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बौरारौ घाटी में बरसात व ओलावृष्टि से फसलें बर्बाद, जंगली जानवरों से पड़ रही दोहरी मार

बैमौसम व ओलावृष्टि से बौरारौ घाटी में किसानों की गेहूं, आलू, प्याज, लहसुन की खेती और बागवानी को नुकसान पहुंचा है. वहीं, ओलावृष्टि से फलदार पेड़ों के फूल और बौर झड़ गए हैं.

Someshwar
फसल
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Published : May 4, 2020, 7:33 PM IST

सोमेश्वर: बौरारौ घाटी का किसान इस साल बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से आजिज आ चुका है. रही-सही कसर जंगली जानवरों ने पूरी कर दी है. वहीं, ओलावृष्टि से फलदार पेड़ों के फूल और बौर झड़ गया है. ऐसे में किसान परेशान हैं.

बता दें कि एक सप्ताह से हो रही बारिश और ओलावृष्टि से बौरारौ घाटी में गेहूं, आलू, प्याज, लहसुन की खेती और बागवानी को नुकसान पहुंचा है. बैमौसम बारिश से गेहूं की तैयार फसल और मसूर की फसल को अधिक नुकसान हुआ है. साथ ही ओलावृष्टि से बागवानी को भी क्षति पहुंची है.

मौसम से किसान परेशान.

पढ़ें: श्रीनगर: HNB विश्वविद्यालय में धरने पर बैठे छात्र, ऑनलाइन परीक्षा फॉर्म को लेकर नाराजगी

वहीं, युवा काश्तकार पंकज सिंह खाती का कहना है कि अप्रैल माह में इतनी ओलावृष्टि पहले कभी नहीं देखी है. बैमौसम बारिश से डिगरा, भैंसड़गांव, चौड़ा, बनोड़ा, फलयाटी, नाकोट, अझोड़ा आदि गांवों में गेहूं, जौ, प्याज, लहसुन और आलू सहित फलों की खेती को भारी नुकसान हुआ है. उन्होंने सरकार से फसलों के नुकसान की भरपाई करने की भी मांग की है.

पढ़ें: थराली: बाजारों में उमड़ी भीड़, सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ी धज्जियां

क्षेत्र के किसानों का कहना है कि जंगली जानवरों के आतंक से परेशान किसानों पर बरसात और ओलावृष्टि से दोहरी मार पड़ी है. रात में जंगली सुअर काश्तकारों की फसल को खोदकर और रौंदकर तबाह कर रहे हैं. जबकि, दिन में बंदरों के झुंड भी बगवानी को नुकसान पहुंच रहें हैं. वहीं, ओलावृष्टि से फलदार पेड़ों के फूल और बौर झड़ चुके हैं.

सोमेश्वर: बौरारौ घाटी का किसान इस साल बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से आजिज आ चुका है. रही-सही कसर जंगली जानवरों ने पूरी कर दी है. वहीं, ओलावृष्टि से फलदार पेड़ों के फूल और बौर झड़ गया है. ऐसे में किसान परेशान हैं.

बता दें कि एक सप्ताह से हो रही बारिश और ओलावृष्टि से बौरारौ घाटी में गेहूं, आलू, प्याज, लहसुन की खेती और बागवानी को नुकसान पहुंचा है. बैमौसम बारिश से गेहूं की तैयार फसल और मसूर की फसल को अधिक नुकसान हुआ है. साथ ही ओलावृष्टि से बागवानी को भी क्षति पहुंची है.

मौसम से किसान परेशान.

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वहीं, युवा काश्तकार पंकज सिंह खाती का कहना है कि अप्रैल माह में इतनी ओलावृष्टि पहले कभी नहीं देखी है. बैमौसम बारिश से डिगरा, भैंसड़गांव, चौड़ा, बनोड़ा, फलयाटी, नाकोट, अझोड़ा आदि गांवों में गेहूं, जौ, प्याज, लहसुन और आलू सहित फलों की खेती को भारी नुकसान हुआ है. उन्होंने सरकार से फसलों के नुकसान की भरपाई करने की भी मांग की है.

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क्षेत्र के किसानों का कहना है कि जंगली जानवरों के आतंक से परेशान किसानों पर बरसात और ओलावृष्टि से दोहरी मार पड़ी है. रात में जंगली सुअर काश्तकारों की फसल को खोदकर और रौंदकर तबाह कर रहे हैं. जबकि, दिन में बंदरों के झुंड भी बगवानी को नुकसान पहुंच रहें हैं. वहीं, ओलावृष्टि से फलदार पेड़ों के फूल और बौर झड़ चुके हैं.

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