ऋषिकेश: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठक हुई. जिसमें हरिद्वार, ऋषिकेश, देहरादून आदि क्षेत्रों के विभिन्न केंद्रीय संस्थानों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. इस मौके पर केंद्र सरकार से जुड़े सभी विभागों और प्रशासनिक कार्यों में हिंदी भाषा को अपनाने पर जोर दिया.
संस्थान के प्रशासनिक ब्लॉक में आयोजित नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति की 29वीं अर्द्धवार्षिकी बैठक का एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत ने शुभारंभ किया. इस मौके पर उन्होंने हिंदी को बढ़ावा देने के लिए सभी विभागों से सकारात्मक सोच अपनाने के लिए भी कहा. प्रो.रवि कांत ने कहा भाषा का उद्देश्य एक दूसरे से भावनाओं का आदान प्रदान करना है. उन्होंने बताया हिंदी भाषा हमारी राजभाषा है, मगर आज राजभाषा हिंदी में कई अन्य भाषाओं के शब्दों का भी समावेश हो गया है. ऐसे में आवश्यक है कि हम शुद्ध हिंदी को बोलने और लिखने पर विशेष ध्यान दें.
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प्रो. रवि कांत ने कहा मेडिकल व इंजीनियरिंग की पढ़ाई में हिंदी भाषा का समायोजन कम है, बावजूद इसके एम्स में हिंदी को उपयोग में लाने के लिए कई तरह के प्रशासनिक कार्य और पत्राचार में हिंदी भाषा का प्रयोग अनिवार्य कर दिया गया है.
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इस दौरान नराकास के अध्यक्ष व टीएचडीसी के निदेशक कार्मिक विजय गोयल ने बताया कि समिति का हरिद्वार संभाग हिंदी भाषा का बढ़ावा देने के लिए अपनी विशेष उपलब्धियों के कारण लगातार राजभाषा पुरस्कार प्राप्त करता रहा है. उन्होंने कहा कहा ऐसा संस्थानों के सहयोग और सदस्यों की सहभागिता से ही संभव हो पाया है.
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राजभाषा क्षेत्रीय कार्यालय गाजियाबाद के उप निदेशक अजय मलिक ने बताया कि नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति का गठन अगस्त (2005) में किया गया था. समिति में वर्तमान में 64 संस्थान शामिल हैं. संस्थान के कुलसचिव व राजभाषा अधिकारी राजीव चौधरी ने बताया कि बैठक में एम्स के अलावा, टीएचडीसी, एलआईसी, बीएचईएल, आईआईटी रुड़की और केन्द्रीयकृत विभिन्न बैंकों के करीब 120 प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया.