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मलेरिया के रोगी में पाया गया दुर्लभ प्रजाति का परजीवी, पुष्टि हुई तो होगा देश का पहला मामला

जिला अस्पताल में मरीज के इलाज के दौरान मलेरिया की एक दुर्लभ प्रजाति के परजीवी की खोज हुई है. डॉक्टर के अनुसार मरीज का ब्लड सेंपल एनआईएमआर दिल्ली और मलेरिया सेंटर भेजा जा रहा है. अगर रिपोर्ट सही साबित होती है तो भारत में यह पहला मामला होगा.

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Published : Jul 31, 2019, 6:50 AM IST

Updated : Jul 31, 2019, 6:57 AM IST

मलेरिया से पी़ड़ित मरीज की रक्त जांच में दुर्लभ प्रजाति के परजीवी की खोज.

अल्मोड़ा: जिला अस्पताल में मरीज के इलाज के दौरान मलेरिया की एक दुर्लभ प्रजाति के परजीवी की खोज हुई है. अस्पताल में तैनात चिकित्सकों का दावा है कि मलेरिया प्लाज्मोडियम का यह परजीवी भारत में पहली बार देखा गया है. डॉक्टर के अनुसार मरीज का ब्लड सैंपल एनआईएमआर दिल्ली और मलेरिया सेंटर भेजा जा रहा है. यदि रिपोर्ट सही साबित होती है तो भारत में यह पहला मामला होगा.

जानकारी देते डॉ अखिलेश.

एमडी पैथोलॉजिस्ट अखिलेश ने बताया कि विगत दिनों जिला अस्पताल में ठंड और बुखार से पीड़ित एक 62 वर्षीय मरीज इलाज के लिए आए थे. जिनका ब्लड सैंपल लिया गया था. टेस्ट में मरीज के मलेरिया से पीड़ित होने की पुष्टि हुई थी. वहीं, ब्लड सेंपल की जांच के दौरान उन्हें प्लाजमोडियम की एक अलग प्रजाति दिखाई दी. साथ ही बताया कि अभी तक भारत में मलेरिया के कारणों के लिए चार प्रजातियां ही देखी गई हैं जिनमें फैल्सीफेरम, वाइवैक्स, मलेरी और ओवेल है. लेकिन इस केस में उन्हें एक नई एक प्रजाति दिखाई दी है. जो प्लाजमोडियम नोवेल्सी से मिलता जुलता है.

उन्होंने कहा कि यह प्रजाति उन्होंने माइक्रोस्कोपिक स्लाइड पर देखी है. अब इसके आगे की जांच की आवश्यकता है. जिसके लिए वह इस ब्लड सेंपल को एनआईएमआर दिल्ली एवं मलेरिया सेंटर लखनऊ पुष्टी के लिए भेज रहे है.साथ ही डॉ. अखिलेश ने बताया कि यह दुर्लभ प्रजाति का परजीवी होता है जो भारत में अभी तक सामने नहीं आया है.

ये भी पढ़े: मोदी मैजिकः केदारनाथ के बाद कॉर्बेट पार्क में भी चलेगा जादू, जानिए क्या है मामला

वहीं, पैथोलॉजिस्ट डॉ. अखिलेश ने बताया कि सबसे पहले प्रजाति को 1931 में डॉ. आर नोवेल्स एवं डा. बीएमदास गुप्ता ने बंदरों पर यह परजीवी पाया था. साथ ही उन्होंने बताया कि मलेरिया के कारणों के लिए यह प्रजाति विदेशों में तो देखी गई है लेकिन अगर लैब से इसकी पुष्टि हो जाती है तो भारत में मनुष्य में पाई जाने वाली यह पहली प्रजाति होगी. हालांकि, उनका कहना है कि इस प्रजाति का मलेरिया ज्यादा घातक नहीं है जिसका इलाज भी सामान्य है. लेकिन यह भारत में कम पाया जाता है.

अल्मोड़ा: जिला अस्पताल में मरीज के इलाज के दौरान मलेरिया की एक दुर्लभ प्रजाति के परजीवी की खोज हुई है. अस्पताल में तैनात चिकित्सकों का दावा है कि मलेरिया प्लाज्मोडियम का यह परजीवी भारत में पहली बार देखा गया है. डॉक्टर के अनुसार मरीज का ब्लड सैंपल एनआईएमआर दिल्ली और मलेरिया सेंटर भेजा जा रहा है. यदि रिपोर्ट सही साबित होती है तो भारत में यह पहला मामला होगा.

जानकारी देते डॉ अखिलेश.

एमडी पैथोलॉजिस्ट अखिलेश ने बताया कि विगत दिनों जिला अस्पताल में ठंड और बुखार से पीड़ित एक 62 वर्षीय मरीज इलाज के लिए आए थे. जिनका ब्लड सैंपल लिया गया था. टेस्ट में मरीज के मलेरिया से पीड़ित होने की पुष्टि हुई थी. वहीं, ब्लड सेंपल की जांच के दौरान उन्हें प्लाजमोडियम की एक अलग प्रजाति दिखाई दी. साथ ही बताया कि अभी तक भारत में मलेरिया के कारणों के लिए चार प्रजातियां ही देखी गई हैं जिनमें फैल्सीफेरम, वाइवैक्स, मलेरी और ओवेल है. लेकिन इस केस में उन्हें एक नई एक प्रजाति दिखाई दी है. जो प्लाजमोडियम नोवेल्सी से मिलता जुलता है.

