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उद्गम स्थल से पेयजल योजना बनाने से ग्रामीणों में रोष, उग्र आंदोलन की दी चेतावनी - almora news

मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट 'कोसी नदी पुनर्जनन योजना' के तहत पिनाथेश्वर की पहाड़ी से बागेश्वर जिले के लिए एक पेयजल योजना का निर्माण किया जा रहा है. जिसके बाद से ग्रामीणों में रोष बना हुआ है.

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उद्गम स्थल से पेयजल योजना बनाने को लेकर ग्रामीणों में रोष
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Published : Dec 13, 2019, 7:20 AM IST

सोमेश्वर: 'कोसी नदी पुनर्जनन योजना' सीएम त्रिवेंद्र रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है. लेकिन बागेश्वर जिला प्रशासन द्वारा इसके उद्गम स्थल से पेयजल योजना बनाने की जानकारी मिलते ही ग्रामीणों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है. इसके विरोध में सभी ग्रामीण आगामी 15 दिसंबर को ग्राम छानी के पंचायत घर में क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधियों और जन प्रतिनिधियों की एक बैठक करेंगे. जिसमें कोसी नदी के अस्तित्व पर खतरे से निपटने के लिए अग्रिम रणनीति तय करेंगे.

उद्गम स्थल से पेयजल योजना बनाने को लेकर ग्रामीणों में रोष

दरअसल, ग्रामीणों को भनक लगी है कि मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट 'कोसी नदी पुनर्जनन योजना' के तहत पिनाथेश्वर की पहाड़ी से बागेश्वर जिले के लिए एक पेयजल योजना का निर्माण किया जा रहा है. जिसके बाद से ही उनमें काफी रोष बना हुआ है. उनका कहना है कि कोसी नदी पर पिनाथेश्वर की पहाड़ी के नीचे ग्राम कांटली, मठ, रौलयाणा, कफाड़ी, पच्चीसी, सहित सोमेश्वर के दर्जनों गांव, हवालबाग विकास खंड और जिला मुख्यालय अल्मोड़ा के नागरिक सिंचाई और पेयजल हेतु नदी पर निर्भर हैं. ग्रमीणों का आरोप है कि नदी के जलस्रोतों को रिचार्ज करने के बजाय प्रशासन इसके उदगम स्थल पिनाथेश्वर की पहाड़ी से 6 इंच पानी टेप कर सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट पर पलीता लगाने की कवायद में जुटा है.

पढ़ें- बारातियों से भरी गाड़ी गहरी खाई में गिरी, एक की मौत, 10 घायल

वन सरपंच संगठन ताकुला के अध्यक्ष कैलाश चंद्र जोशी का कहना है कि उन्होंने बागेश्वर जिला प्रशासन के इस मनमाने रवैए का विरोध करते हुए अल्मोड़ा जिला अधिकारी को पत्र भेजा है. अगर कोसी नदी से उक्त योजना का निर्माण शुरू किया गया तो ग्रामीण सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने को विवश होंगे. उनका कहना है कि 'कोसी नदी पुनर्जनन योजना' मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है. करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी कोसी नदी का जलस्तर बढ़ने के कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं और ठीक इसके उलट नदी के उद्गम स्रोत में जो कुछ पानी बचा है उसे बागेश्वर जिले के लिए 6 ईंच मोटी पेयजल योजना बनाकर पानी को टेप किया जा रहा है.

सोमेश्वर: 'कोसी नदी पुनर्जनन योजना' सीएम त्रिवेंद्र रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है. लेकिन बागेश्वर जिला प्रशासन द्वारा इसके उद्गम स्थल से पेयजल योजना बनाने की जानकारी मिलते ही ग्रामीणों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है. इसके विरोध में सभी ग्रामीण आगामी 15 दिसंबर को ग्राम छानी के पंचायत घर में क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधियों और जन प्रतिनिधियों की एक बैठक करेंगे. जिसमें कोसी नदी के अस्तित्व पर खतरे से निपटने के लिए अग्रिम रणनीति तय करेंगे.

उद्गम स्थल से पेयजल योजना बनाने को लेकर ग्रामीणों में रोष

दरअसल, ग्रामीणों को भनक लगी है कि मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट 'कोसी नदी पुनर्जनन योजना' के तहत पिनाथेश्वर की पहाड़ी से बागेश्वर जिले के लिए एक पेयजल योजना का निर्माण किया जा रहा है. जिसके बाद से ही उनमें काफी रोष बना हुआ है. उनका कहना है कि कोसी नदी पर पिनाथेश्वर की पहाड़ी के नीचे ग्राम कांटली, मठ, रौलयाणा, कफाड़ी, पच्चीसी, सहित सोमेश्वर के दर्जनों गांव, हवालबाग विकास खंड और जिला मुख्यालय अल्मोड़ा के नागरिक सिंचाई और पेयजल हेतु नदी पर निर्भर हैं. ग्रमीणों का आरोप है कि नदी के जलस्रोतों को रिचार्ज करने के बजाय प्रशासन इसके उदगम स्थल पिनाथेश्वर की पहाड़ी से 6 इंच पानी टेप कर सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट पर पलीता लगाने की कवायद में जुटा है.

