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हिमालयी क्षेत्र में जड़ी-बूटियों का होगा संवर्धन, आयुर्वेदिक अस्पताल खोलने की कवायद तेज

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Published : Jan 22, 2020, 9:19 PM IST

'उत्तराखंड राज्य में आयुर्वेद व औषधीय पौधों के क्षेत्र में विकास हेतु रणनीति' कार्यक्रम में सचिव आयुष राजेश कोटेचा ने कहा कि अल्मोड़ा जिले को आयुर्वेद जिला बनाने का प्रयास किया जाएगा. साथ ही अल्मोड़ा में 50 बेड का आयुर्वेदिक अस्पताल खोलने के लिए राज्य सरकार से वार्ता की जाएगी.

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जड़ी बूटी

अल्मोड़ाः रानीखेत के चिलियानौला आयुर्वेदिक चिकित्सालय एवं रिसर्च सेंटर में आयुर्वेद व औषधीय पौधों के क्षेत्र में विकास की रणनीति को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि उच्च हिमालय औषधि, जड़ी-बूटियों के संरक्षण के लिए सभी को सामूहिक प्रयास करने होंगे. साथ ही विलुप्त हो रही जड़ी बूटियों के संर्वद्धन की जरूरत है. वहीं, उन्होंने लोगों को जड़ी-बूटियों की खेती के लिए प्रोत्साहित करने को कहा.

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कार्यशाला में जानकारी देते वक्ता.

'उत्तराखंड राज्य में आयुर्वेद व औषधीय पौधों के क्षेत्र में विकास हेतु रणनीति' कार्यक्रम में सचिव आयुष राजेश कोटेचा ने कहा कि आयुर्वेद के क्षेत्र में अल्मोड़ा जिले में सराहनीय कार्य किया जा रहा है. अल्मोड़ा जिले को आयुर्वेद जिला बनाने का प्रयास किया जाएगा. इसके लिए राज्य सरकार से वार्ता की जाएगी. साथ ही कहा कि अल्मोड़ा में 50 बेड का आयुर्वेदिक अस्पताल खोलने के लिए राज्य सरकार से बात की जाएगी. जिससे स्थानीय लोगों को आयुर्वेद के इलाज का लाभ मिल सके.

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आयुर्वेदिक चिकित्सालय एवं रिसर्च सेंटर चिलियानौला में कार्यशाला का आयोजन.

ये भी पढ़ेंः जज्बा! 4 से 5 फीट बर्फ के बीच घर-घर पहुंचकर पोलियो ड्रॉप पिलाने में जुटी एएनएम वर्कर्स

वहीं, सचिव आयुष ने कार्यक्रम में विभिन्न जिलों से आए 60 प्रगतिशील जड़ी-बूटी किसानों से भी वार्ता कर उनकी समस्याएं सुनीं. जिन पर उन्होंने किसानों की समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन दिया. साथ ही शॉल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का अधिकांश भाग पहाड़ी होने की वजह से यहां के किसानों के सामने कई समस्याएं आती है. ऐसे में उनके उत्पादित माल का सही मूल्य नहीं मिल पाता है. यहां की सबसे बड़ी समस्या जंगली जानवर और पलायन है. जिसके लिए हमें स्वरोजगार को अपनाना चाहिए.

अल्मोड़ाः रानीखेत के चिलियानौला आयुर्वेदिक चिकित्सालय एवं रिसर्च सेंटर में आयुर्वेद व औषधीय पौधों के क्षेत्र में विकास की रणनीति को लेकर कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि उच्च हिमालय औषधि, जड़ी-बूटियों के संरक्षण के लिए सभी को सामूहिक प्रयास करने होंगे. साथ ही विलुप्त हो रही जड़ी बूटियों के संर्वद्धन की जरूरत है. वहीं, उन्होंने लोगों को जड़ी-बूटियों की खेती के लिए प्रोत्साहित करने को कहा.

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कार्यशाला में जानकारी देते वक्ता.

