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काफी खास है अल्मोड़ा का दशहरा, विदेशों से पहुंचते हैं सैलानी

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Published : Oct 8, 2019, 10:17 PM IST

अल्मोड़ा का दशहरा पर्व अपने आप में विशेष पहचान रखता है. जिसको देखने के लिए देश विदेश से लोग सांस्कृतिक नगरी पहुंचते हैं. अल्मोड़ा में जब बिजली की व्यवस्था नहीं थी उस दौर में मशाल जलाकर बद्रेश्वर में रामलीला की शुरुआत की गयी थी.

अपने आप में विशेष पहचान रखता है अल्मोड़ा का दशहरा.

अल्मोड़ा: सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा की देश दुनिया में अलग पहचान है. अल्मोड़ा का दशहरा पर्व भी अपने आप में विशेष पहचान रखता है. इस बार रावण परिवार के ताड़का, खर, सुबाहू, मेघनाद, अहिरावण, रावण, अक्षय कुमार, महिरावण सहित 28 पुतले बनाए गए हैं.

अपने आप में विशेष पहचान रखता है अल्मोड़ा का दशहरा.

यह भी पढ़ें-अल्मोड़ा: यहां बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ का संदेश दे रहा लंकापति रावण

जिनको देखने के लिए देश विदेश से लोग सांस्कृतिक नगरी पहुंचे हैं. आज दोपहर बाद इन पुतलों को पूरे बाजार में घुमाया गया. जिसको देखने के लिए हजारों लोगो की भीड़ उमड़ी.

यह भी पढ़ें-सांस्कृतिक नगरी में क्या है पंचायतों का हाल, जानें यहां का पॉलिटिकल सिनेरियो

बता दें कि इन सभी पुतलों को एक स्थान पर एकत्रित किया जाता है. उसके बाद सभी पुतलों को पूरे बाजार में घुमाया जाता है. इसको देखने के लिए पूरे दिन लोगों की भीड़ लगी रहती है. देर शाम स्थानीय स्टेडियम में इन पुतलों का आतिशबाजी के बीच दहन किया जाता है.

यह भी पढ़ें-150 साल पुराना है अल्मोड़ा की रामलीला का इतिहास, मुस्लिमों के सहयोग से बनाया जाता है रावत का पुतला

कहते हैं देश में दो ही जगह दशहरा पर्व खास माना जाता है. एक हिमाचल के कुल्लू और दूसरा उत्तराखंड के अल्मोड़ा में. अल्मोड़ा का दशहरा अपने दर्जनों कलात्मक पुतलों के लिए देश दुनिया में विख्यात है. देश-विदेश से लोग इस दशहरा पर्व को देखने के लिए अल्मोड़ा पहुंचते हैं. अल्मोड़ा में नवरात्र के प्रारम्भ से ही पुतलों का निर्माण कार्य हर गल्ली मुहल्ले में हर धर्म के लोग मिल जुल कर करते हैं.

यह भी पढ़ें-विजयादशमी: दशहरे के पर्व पर नागा संन्यासियों ने किया शस्त्र पूजन

बता दें कि शुरुआत में अल्मोड़ा में सिर्फ एक ही रावण का पुतला बनाया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे इन पुतलों का निर्माण बढ़ने लगा और अब अल्मोड़ा में रावण परिवार के 2 दर्जनों से भी अधिक कलात्मक पुतले बनाए जाते हैं. बनाए गए पुतलों की कलाकारी एवं भाव-भंगिमा देखने लायक होती है.

यह भी पढ़ें-यहां दशहरे के एक दिन बाद होता है रावण का दहन, जानिए वजह ?

अल्मोड़ा में जब बिजली की व्यवस्था नहीं थी उस दौर में मशाल जलाकर अल्मोड़ा के बद्रेश्वर में रामलीला की शुरुआत की गयी थी. उस समय सिर्फ रावण का ही पुतला बनता था. वहीं, आज के समय सभी मुहल्ले में रावण परिवार के पुतले बनने लग गए है.