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वन सरपंच संगठन ताकुला के अध्यक्ष कैलाश चंद्र जोशी का कहना है कि उन्होंने बागेश्वर जिला प्रशासन के इस मनमाने रवैए का विरोध करते हुए अल्मोड़ा जिला अधिकारी को पत्र भेजा है. अगर कोसी नदी से उक्त योजना का निर्माण शुरू किया गया तो ग्रामीण सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने को विवश होंगे. उनका कहना है कि 'कोसी नदी पुनर्जनन योजना' मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है. करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी कोसी नदी का जलस्तर बढ़ने के कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं और ठीक इसके उलट नदी के उद्गम स्रोत में जो कुछ पानी बचा है उसे बागेश्वर जिले के लिए 6 ईंच मोटी पेयजल योजना बनाकर पानी को टेप किया जा रहा है.

Intro:कोसी नदी पुनर्जनन योजना सीएम त्रिवेंद्र रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट में सम्मिलित है लेकिन बागेश्वर जिला प्रशासन द्वारा इसके उदगम स्थल से पेयजल योजना बनाने की जानकारी मिलते ही अल्मोड़ा जिले के अंतर्गत कोसी की तलहटी में बसे गांवों के ग्रामीणों ने इसका पुरजोर विरोध शुरू कर दिया है। आरोप है कि नदी के जलस्रोतों को रिचार्ज करने के बजाय प्रशासन इसके उदगम स्थल पिनाथेश्वर की पहाड़ी से 6 इंच पानी टेप कर सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट पर पलीता लगाने की कवायद में जुटा है।Body:सोमेश्वर। मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट 'कोसी नदी पुनर्जनन योजना' के उद्गम स्थली पिनाथेश्वर की पहाड़ी से बागेश्वर जिले के लिए एक पेयजल योजना का निर्माण किए जाने की भनक लगने पर कोसी नदी की तलहटी में बसे गांवों के ग्रामीण भड़क उठे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कोसी नदी पर पिनाथेश्वर की पहाड़ी के नीचे ग्राम कांटली, मठ, रौलयाणा, कफाड़ी, पच्चीसी, ल्वेशाल छानी, धौलरा, टोटासीलिंग, जीतब, गुरुडा सहित सोमेश्वर घाटी के दर्जनों गांव के अलावा हवालबाग विकास खंड व जिला मुख्यालय अल्मोड़ा के नागरिक सिंचाई और पेयजल हेतु नदी पर निर्भर है। और बागेश्वर जिले के लिए बनाई जा रही पेयजल योजना से कोसी नदी की जल धाराओं के अस्तित्व पर खतरा पैदा जो जाएगा।
वन सरपंच संगठन ताकुला के अध्यक्ष कैलाश चंद्र जोशी का कहना है कि उन्होंने बागेश्वर जिला प्रशासन के इस मनमाने रवैए का विरोध करते हुए अल्मोड़ा जिला अधिकारी को पत्र भेजा है। जिसमें चेतावनी दी गई है कि अगर कोसी नदी से उक्त योजना का निर्माण शुरू किया गया तो ग्रामीण सदानीरा कोसी के लिए सड़कों पर उतर कर आंदोलन करने को विवश होंगे। जिलाधिकारी को भेजे गए पत्र में ग्रामीणों ने जिक्र किया है की कोसी नदी पुनर्जनन योजना मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट भी माना जाता है। करोड़ों रुपया खर्च करने के बावजूद भी कोसी नदी का जलस्तर बढ़ने के कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं और ठीक इसके उलट नदी के उद्गम स्रोत में जो कुछ पानी बचा है उसे बागेश्वर जिले के लिए 6 ईंच मोटी पेयजल योजना बनाकर पानी को टेप किए जाने की योजना है जिससे कोसी नदी के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।
ग्रामीणों ने यह भी तय किया है कि आगामी 15 दिसंबर को ग्राम छानी के पंचायत घर में इस ज्वलंत मुद्दे को लेकर क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधियों और जन प्रतिनिधियों की एक आवश्यक बैठक आहूत की गई है। जिसमें कोसी नदी के अस्तित्व पर गुजर रहे खतरे से निपटने के लिए अग्रिम रणनीति तय की जाएगी। जिलाधिकारी को भेजे गए पत्र में वन सरपंच संगठन अध्यक्ष एवं धौलरा के ग्राम प्रधान कैलाश चंद्र जोशी कांटली के पूर्व प्रधान गिरीश चंद्र कांडपाल, पूर्व प्रधान पूरन चंद्र कांडपाल, मदन मोहन, मुन्नी कांडपाल, मोहन राम हरिदत्त कांडपाल चंदन सिंह बिष्ट, हरीश कांडपाल, पूरन सिंह वल्दिया, विमला कांडपाल, किशोर चंद्र भट्ट, नारायण दत्त जोशी, नंदी देवी, ललित कांडपाल, पार्वती देवी, बची राम, मुन्नी भट्ट, हरीश राम, रमेश चंद्र सिंह, राजेंद्र आर्य और ललित मोहन सहित दर्जनों ग्रामीणों के हस्ताक्षर सम्मिलित हैं।Conclusion:ग्रामीणों ने जिलाधिकारी अल्मोड़ा को पत्र भेजकर शीघ्र योजना को बंद नही करने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। इस मामले में क्षेत्र की महिलाएं भी मुखर हो रही हैं उनका कहना है कि योजना बनने से कोसी का वजूद खतरे में पड़ जायेगा।
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