'उत्तराखंड राज्य में आयुर्वेद व औषधीय पौधों के क्षेत्र में विकास हेतु रणनीति' कार्यक्रम में सचिव आयुष राजेश कोटेचा ने कहा कि आयुर्वेद के क्षेत्र में अल्मोड़ा जिले में सराहनीय कार्य किया जा रहा है. अल्मोड़ा जिले को आयुर्वेद जिला बनाने का प्रयास किया जाएगा. इसके लिए राज्य सरकार से वार्ता की जाएगी. साथ ही कहा कि अल्मोड़ा में 50 बेड का आयुर्वेदिक अस्पताल खोलने के लिए राज्य सरकार से बात की जाएगी. जिससे स्थानीय लोगों को आयुर्वेद के इलाज का लाभ मिल सके.

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आयुर्वेदिक चिकित्सालय एवं रिसर्च सेंटर चिलियानौला में कार्यशाला का आयोजन.

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वहीं, सचिव आयुष ने कार्यक्रम में विभिन्न जिलों से आए 60 प्रगतिशील जड़ी-बूटी किसानों से भी वार्ता कर उनकी समस्याएं सुनीं. जिन पर उन्होंने किसानों की समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन दिया. साथ ही शॉल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड का अधिकांश भाग पहाड़ी होने की वजह से यहां के किसानों के सामने कई समस्याएं आती है. ऐसे में उनके उत्पादित माल का सही मूल्य नहीं मिल पाता है. यहां की सबसे बड़ी समस्या जंगली जानवर और पलायन है. जिसके लिए हमें स्वरोजगार को अपनाना चाहिए.

Intro:आयुर्वेदिक चिकित्सालय एवं रिसर्च सेन्टर चिलियानौला रानीखेत में आज उत्तराखण्ड राज्य में आयुर्वेद एवं औषधीय पौधों के क्षेत्र में विकास हेतु रणनीति पर आधारित कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि उच्च हिमालय औषधि, जड़ी-बूटियों के संरक्षण के लिये हमें सामूहिक प्रयास करने होंगे । विलुप्त हो रही उच्च हिमालय औषधि जड़ी बूटियों का संर्वद्धन किया जाना अति आवश्यक है। सचिव ने कहा कि लोगों को अधिक से अधिक आयुर्वेद की खेती के लिये प्रोत्साहित किया जाय। 

Body:सचिव आयुष ने अपने सम्बोधन में कहा कि आयुर्वेद के क्षेत्र में जनपद अल्मोड़ा द्वारा सराहनीय कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अल्मोड़ा जिलें को आयुर्वेद जिला बनाने का प्रयास किया जायेगा, इसके लिये राज्य सरकार से वार्ता की जायेगी। उन्होंने कहा कि जनपद अल्मोड़ा में 50 बेड का आयुवैदिक चिकित्सालय खोलने के लिये राज्य सरकार से वार्ता की जायेगी । जिससे यहां के लोगों का आयुर्वेद इलाज हो सकेगा। उन्होंने कहा कि आयुष मंत्रालय द्वारा आयुर्वेद के अनेक क्षेत्रों में कार्य किया जा रहा है। 
इस अवसर पर अन्य जनपदों से आये 60 प्रगतिशील जडी-बूटी किसानों से वार्ता की और उनकी समस्यायें सुनी जिन पर सचिव द्वारा समस्याओं का निदान करने का आश्वासन दिया और उनको शाॅल ओढाकर व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड का अधिकांश भाग पहाड़ी होने की वजह से यहां के किसानों की अनेक समस्यायें हैं जिस कारण उनके उत्पादित माल का सही मूल्य नहीं मिल पाता है।
 उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को पठन-पाठन से आगे निकलकर लोगों की समस्याओं को हल करने के लिये कार्य करना चाहिये। उन्होंने कहा कि यहां की सबसे बड़ी समस्या जंगली जानवरों व पलायन है ,जिसके लिये हमें स्वरोजगार को अपनाना चाहियें। उन्होंने कहा कि जो भी नीति बनाने में समस्यायें आ रही है उसके लिये राज्य सरकार से पत्राचार किया जायेगा। Conclusion:
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