उन्होंने कहा कि यह प्रजाति उन्होंने माइक्रोस्कोपिक स्लाइड पर देखी है. अब इसके आगे की जांच की आवश्यकता है. जिसके लिए वह इस ब्लड सेंपल को एनआईएमआर दिल्ली एवं मलेरिया सेंटर लखनऊ पुष्टी के लिए भेज रहे है.साथ ही डॉ. अखिलेश ने बताया कि यह दुर्लभ प्रजाति का परजीवी होता है जो भारत में अभी तक सामने नहीं आया है.

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वहीं, पैथोलॉजिस्ट डॉ. अखिलेश ने बताया कि सबसे पहले प्रजाति को 1931 में डॉ. आर नोवेल्स एवं डा. बीएमदास गुप्ता ने बंदरों पर यह परजीवी पाया था. साथ ही उन्होंने बताया कि मलेरिया के कारणों के लिए यह प्रजाति विदेशों में तो देखी गई है लेकिन अगर लैब से इसकी पुष्टि हो जाती है तो भारत में मनुष्य में पाई जाने वाली यह पहली प्रजाति होगी. हालांकि, उनका कहना है कि इस प्रजाति का मलेरिया ज्यादा घातक नहीं है जिसका इलाज भी सामान्य है. लेकिन यह भारत में कम पाया जाता है.

Intro:
अल्मोड़ा जिला अस्पताल में मरीज के इलाज के दौरान मलेरिया के एक दुर्लभ प्रजाति के परजीवी की खोज हुई है। यहां तैनात चिकित्सकों का दावा है कि मलेरिया प्लाज्मोडियम का यह परिजीवी भारत में पहली बार देखा गया है। डॉक्टर के अनुसार मरीज का ब्लड सेंपल एनआईएमआर दिल्ली और मलेरिया सेंटर भेजा जा रहा है। वहाँ यदि यह रिपोर्ट सही साबित हो गई तो यह भारत का पहला मामला होगा।
Body:अल्मोड़ा जिला चिकित्सालय में तैनात एमडी पैथोलाॅजिस्ट डा. अखिलेश ने बताया विगत दिनों जिला अस्पताल में ठंड और बुखार से पीड़ित उनके पास बरेली के रहने वाले एक 62 वर्ष के व्यक्ति पहुंचे। जिनका ब्लड सेंपल लिया गया। उनके ब्लड सेंपल को स्लाइड में लेकर माइक्रोस्कोप में देखा गया। जिसके बाद उन्हें मलेरिया से पीड़ित होने की पुष्टि हुई। उन्होंने कहा कि उनके ब्लड सेंपल की जांच के दौरान उन्हें प्लाजमोडियम की एक अलग प्रजाति दिखाई दी। उनका कहना हैं कि अभी तक भारत में मलेरिया के कारणों के लिए चार प्रजातियां ही देखी गई हैं। जिनमें फैल्सीफेरम, वाइवैक्स, मलेरी और ओवेल है। लेकिन इस केश में उन्हें इन चारों प्रजातियाें से अलग तरह की एक प्रजाति दिखाई दी है। जो प्लाजमोडियम नोवेल्सी से मिलता जुलता है। उन्होंने कहा कि यह प्रजाति उन्होंने माइक्रोस्कोपिक स्लाइड पर देखी हैं अब इसके आगे की जांच की आवश्यकता है। इसके लिए वह इस ब्लड सेंपल को एनआईएमआर दिल्ली एवं मलेरिया सेंटर लखनऊ पुष्टी के लिए भेज रहे है।
डॉ अखिलेश का कहना है कि मलेरिया का यह दुर्लभ प्रजाति का परजीवी होता है जो भारत में अभी तक सामने नहीं आया है।

पैथोलाजिस्ट डॉ. अखिलेश कहना है कि सबसे पहले इस पांचवी प्रजाति को 1931 में डॉ. आर नोवेल्स एवं डा. बीएमदास गुप्ता ने बंदरों पर पाया था। साथ ही उन्होंने बताया कि मलेरियां के कारणों के लिए यह प्रजाति विदेशों में तो देखी गई है लेकिन अगर लैब से इसकी पुष्टी हो जाती है तो भारत में मनुष्य में पाई जाने वाली पहली प्रजाति होगी।
हालांकि उनका कहना है कि इस प्रजाति का मलेरिया ज्यादा घातक नही बल्कि सामान्य मलेरिया की तरह ही है जिसका इलाज भी सामान्य है लेकिन यह भारत मे कम पाया जाता है।

बाईट- डा. अखिलेश , एमडी पैथोलाॅजिस्ट
         जिला अस्पताल के

Conclusion:
Last Updated : Jul 31, 2019, 6:57 AM IST
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