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लंबे समय से सिंचाई नहर क्षतिग्रस्त, सूखने की कगार पर किसानों की फसल - छानी गांव

बौरारौ घाटी के कई गांवों में धान की खेती बहुतायत में की जाती है, लेकिन बीते दो महीने पहले बादल फटने से कोसी नदी उफान पर आ गई थी. जिससे छानी-ल्वेशाल ग्राम पंचायत की ठाड़बान सिंचाई नहर ध्वस्त हो गई थी. ऐसे में अब किसानों की फसल सूखने की कगार पर पहुंच चुकी है.

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सिंचाईं नहर
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Published : May 29, 2020, 3:20 PM IST

सोमेश्वरः कोसी नदी से छानी गांव के लिए बनाई गई सिंचाई नहर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है. जिससे क्षेत्र के किसानों की खेती सूखने की कगार पर पहुंच गई है. वहीं, किसानों ने प्रशासन और सिंचाई विभाग से नहर को दुरुस्त करने की मांग की है. जिससे वो अपनी नकदी फसल को बचा सके.

सूखने की कगार पर किसानों की फसल.

दरअसल, बौरारौ घाटी के कई गांवों में धान की खेती बहुतायत में की जाती है. यहां के किसान नकदी फसल के तौर इसकी खेती करते हैं, लेकिन बीते दो महीने पहले बादल फटने से कोसी नदी उफान पर आ गई थी. जिससे छानी-ल्वेशाल ग्राम पंचायत की ठाड़बान सिंचाई नहर ध्वस्त हो गई थी. ऐसे में अब किसानों की नकदी फसल सूखने की कगार पर पहुंच चुकी है.

ये भी पढ़ेंः चंबा हाईटेक टनल के ग्राउंड जीरो पर पहुंचा ETV BHARAT, लिया तैयारियों का जायजा

किसानों का कहना है कि गैरखेत, चबाता और तालसेरा में सैकड़ों नाली कृषि भूमि बंजर होने के कगार पर पहुंच चुकी है. वो कई बार इसकी शिकायत संबंधित विभाग से भी कर चुके हैं, लेकिन उनकी सुध नहीं ली जा रही है. ग्राम प्रधान अनीता दोसाद ने विभागीय लापरवाही पर आक्रोश जताया है.

वहीं, ताकुला के ज्येष्ठ ब्लॉक प्रमुख ललित दोसाद का कहना है कि किसानों की आलू, प्याज, लहसुन, गेहूं आदि की फसल अतिवृष्टि और ओलावृष्टि से चौपट हो गई थी. आजकल काश्तकारों ने खेतों में धान लगा रखी है. जबकि, आगामी 15 जून से क्षेत्र में धान रोपाई भी शुरू होनी है. ऐसे में वो शिष्टमंडल उप जिलाधिकारी से मिलकर कार्रवाई की मांग करेगा.

सोमेश्वरः कोसी नदी से छानी गांव के लिए बनाई गई सिंचाई नहर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है. जिससे क्षेत्र के किसानों की खेती सूखने की कगार पर पहुंच गई है. वहीं, किसानों ने प्रशासन और सिंचाई विभाग से नहर को दुरुस्त करने की मांग की है. जिससे वो अपनी नकदी फसल को बचा सके.

सूखने की कगार पर किसानों की फसल.

दरअसल, बौरारौ घाटी के कई गांवों में धान की खेती बहुतायत में की जाती है. यहां के किसान नकदी फसल के तौर इसकी खेती करते हैं, लेकिन बीते दो महीने पहले बादल फटने से कोसी नदी उफान पर आ गई थी. जिससे छानी-ल्वेशाल ग्राम पंचायत की ठाड़बान सिंचाई नहर ध्वस्त हो गई थी. ऐसे में अब किसानों की नकदी फसल सूखने की कगार पर पहुंच चुकी है.

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किसानों का कहना है कि गैरखेत, चबाता और तालसेरा में सैकड़ों नाली कृषि भूमि बंजर होने के कगार पर पहुंच चुकी है. वो कई बार इसकी शिकायत संबंधित विभाग से भी कर चुके हैं, लेकिन उनकी सुध नहीं ली जा रही है. ग्राम प्रधान अनीता दोसाद ने विभागीय लापरवाही पर आक्रोश जताया है.

वहीं, ताकुला के ज्येष्ठ ब्लॉक प्रमुख ललित दोसाद का कहना है कि किसानों की आलू, प्याज, लहसुन, गेहूं आदि की फसल अतिवृष्टि और ओलावृष्टि से चौपट हो गई थी. आजकल काश्तकारों ने खेतों में धान लगा रखी है. जबकि, आगामी 15 जून से क्षेत्र में धान रोपाई भी शुरू होनी है. ऐसे में वो शिष्टमंडल उप जिलाधिकारी से मिलकर कार्रवाई की मांग करेगा.

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