानाचार्य विनय विल्सन बताते है कि यह प्राचीन विद्यालय है. सर हेनरी रैमजे ने इस स्कूल का निर्माण करवाया था. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान इस कॉलेज के कई शिक्षक नौकरी छोड़कर आंदोलन में कूद पड़े. वह बताते है कि पहले इस कॉलेज में इंटर तक कक्षाएं संचालित हुई एक समय बाद डिग्री कक्षाएं शुरू होने लगी, लेकिन एक बार अंग्रेजों की आर्मी मालरोड से जा रही थी. तब यहां के छात्रों और शिक्षकों ने उनके ऊपर पथराव कर अंग्रेजों भारत छोड़ों की नारेबाजी कर दी. जिसके बाद अंग्रेजों ने स्कूल के खिलाफ कार्यवाही करते हुए डिग्री कॉलेज इसे हाईस्कूल बना दिया. कुछ समय यहां हाईस्कूल तक ही कक्षाएं संचालित हुई, लेकिन बाद में फिर इंटर कॉलेज बन गया, जो आज तक संचालित हो रहा है. वे बताते है कि पहले यह उत्तराखंड का जानामाना स्कूल हुआ करता था और स्कूल में काफी छात्र संख्या भी थी. लेकिन आज यहां स्टूडेंट्स की संख्या धीरे-धीरे घट रही है. आज इस कॉलेज में में महज 180 छात्र पढ़ाई करते है.

इस स्कूल के पूर्व शिक्षक एवं वर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी बताते है कि इस स्कूल से बड़े बड़े स्वतंत्रता संग्राम आंदोलकारियों ने पढ़ाई की है. यहां के छात्रों और शिक्षकों ने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. यह स्कूल कुमाऊं का सबसे प्राचीन स्कूल माना जाता है. एक दौर में यहां कुमाऊं के साथ-साथ बाहर से भी छात्र पढ़ने आते थे. आज यह इंटर कालेज है लेकिन यहां डिग्री कक्षाएं भी संचालित हुई थी. जिसकी संबद्धता कलकत्ता के श्री राम कॉलेज से थी, लेकिन कुछ समय चलने के बाद यह फिर इंटर कॉलेज के रूप में ही संचालित होने लगा. वह कहते है कि यह स्कूल ही नहीं बल्कि शहर की हेरिटेज बिल्डिंग है. साथ ही यह ब्रिटेन की निर्माण कला का एक बेजोड़ नमूना भी है.

अल्मोड़ा: सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा अपनी प्राचीन विरासत व ऐतिहासिक धरोहर को संजाये हुए है. जहां एक ओर यहां चंद राजाओं का वृहद इतिहास मिलता है तो वहीं दूसरी ओर ब्रिटिशकालीन धरोहरें भी नगर में आकर्षण का केंद्र हैं. इन्ही में से एक ब्रिटिशकालीन कुमाऊं का प्राचीन रैमजे इंटर कॉलेज भी है. जो कुमाऊं के सबसे प्राचीन शिक्षण संस्थानों में शुमार है. इस कॉलेज का निर्माण ब्रिटिशकाल में कुमाऊं के कमिश्नर रहे हेनरी रैमजे ने 1871 में करवाया था. इस कॉलेज का आजादी के आंदोलन में बहुत बड़ा योगदान रहा है. भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत, महान स्वततंत्रता आंदोलनकारी विक्टर मोहन जोशी और स्वतंत्रता आंदोलकारी मुकुन्दी लाल समेत बड़ी-बड़ी हस्तियों ने यहां शिक्षा हासिल की और देश-दुनिया में ख्याति प्राप्ति के साथ ही देशहित में अपना योगदान दिया.

ब्रिटिश कालीन इस कॉलेज का है समृद्ध इतिहास.

वहीं, कॉलेज के वर्तमान प्रधानाचार्य विनय विल्सन बताते है कि यह प्राचीन विद्यालय है. सर हेनरी रैमजे ने इस स्कूल का निर्माण करवाया था. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान इस कॉलेज के कई शिक्षक नौकरी छोड़कर आंदोलन में कूद पड़े. वह बताते है कि पहले इस कॉलेज में इंटर तक कक्षाएं संचालित हुई एक समय बाद डिग्री कक्षाएं शुरू होने लगी, लेकिन एक बार अंग्रेजों की आर्मी मालरोड से जा रही थी. तब यहां के छात्रों और शिक्षकों ने उनके ऊपर पथराव कर अंग्रेजों भारत छोड़ों की नारेबाजी कर दी. जिसके बाद अंग्रेजों ने स्कूल के खिलाफ कार्यवाही करते हुए डिग्री कॉलेज इसे हाईस्कूल बना दिया. कुछ समय यहां हाईस्कूल तक ही कक्षाएं संचालित हुई, लेकिन बाद में फिर इंटर कॉलेज बन गया, जो आज तक संचालित हो रहा है. वे बताते है कि पहले यह उत्तराखंड का जानामाना स्कूल हुआ करता था और स्कूल में काफी छात्र संख्या भी थी. लेकिन आज यहां स्टूडेंट्स की संख्या धीरे-धीरे घट रही है. आज इस कॉलेज में में महज 180 छात्र पढ़ाई करते है.

इस स्कूल के पूर्व शिक्षक एवं वर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी बताते है कि इस स्कूल से बड़े बड़े स्वतंत्रता संग्राम आंदोलकारियों ने पढ़ाई की है. यहां के छात्रों और शिक्षकों ने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. यह स्कूल कुमाऊं का सबसे प्राचीन स्कूल माना जाता है. एक दौर में यहां कुमाऊं के साथ-साथ बाहर से भी छात्र पढ़ने आते थे. आज यह इंटर कालेज है लेकिन यहां डिग्री कक्षाएं भी संचालित हुई थी. जिसकी संबद्धता कलकत्ता के श्री राम कॉलेज से थी, लेकिन कुछ समय चलने के बाद यह फिर इंटर कॉलेज के रूप में ही संचालित होने लगा. वह कहते है कि यह स्कूल ही नहीं बल्कि शहर की हेरिटेज बिल्डिंग है. साथ ही यह ब्रिटेन की निर्माण कला का एक बेजोड़ नमूना भी है.

Intro:सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा अपनी संस्कृति के साथ ही प्राचीन विरासत व धरोहर को लेकर भी एक अलग पहचान बनाती है। यहाँ एक ओर चंद राजाओ के समय की धरोहरें तो वही दूसरी ओर ब्रिटिशकालीन धरोहरें आकर्षण के केंद्र हैं। इन्ही में से एक ब्रिटिशकालीन कुमाऊं का प्राचीन स्कूल रैमजे इंटर कॉलेज है। अल्मोड़ा शहर के बीचों बीच में स्थिति रैमसे इंटर कॉलेज कुमाऊं का सबसे प्राचीन स्कूलो में शुमार है। इस स्कूल का निर्माण ब्रिटिश शासन में कुमाऊं के कमिश्नर रहे हेनरी रैमजे ने 1871 में किया था। इस स्कूल का आजादी के आंदोलन में बहुत बड़ा योगदान रहा। भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत, महान स्वततंत्रता आंदोलनकारी विक्टर मोहन जोशी , गढ़वाल के महान स्वन्त्रता आंदोलकारी मुकुन्दी लाल समेत बड़ी बड़ी हस्तियों यहाँ से पढ़ाई कर देश दुनिया मे ख्याति प्राप्ति के साथ ही देश और समाज मे अपना योगदान दिया।



Body:इस स्कूल के पूर्व शिक्षक एवं वर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी बताते है कि इस स्कूल से बड़े बड़े स्वतंत्रता संग्राम आंदोलकारियों ने पढ़ाई की। यहाँ के छात्रों और शिक्षकों ने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। यह स्कूल कुमाऊं का सबसे प्राचीन स्कूल माना जाता है। एक दौर में यहाँ कुमाऊं के के साथ ही गढ़वाल बाहर से भी छात्र पढ़ने आते थे। आज यह इंटर कालेज है लेकिन यहाँ डिग्री कक्षाएं भी चली जिसकी संबद्धता कलकत्ता के श्री राम कॉलेज से थी। लेकिन कुछ समय चलने के बाद यह फिर इंटर कॉलेज के रूप में ही संचालित होने लगा। वह कहते है कि यह स्कूल ही नही बल्कि शहर की हेरिटेज बिल्डिंग है साथ ही ब्रिटेन की निर्माण कला का बेजोड़ नमूना भी है।
वही कॉलेज के वर्तमान प्रधानाचार्य विनय विल्सन बताते है कि यह प्राचीन विद्यालय है सर हेनरी रैमजे ने इस स्कूल को संचालित करवाया था। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कई शिक्षक नौकरी छोड़कर आंदोलन में कूद पड़े। वह बताते है कि पहले इस स्कूल में इंटर तक कक्षाएं संचालित हुई एक समय बाद डिग्री कक्षाएँ शुरू होने लगी । लेकिन एक बार अंग्रेजो की आर्मी माल रोड से जा रही थी तब यहाँ के छात्रों और शिक्षकों ने उनके ऊपर पथराव कर अंग्रेजो भारत छोड़ो की नारे बाजी कर दी जिसके बाद अंग्रेजो ने स्कूल के खिलाफ कार्यवाही करते हुए डिग्री कॉलेज से इसको घटाकर हाइस्कूल बना दिया। कुछ समय यहाँ हाइस्कूल तक ही कक्षाएँ संचालित हुई लेकिन बाद में फिर इंटर कॉलेज बन गया जो आज तक संचालित हो रहा है। वह कहते है कि पहले यह उत्तराखंड का जानामाना स्कूल हुआ करता था, यहाँ काफी छात्र संख्या हुआ करती थी लेकिन आज यहां छात्रों के संख्या धीरे धीरे घट चुकी है। आज हालात यह हो चुके है कि इस कॉलेज में में महज 180 छात्र पढ़ाई करते है।
बाइट 1 विनय विल्सन, प्रधानाचार्य रैमजे इंटर कॉलेज
बाइट- 2 प्रकाश चंद्र जोशी, पूर्व शिक्षक व वर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष



Conclusion:
Last Updated : May 9, 2019, 7:36 PM IST
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