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जैवविविधता से लबरेज शीतलाखेत स्याहीदेवी को इको टूरिज्म स्पॉट बनाने की कवायद

वन विभाग की मुहिम रंग लाई तो स्थानीय स्तर पर युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे. साथ ही जैवविविधता से लबरेज यह वन क्षेत्र अपनी अलग पहचान कायम कर सकेगा.

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Published : Jun 12, 2021, 10:24 PM IST

अल्मोड़ा: उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए अब वन विभाग वन क्षेत्रों को इको टूरिज्म के रूप में विकसित करेगा. अल्मोड़ा वन विभाग शीतलाखेत के स्याही देवी वन क्षेत्र को इको पर्यटन जोन के रूप में विकसित करने कवायद में जुट गया है.

स्याही देवी वन क्षेत्र के प्राकृतिक सौंदर्य को देखते हुए यहां वर्ड वॉचिंग और नेचर ट्रेल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वन विभाग कार्य योजना बना रहा है. इसके अलावा नगर से शीतलाखेत को जोड़ने वाले 16 किमी पैदल रूट का सर्वे किया जाएगा. इस रूट से भी पर्यटन की सम्भावनाओं को विकसित किया जाएगा, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही ग्रामीणों को रोजगार भी मिल सकेगा.

पढ़ें- कॉर्बेट पार्क पर दबाव होगा कम, अब फाटो रेंज में सफारी का आनंद ले सकेंगे पर्यटक

अल्मोड़ा वन प्रभाग के डीएफओ महातिम यादव ने बताया कि शीतलाखेत का स्याही देवी वन क्षेत्र रिजर्व वन क्षेत्र है. यह वन क्षेत्र पारम्परिक वन संपदा से लबरेज है. यह स्थान धार्मिक और नैसर्गिक सौंदर्य के साथ स्वामी विवेकानंद का आध्यात्मिक स्थल भी रहा है. इस स्थल को इको पर्यटन हब के रूप विकसित करने के लिए प्रयास जारी है. इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा.

बता दें कि अल्मोड़ा का स्याही देवी वनक्षेत्र में बांज, उत्तीस, देवदार, बुरांश, काफल और अंगूर सहित विभिन्न प्रकार के चौड़ी पत्ती वाले वृक्षों से आच्छादित काफी घना जंगल है. इस जंगल में गुलदार, भालू, गुलदार, हिरण, सहित अनेक प्रकार के जानवर यहां विचरण करते थे. यही नही यहां पक्षियों की भी विभिन्न प्रजातिया पाई जाती है. नेचर पर्यटन के शौकीन लोगो के लिए यह स्थान काफी बेहतरीन है.

अल्मोड़ा: उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए अब वन विभाग वन क्षेत्रों को इको टूरिज्म के रूप में विकसित करेगा. अल्मोड़ा वन विभाग शीतलाखेत के स्याही देवी वन क्षेत्र को इको पर्यटन जोन के रूप में विकसित करने कवायद में जुट गया है.

स्याही देवी वन क्षेत्र के प्राकृतिक सौंदर्य को देखते हुए यहां वर्ड वॉचिंग और नेचर ट्रेल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वन विभाग कार्य योजना बना रहा है. इसके अलावा नगर से शीतलाखेत को जोड़ने वाले 16 किमी पैदल रूट का सर्वे किया जाएगा. इस रूट से भी पर्यटन की सम्भावनाओं को विकसित किया जाएगा, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही ग्रामीणों को रोजगार भी मिल सकेगा.

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अल्मोड़ा वन प्रभाग के डीएफओ महातिम यादव ने बताया कि शीतलाखेत का स्याही देवी वन क्षेत्र रिजर्व वन क्षेत्र है. यह वन क्षेत्र पारम्परिक वन संपदा से लबरेज है. यह स्थान धार्मिक और नैसर्गिक सौंदर्य के साथ स्वामी विवेकानंद का आध्यात्मिक स्थल भी रहा है. इस स्थल को इको पर्यटन हब के रूप विकसित करने के लिए प्रयास जारी है. इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा.

बता दें कि अल्मोड़ा का स्याही देवी वनक्षेत्र में बांज, उत्तीस, देवदार, बुरांश, काफल और अंगूर सहित विभिन्न प्रकार के चौड़ी पत्ती वाले वृक्षों से आच्छादित काफी घना जंगल है. इस जंगल में गुलदार, भालू, गुलदार, हिरण, सहित अनेक प्रकार के जानवर यहां विचरण करते थे. यही नही यहां पक्षियों की भी विभिन्न प्रजातिया पाई जाती है. नेचर पर्यटन के शौकीन लोगो के लिए यह स्थान काफी बेहतरीन है.

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