यह भी पढ़ें-तीन माह सोने के बाद इस दिन भू-लोक में आते हैं भगवान परशुराम, हरते हैं सबके कष्

फ्रांस से आए पर्यटकों का कहना है कि यहां बनाए गए पुतले काफी आकर्षक हैं. वह इस तरह की कलाकृतियों को पहली बार देख रहे हैं और वे हर बार दशहरा पर्व पर अल्मोड़ा आना चाहेंगे.

यह भी पढ़ें-'कलयुगी रावण' की नई चाल, अब राम को नहीं, पर्यावरण को पहुंचा रहा नुकसान

वहीं, विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने कहा जिस तरह राम ने रावण का वध कर बुराई पे अच्छाई की जीत का संदेश दिया, उसी तरह अल्मोड़ा में भी रावण परिवार के पुतलों का दहन कर बुराई पर अच्छाई का संदेश दिया जा रहा है.

अल्मोड़ा: सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा की देश दुनिया में अलग पहचान है. अल्मोड़ा का दशहरा पर्व भी अपने आप में विशेष पहचान रखता है. इस बार रावण परिवार के ताड़का, खर, सुबाहू, मेघनाद, अहिरावण, रावण, अक्षय कुमार, महिरावण सहित 28 पुतले बनाए गए हैं.

अपने आप में विशेष पहचान रखता है अल्मोड़ा का दशहरा.

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जिनको देखने के लिए देश विदेश से लोग सांस्कृतिक नगरी पहुंचे हैं. आज दोपहर बाद इन पुतलों को पूरे बाजार में घुमाया गया. जिसको देखने के लिए हजारों लोगो की भीड़ उमड़ी.

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बता दें कि इन सभी पुतलों को एक स्थान पर एकत्रित किया जाता है. उसके बाद सभी पुतलों को पूरे बाजार में घुमाया जाता है. इसको देखने के लिए पूरे दिन लोगों की भीड़ लगी रहती है. देर शाम स्थानीय स्टेडियम में इन पुतलों का आतिशबाजी के बीच दहन किया जाता है.

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कहते हैं देश में दो ही जगह दशहरा पर्व खास माना जाता है. एक हिमाचल के कुल्लू और दूसरा उत्तराखंड के अल्मोड़ा में. अल्मोड़ा का दशहरा अपने दर्जनों कलात्मक पुतलों के लिए देश दुनिया में विख्यात है. देश-विदेश से लोग इस दशहरा पर्व को देखने के लिए अल्मोड़ा पहुंचते हैं. अल्मोड़ा में नवरात्र के प्रारम्भ से ही पुतलों का निर्माण कार्य हर गल्ली मुहल्ले में हर धर्म के लोग मिल जुल कर करते हैं.

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बता दें कि शुरुआत में अल्मोड़ा में सिर्फ एक ही रावण का पुतला बनाया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे इन पुतलों का निर्माण बढ़ने लगा और अब अल्मोड़ा में रावण परिवार के 2 दर्जनों से भी अधिक कलात्मक पुतले बनाए जाते हैं. बनाए गए पुतलों की कलाकारी एवं भाव-भंगिमा देखने लायक होती है.

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अल्मोड़ा में जब बिजली की व्यवस्था नहीं थी उस दौर में मशाल जलाकर अल्मोड़ा के बद्रेश्वर में रामलीला की शुरुआत की गयी थी. उस समय सिर्फ रावण का ही पुतला बनता था. वहीं, आज के समय सभी मुहल्ले में रावण परिवार के पुतले बनने लग गए है.

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फ्रांस से आए पर्यटकों का कहना है कि यहां बनाए गए पुतले काफी आकर्षक हैं. वह इस तरह की कलाकृतियों को पहली बार देख रहे हैं और वे हर बार दशहरा पर्व पर अल्मोड़ा आना चाहेंगे.

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वहीं, विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने कहा जिस तरह राम ने रावण का वध कर बुराई पे अच्छाई की जीत का संदेश दिया, उसी तरह अल्मोड़ा में भी रावण परिवार के पुतलों का दहन कर बुराई पर अच्छाई का संदेश दिया जा रहा है.

