ETV Bharat / state

गोल्ज्यू के मंदिर में श्रद्धालुओं का टोटा, घंटी वालों को कौन देगा न्याय ?

अल्मोड़ा का गोलू देवता का मंदिर न्याय के लिए देश भर में प्रसिद्ध है. देशभर से यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु मन्नत मांगते हैं. मन्नत पूरी होने पर वह यहां पहुंचकर मंदिर में घंटी चढ़ाते हैं. लेकिन कोरोना महामारी के बाद यहां पर श्रद्धालुओं की संख्या में भारी कमी आई है. ऐसे में घंटी के व्यवसाय से जुड़े लोगों पर आजीविका का संकट खड़ा हो गया है.

almora golu devta temple in corona crisis
गोलू देवता के मंदिर में नहीं पहुंच रहे हैं श्रद्धालु.
author img

By

Published : Oct 5, 2020, 12:24 PM IST

Updated : Oct 5, 2020, 12:59 PM IST

अल्मोड़ा: जिले के चितई नामक जगह पर स्थित गोलू देवता का मंदिर देश में न्याय के देवता के मंदिर के तौर पर प्रसिद्ध है. मान्यता यह है कि जिसको अदालतों से न्याय नहीं मिल पाता है, उसे गोलू देवता के दरबार में न्याय मिलता है. यही कारण है कि हर साल लाखों की संख्या में यहां फरियादी पहुंचते हैं और मन्नतें मांगते हैं. श्रद्धालु अपनी फरियाद को यहां अर्जी के रूप में लिखकर मंदिर में टांग जाते हैं.

गोलू देवता के मंदिर में नहीं पहुंच रहे हैं श्रद्धालु.

मन्नतें पूरी होने के बाद श्रद्धालु दोबारा गोलू देवता के दरबार में पहुंचकर घंटी चढ़ाते हैं. यहां टंगी लाखों की संख्या में घंटिया और अर्जियां इस बात की गवाह हैं कि चितई के गोलू देवता के मंदिर से लाखों श्रद्धालुओं की मन्नतें अब तक पूरी हुईं होंगी. लेकिन कोरोना के कारण बीते 6 महीनों में मंदिर में चढ़ने वाली घंटियों की रफ्तार भी थम सी गयी है. इस कारण मंदिर के परिसर में घंटी समेत अन्य पूजा-पाठ का सामान बेचकर अपनी आजीविका चलाने वाले दुकानदारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

यह भी पढ़ें-लॉकडाउन में पटरी से उतरा मुनस्यारी का पर्यटन, अनलॉक से उम्मीद

मंदिर परिसर में घंटियां बेचकर अपना परिवार चला रहे दुकानदारों का कहना है कि चितई मंदिर में भारी संख्या में श्रद्धालु देशभर से पहुंचते थे, जिससे इस परिसर में करीब ढाई दर्जन लोगों का घंटी समेत अन्य पूजा-पाठ का सामान बेचकर परिवार चलता था. उनका कहना है कोरोना से पहले हर महीने हर दुकानदार 10 हजार से अधिक की घंटिया बेचता था. लेकिन कोरोना के बाद उनका यह कारोबार खत्म हो गया है.

आज हालात यह हो गये हैं कि लोगों को अपना घर चलाना मुश्किल हो गया है. हालांकि बीते दिनों केंद्र और राज्य सरकार की ओर से पर्यटकों को आने की छूट मिलने के बाद अब पर्यटकों ने पहाड़ चढ़ना शुरू कर दिया है. लेकिन मंदिर में पहले वाली रौनक अभी भी गायब है.

अल्मोड़ा: जिले के चितई नामक जगह पर स्थित गोलू देवता का मंदिर देश में न्याय के देवता के मंदिर के तौर पर प्रसिद्ध है. मान्यता यह है कि जिसको अदालतों से न्याय नहीं मिल पाता है, उसे गोलू देवता के दरबार में न्याय मिलता है. यही कारण है कि हर साल लाखों की संख्या में यहां फरियादी पहुंचते हैं और मन्नतें मांगते हैं. श्रद्धालु अपनी फरियाद को यहां अर्जी के रूप में लिखकर मंदिर में टांग जाते हैं.

गोलू देवता के मंदिर में नहीं पहुंच रहे हैं श्रद्धालु.

मन्नतें पूरी होने के बाद श्रद्धालु दोबारा गोलू देवता के दरबार में पहुंचकर घंटी चढ़ाते हैं. यहां टंगी लाखों की संख्या में घंटिया और अर्जियां इस बात की गवाह हैं कि चितई के गोलू देवता के मंदिर से लाखों श्रद्धालुओं की मन्नतें अब तक पूरी हुईं होंगी. लेकिन कोरोना के कारण बीते 6 महीनों में मंदिर में चढ़ने वाली घंटियों की रफ्तार भी थम सी गयी है. इस कारण मंदिर के परिसर में घंटी समेत अन्य पूजा-पाठ का सामान बेचकर अपनी आजीविका चलाने वाले दुकानदारों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

यह भी पढ़ें-लॉकडाउन में पटरी से उतरा मुनस्यारी का पर्यटन, अनलॉक से उम्मीद

मंदिर परिसर में घंटियां बेचकर अपना परिवार चला रहे दुकानदारों का कहना है कि चितई मंदिर में भारी संख्या में श्रद्धालु देशभर से पहुंचते थे, जिससे इस परिसर में करीब ढाई दर्जन लोगों का घंटी समेत अन्य पूजा-पाठ का सामान बेचकर परिवार चलता था. उनका कहना है कोरोना से पहले हर महीने हर दुकानदार 10 हजार से अधिक की घंटिया बेचता था. लेकिन कोरोना के बाद उनका यह कारोबार खत्म हो गया है.

आज हालात यह हो गये हैं कि लोगों को अपना घर चलाना मुश्किल हो गया है. हालांकि बीते दिनों केंद्र और राज्य सरकार की ओर से पर्यटकों को आने की छूट मिलने के बाद अब पर्यटकों ने पहाड़ चढ़ना शुरू कर दिया है. लेकिन मंदिर में पहले वाली रौनक अभी भी गायब है.

Last Updated : Oct 5, 2020, 12:59 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.