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रानीखेत: बड़गाम दिवस पर मेजर सोमनाथ शर्मा और साथी शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि

बड़गाम दिवस कुमाऊं रेजीमेंट सेंटर के सोमनाथ मैदान में परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा और उनके शहीद साथियों को श्रद्धांजलि दी गई. बड़गाम दिवस प्रतिवर्ष 3 नवंबर को भारतीय सेना द्वारा मनाया जाता है.

शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि
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Published : Nov 3, 2019, 5:47 PM IST

रानीखेत: बड़गाम दिवस के मौके पर देश के प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा (मरणोपरांत) व शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई. श्रद्धांजलि सभा का आयोजन कुमाऊं रेजीमेंट सेंटर के सोमनाथ मैदान में किया गया. मेजर सोमनाथ शर्मा ने कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित कबायलियों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे. सभा में मेजर सोमनाथ के साथ ही रेजीमेंट के साथियों को भी याद किया गया.

बता दें, देश के प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा को बड़गाम लड़ाई की 73वीं लड़ाई दिवस के अवसर पर कुमाऊं रेजीमेंट सेंटर के युद्ध स्मारक में श्रद्धांजलि दी गई. 3 नवंबर को प्रति वर्ष सेना द्वारा बड़गाम दिवस के रूप में मनाया जाता है. अक्टूबर 1947 में पाकिस्तान समर्थक कबायलियों ने कश्मीर पर हमला कर दिया था, इस दौरान 3 नवंबर 1947 को कश्मीर के बड़गाम की लड़ाई लडी गई थी. इस युद्ध में कबायलियों का इरादा श्रीनगर टाउन और श्रीनगर एयरफील्ड पर कब्जा करने का था.

ये भी पढ़ेंःकोस्टगार्ड के अपर महानिदेशक बने कृपा नौटियाल, उत्तराखंड के हैं निवासी

मेजर सोमनाथ शर्मा और उनकी कंपनी के जवानों ने बहादुरी का परिचय देते हुए डट कर कबायलियों का सामना किया था. मेजर शर्मा ने कंपनी के जवानों के साथ 6 घंटे तक दुश्मन को रोके रखा. भारतीय सेना को उनके कंपनी के लिए सहायता भेजने का समय मिल गया, जिससे श्रीनगर शहर और एयर फील्ड दुश्मनों के हाथों में जाने से बचा लिया गया. मेजर शर्मा के इस बहादुरी लिए उनको मरणोपरांत स्वतंत्र भारत के पहले सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.

रानीखेत: बड़गाम दिवस के मौके पर देश के प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा (मरणोपरांत) व शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई. श्रद्धांजलि सभा का आयोजन कुमाऊं रेजीमेंट सेंटर के सोमनाथ मैदान में किया गया. मेजर सोमनाथ शर्मा ने कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित कबायलियों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे. सभा में मेजर सोमनाथ के साथ ही रेजीमेंट के साथियों को भी याद किया गया.

बता दें, देश के प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा को बड़गाम लड़ाई की 73वीं लड़ाई दिवस के अवसर पर कुमाऊं रेजीमेंट सेंटर के युद्ध स्मारक में श्रद्धांजलि दी गई. 3 नवंबर को प्रति वर्ष सेना द्वारा बड़गाम दिवस के रूप में मनाया जाता है. अक्टूबर 1947 में पाकिस्तान समर्थक कबायलियों ने कश्मीर पर हमला कर दिया था, इस दौरान 3 नवंबर 1947 को कश्मीर के बड़गाम की लड़ाई लडी गई थी. इस युद्ध में कबायलियों का इरादा श्रीनगर टाउन और श्रीनगर एयरफील्ड पर कब्जा करने का था.

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मेजर सोमनाथ शर्मा और उनकी कंपनी के जवानों ने बहादुरी का परिचय देते हुए डट कर कबायलियों का सामना किया था. मेजर शर्मा ने कंपनी के जवानों के साथ 6 घंटे तक दुश्मन को रोके रखा. भारतीय सेना को उनके कंपनी के लिए सहायता भेजने का समय मिल गया, जिससे श्रीनगर शहर और एयर फील्ड दुश्मनों के हाथों में जाने से बचा लिया गया. मेजर शर्मा के इस बहादुरी लिए उनको मरणोपरांत स्वतंत्र भारत के पहले सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.

Intro:बड़गाम दिवस के मौके पर परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा व शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि
रानीखेत। कुमाऊं रेजीमेंट सेंटर के सोमनाथ मैदान में प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा को बड़गाम लड़ाई की 73वीं लड़ाई दिवस के अवसर पर कुमाऊं रेजीमेंट सेंटर के युद्ध स्माारक पर श्रद्धांजलि दी गई। बता दें कि 3 नवंबर को प्रति वर्ष सेना द्वारा बड़गाम दिवस के रूप में मनाया जाता है। अक्टूबर 1947 में पाकिस्तानी फौज के समर्थन से कबायलियों ने कश्मीर पर हमला कर दिया था। इसी युद्ध के दौरान 3 नवंबर 1947 को कश्मीर के बड़गाम में एक लड़ाई लडी गई। जिसे बड़गाम की लड़ाई के नाम से जाना जाता है। इस युद्ध में कबायलियों का इरादा श्रीनगर टाउन और श्रीनगर एयरफील्ड पर कब्जा करने का था। 3 नवंबर 1947 को मेजर सोमनाथ शर्मा के नेतृत्व में 4 कुमाऊं की डी कंपनी गश्त को अंजाम दे रही थी। घुसपैठियों ने चारों तरफ से मेजर सोमनाथ शर्मा व कंपनी को घेर लिया। मेजर सोमनाथ शर्मा और उनकी कंपनी के जवानों ने बहादुरी का परिचय देते हुए डट कर कबायलियों का सामना किया। मेजर सोमनाथ शर्मा ने शहीद होने से कुछ क्षण पहले ब्रिगेड मुख्यालय को एक संदेश भेजा जिसमें कहा गया कि ’’दुश्मन हमसे 50 गज की दूरी पर है। दुश्मन हमसे कई गुना संख्या में है लेकिन मैं एक इंच भी पीछे नही हटूंगा और अंतिम जवान व अंतिम राउंड तक लड़ता रहूंगा’’। कंपनी ने 6 घंटे तक दुश्मन को रोके रखा तथा भारतीय सेना को उनके लिए सहायता भेजने का समय मिल गया जिससे श्रीनगर शहर व एयर फील्ड दुश्मनों के हाथों में जाने से बचा लिया गया।
Body:इस बहादुरी व सर्वोच्च बलिदान के लिए मेजर सोमनाथ शर्मा को मरणोपरांत स्वतंत्र भारत के पहले सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर वीर शहीदों को सेना अधिकारियों द्वारा सेना के सोमनाथ मैदान में उन्हें नमन कर श्रद्धांजलि दी गई। Conclusion:
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