अल्मोड़ा: सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा की देश दुनिया में अलग पहचान है. अल्मोड़ा का दशहरा पर्व भी अपने आप में विशेष पहचान रखता है. इस बार रावण परिवार के ताड़का, खर, सुबाहू, मेघनाद, अहिरावण, रावण, अक्षय कुमार, महिरावण सहित 28 पुतले बनाए गए हैं.
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जिनको देखने के लिए देश विदेश से लोग सांस्कृतिक नगरी पहुंचे हैं. आज दोपहर बाद इन पुतलों को पूरे बाजार में घुमाया गया. जिसको देखने के लिए हजारों लोगो की भीड़ उमड़ी.
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बता दें कि इन सभी पुतलों को एक स्थान पर एकत्रित किया जाता है. उसके बाद सभी पुतलों को पूरे बाजार में घुमाया जाता है. इसको देखने के लिए पूरे दिन लोगों की भीड़ लगी रहती है. देर शाम स्थानीय स्टेडियम में इन पुतलों का आतिशबाजी के बीच दहन किया जाता है.
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कहते हैं देश में दो ही जगह दशहरा पर्व खास माना जाता है. एक हिमाचल के कुल्लू और दूसरा उत्तराखंड के अल्मोड़ा में. अल्मोड़ा का दशहरा अपने दर्जनों कलात्मक पुतलों के लिए देश दुनिया में विख्यात है. देश-विदेश से लोग इस दशहरा पर्व को देखने के लिए अल्मोड़ा पहुंचते हैं. अल्मोड़ा में नवरात्र के प्रारम्भ से ही पुतलों का निर्माण कार्य हर गल्ली मुहल्ले में हर धर्म के लोग मिल जुल कर करते हैं.
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बता दें कि शुरुआत में अल्मोड़ा में सिर्फ एक ही रावण का पुतला बनाया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे इन पुतलों का निर्माण बढ़ने लगा और अब अल्मोड़ा में रावण परिवार के 2 दर्जनों से भी अधिक कलात्मक पुतले बनाए जाते हैं. बनाए गए पुतलों की कलाकारी एवं भाव-भंगिमा देखने लायक होती है.
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अल्मोड़ा में जब बिजली की व्यवस्था नहीं थी उस दौर में मशाल जलाकर अल्मोड़ा के बद्रेश्वर में रामलीला की शुरुआत की गयी थी. उस समय सिर्फ रावण का ही पुतला बनता था. वहीं, आज के समय सभी मुहल्ले में रावण परिवार के पुतले बनने लग गए है.
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फ्रांस से आए पर्यटकों का कहना है कि यहां बनाए गए पुतले काफी आकर्षक हैं. वह इस तरह की कलाकृतियों को पहली बार देख रहे हैं और वे हर बार दशहरा पर्व पर अल्मोड़ा आना चाहेंगे.
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वहीं, विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान ने कहा जिस तरह राम ने रावण का वध कर बुराई पे अच्छाई की जीत का संदेश दिया, उसी तरह अल्मोड़ा में भी रावण परिवार के पुतलों का दहन कर बुराई पर अच्छाई का संदेश दिया जा रहा है.