अल्मोड़ा/हरिद्वार: सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा को नौ दुर्गा और अष्ट भैरव की नगरी भी कहा जाता है. यहां नगर के अंदर भैरव के अलग-अलग रूपों के नौ मंदिर विराजमान हैं. मान्यता यह है कि भगवान भैरव शहर की सुरक्षा करते हैं. आज भैरव अष्टमी है. ऐसे में सोमवार को नगर के सभी भैरव मंदिर में पूजा पाठ और भंडारे का आयोजन किया गया. श्रद्धालु भैरव अष्टमी के दिन मंदिर में आकर पूजा पाठ और दर्शन कर रहे हैं. भैरव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ी है.
सांस्कृतिक और ऐतिहासिक नगरी अल्मोड़ा का स्थान धार्मिक और ऐतिहासिक रूप में काफी महत्वपूर्व है. अल्मोड़ा नगर के अंदर जहां आठ दुर्गा के मंदिर विराजमान है, वहीं 9 भैरव के मंदिर भी है. जिन्हें अलग-अलग नामों और रूपों में पूजा जाता है. शहर के अंतर्गत खुटकुनिया भैरव, काल भैरव, बटुक भैरव, शंकर भैरव, बाल भैरव, शै: भैरव, वन भैरव व लाल भैरव के मंदिर विराजमान हैं.
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सोमवार को भैरव अष्टमी के दिन मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालु पूजा पाठ के लिए पहुच रहे हैं. मंदिरों में भंडारे का आयोजन किया गया है. मंदिर में भोग लगाकर भैरव को प्रसन्न किया जा रहा है. मान्यता है कि सदियों से अष्ट भैरव व नौ दुर्गा इस शहर को सुरक्षित रखे हुए हैं. आपदाओं के वक्त ये दैवीय शक्तियां शहर को सुरक्षित निकाल लेती हैं.
हर साल मार्ग शीर्ष कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव अष्टमी मनाई जाती है. माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव का अवतरण हुआ था. काल भैरव अष्टमी के दिन भैरव जी की पूजा से भूत-प्रेत और ऊपरी बाधा आदि जैसी समस्याएं भी दूर होती हैं. हिंदू धर्म में काल भैरव जी की पूजा का विशेष महत्व होता है. इन्हें भगवान शिव का ही स्वरूप माना जाता है.
हरिद्वार में मनाई गई भैरव अष्टमी
हरिद्वार में कोरोना की वजह से इस बार भैरव अष्टमी का त्योहार बहुत ही सूक्ष्म रूप से मनाया गया. हरिद्वार के जूना अखाड़ा स्थित भैरव मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की गई. हर साल इस दिन भैरव मंदिर में श्रद्धालुओं की खासी भीड़ रहती है, लेकिन कोरोना के डर के चलते मंदिर में बहुत ही कम श्रद्धालु पहुंचे.
मंदिर के पुजारी केदार भारती ने बताया कि भैरव अष्टमी पर भगवान भैरव का विशेष श्रृंगार हुआ. इस दौरान हवन यज्ञ का आयोजन भी किया गया. कोरोना के डर की वजह से कम ही संख्या में श्रद्धालु मंदिर में दर्शन को पहुंच रहे हैं. सभी ने भैरव बाबा से कोरोना महामारी से मुक्ति दिलाने की कामना की. हर साल भैरव अष्टमी बड़ी धूमधाम से मनाई जाती थी. इस दिन जागरण और रात्रि के समय केक भी काटा जाता था. लेकिन इस बार कोरोना की वजह से न तो भैरव जागरण किया जा रहा है और ना ही भंडारा.