Intro:सांस्कृतिक नगरी अल्मोडा अपनी संस्कृति के लिए देशो दुनिया मे अलग पहचान तो बनाए हुए ही है। वहीं अल्मोडा का दशहरा पर्व भी अपने आप में देश दुनिया मे अपनी विशेष पहचान रखता है। देश मे दो ही जगह दशहरा पर्व खास माना जाता है एक हिमांचल के कुल्लू और दूसरा उत्तराखंड के अल्मोड़ा में। अल्मोड़ा का दशहरा अपने दर्जनों कलात्मक पुतलो के लिए देश दुनिया मे विख्यात है। देश विदेश से लोग इस दशहरा पर्व को देखने के लिए अल्मोडा पहुचते है। अल्मोडा में नवरात्र प्रारम्भ से ही पुतलों का निर्माण कार्य हर गल्ली मोहल्लों में हर धर्म के लोग मिल जुल कर करते है। शुरुवात में अल्मोडा में सिर्फ एक ही रावण का पुतला बनाया जाता था लेकिन धीरे धीरे इन पुतलों का निर्माण बढने लगा और अब अल्मोडा में रावण परिवार के 2 दर्जनों से भी अधिक कलात्मक पुतले बनाए जाते है। बनाए गए पुतलों की कलाकारी एवं भाव भंगिना देखने लायक होती है जिसके मुरीद विदेशी भी है। इन सभी पुतलों को अल्मोडा में एक स्थान पर एकत्रित किया जाता है उसके बाद इन सभी पुतलों को पूरे बाजार में घुमाया जाता है इसको देखने के लिए लोगो का पूरे दिनभर कौतूहल रहता है। उसके बाद देर शाम स्थानीय स्टेडियम में इन पुतलों का आतिशबाजी के बीच दहन किया जाता है। इस बार रावण परिवार के ताडका, खर, सुबाहू, मेघनाथ, अहिरावण, रावण, अक्षय कुमार, महिरावण सहित 28 पुतले बनाए गए है। जिनकों देखने के लिए देश विदेश से लोग सांस्कृतिक नगरी पहुचे हुए है। आज दोपहर बाद इन पुतलो को पूरे बाजार में घुमाया गया। जिसको देखने के लिए हज़ारो लोगो की भीड़ उमडी।

Body:अल्मोडा में जब बिजली की व्यवस्था नही थी उस दौर में मशाल जलाकर अल्मोडा के बद्रेश्वर मे रामलीला की शुरूआत की गयी थी। उस समय सिर्फ रावण का ही पुतला बनता था आज के समय सभी मोहल्लों में में रावण परिवार के पुतले बनने लग गए है अल्मोडा दशहरा महोत्सव देखने के लिए देश ही नही विदेश से भी लोग यहां पहुचे। वहीं फ्रांस से आए पर्यटकों का कहना है कि यहां बनाए गए पुतले काफी आकर्षक है वह इस तरह की कलाकृतियों को पहली बार देख रहे है। और हर बार दशहरा पर्व पर अल्मोडा आना चाहेगे।
वहीं विधान सभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने कहा कि दशहरा पर्व तो पूरे देश में मनाया जाता है लेकिन अल्मोडा का दशहरा पर्व की अलग ही बात है यहां रावण परिवार के दो दर्जनों से अधिक पुतले बनना वह भी कलाकृतिया अपने आप में अलग पहचान है जिस तरह श्रीराम ने रावण का वध कर बुराई में अच्छाई की जीत का संदेश दिया वही अल्मोडा में भी रावण परिवार के पुंतलों का दहन कर बुराई में अच्छाई का संदेश दिया जा रहा है।
जहां अल्मोडा का दशहरा पर्व पहाड की संस्कृति की पहचान बन चुका है।वहीं एक पुंतले से शुरू हुआ दशहरा आज दो दर्जन से अधिक पुतलों तक पहुच गया है। जो हिन्दु मुस्लिम की एकता का संदेश भी देता है।

बाईट - देशल, पर्यटक फ्रांस
बाईट - मारी, पर्यटक ऑस्ट्रेलिया

बाईट - रघुनाथ सिंह चौहान, उपाध्यक्ष विधानसभा

Conclusion:
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