अल्मोड़ाः रानीखेत के चिलियानौला आयुर्वेदिक चिकित्सालय एवं रिसर्च सेंटर में आयुर्वेद व औषधीय पौधों के क्षेत्र में विकास की रणनीति को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि उच्च हिमालय औषधि, जड़ी-बूटियों के संरक्षण के लिए सभी को सामूहिक प्रयास करने होंगे. साथ ही विलुप्त हो रही जड़ी बूटियों के संर्वद्धन की जरूरत है. वहीं, उन्होंने लोगों को जड़ी-बूटियों की खेती के लिए प्रोत्साहित करने को कहा.
'उत्तराखंड राज्य में आयुर्वेद व औषधीय पौधों के क्षेत्र में विकास हेतु रणनीति' कार्यक्रम में सचिव आयुष राजेश कोटेचा ने कहा कि आयुर्वेद के क्षेत्र में अल्मोड़ा जिले में सराहनीय कार्य किया जा रहा है. अल्मोड़ा जिले को आयुर्वेद जिला बनाने का प्रयास किया जाएगा. इसके लिए राज्य सरकार से वार्ता की जाएगी. साथ ही कहा कि अल्मोड़ा में 50 बेड का आयुर्वेदिक अस्पताल खोलने के लिए राज्य सरकार से बात की जाएगी. जिससे स्थानीय लोगों को आयुर्वेद के इलाज का लाभ मिल सके.
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वहीं, सचिव आयुष ने कार्यक्रम में विभिन्न जिलों से आए 60 प्रगतिशील जड़ी-बूटी किसानों से भी वार्ता कर उनकी समस्याएं सुनीं. जिन पर उन्होंने किसानों की समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन दिया. साथ ही शॉल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का अधिकांश भाग पहाड़ी होने की वजह से यहां के किसानों के सामने कई समस्याएं आती है. ऐसे में उनके उत्पादित माल का सही मूल्य नहीं मिल पाता है. यहां की सबसे बड़ी समस्या जंगली जानवर और पलायन है. जिसके लिए हमें स्वरोजगार को अपनाना चाहिए.