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स्टोन क्रशर का विरोध कर रहे ग्रामीण SDM से नाराज, कहा- नहीं दे रहे जन समस्या का जवाब

रामनगर के जस्सागांजा गांव के लोग यहां लगने जा रहे स्टोन क्रशर का विरोध कर रहे हैं. स्टोन क्रशर नहीं लगाने की मांग करने ग्राम प्रधान निधि मेहरा के नेतृत्व में लोग एसडीएम से मिलने गए. निधि का आरोप है कि एसडीएम ने उनकी बात ठीक से नहीं सुनी. उनका ये भी आरोप है कि एसडीएम ने कोई जवाब देने से इंकार किया.

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रामनगर समाचार
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Published : Nov 9, 2021, 1:21 PM IST

Updated : Nov 9, 2021, 1:51 PM IST

रामनगर: प्रदेश में एक तरफ जीरो टॉलरेंस की सरकार चल रही है, वहीं दूसरी तरफ जनता के प्रति जवाबदेह नौकरशाह रामनगर के एसडीएम का बड़ा बयान सामने आया है. एसडीएम का कहना है कि वह जनता के प्रति, जनता के सामने कोई जवाब नहीं देंगे.
सोमवार को जस्सागांजा गांव की ग्राम प्रधान निधि मेहरा अपने क्षेत्र में खुल रहे स्टोन क्रशर की अनुमति को निरस्त करने की मांग को लेकर अपने ग्रामवासियों के साथ उपजिलाधिकारी के पास पहुंचीं.

एसडीएम के ग्रामीण नाराज

स्टोन क्रशर का विरोध कर रहे हैं ग्रामीण: निधि मेहरा ने ईटीवी भारत को बताया कि जब ग्रामवासियों के साथ रामनगर तहसील में एसडीएम गौरव चटवाल को उनके गांव में लग रहे रामनगर के सबसे बड़े स्टोन क्रशर के खिलाफ ज्ञापन देने पहुंचे तो उन्होंने एसडीएम साहब को कहा कि सर यह कैसे लग रहा है. इसको रोकने के लिए आप क्या करने जा रहे हैं.

निधि मेहरा ने बताया कि एसडीएम साहब ने कहा कि वह जनता के सामने कोई जवाब नहीं देंगे. ग्राम प्रधान निधि मेहरा का कहना है कि ये शब्द सुनकर मेरे साथ आई मेरी ग्राम सभा की जनता स्तब्ध रह गई. लोगों का कहना था कि क्या एसडीएम साहब की जनता के प्रति कोई जिम्मेदारी व जवाबदेही नहीं है.
एसडीएम के रवैये से ग्राम प्रधान नाराज: ग्राम प्रधान निधि मेहरा ने कहा कि आज एसडीएम गौरव चटवाल के बात करने का रवैया बिल्कुल ठीक नहीं था. एसडीएम साहब के हाथ जेब से बिल्कुल बाहर नहीं निकले. जिस तरीके के आत्मविश्वास से वो बात कर रहे थे, उससे लग रहा था कि वे खनन के प्रति व खनन कारोबारियों व स्टोन क्रशर मालिकों के प्रति उनका व्यवहार नर्म है. ग्राम प्रधान नीधि मेहरा ने कहा कि अन्यथा उप जिलाधिकारी गौरव चटवाल को गांव वालों को बताना चाहिए था कि अगर यह नियमों के विरुद्ध स्टोन क्रशर नहीं लग रहा है तो गांव वाले भी अपने बगीचे काटकर स्टॉक का परमिशन, स्टोन क्रशर की अनुमति देनी चाहिए. शासन को उनकी भी फलपट्टी क्षेत्र में स्टॉक व स्टोन क्रशर की परमिशन भेज दे.

ये भी पढ़ें: राज्य स्थापना दिवस पर 12 लोगों को मिले सम्मान मेडल, CM बोले- जल्द भरेंगे 24 हजार सरकारी पद


फलपट्टी में इसलिए नहीं लगाते हैं स्टोन क्रशर: बता दें कि फल पट्टी क्षेत्र में स्टोन क्रशर लगने से उससे निकलने वाली डस्ट से फलों को व फलदार वृक्षों को नुकसान पहुंचता है. साथ ही अगर आबादी क्षेत्र में स्टोन क्रशर खुलता है तो उससे निकलने वाली डस्ट से कैंसर, सिलिकोसिस की बीमारी, दमा, आंखों की खराबी, कृषि की फसल खराब होना जैसी समस्याएं देखने में आती हैं. स्टोन क्रशरों का आबादी में खुलने का मतलब ये है कि ये इंसानों के लिए भी, जानवरों के लिये भी और कृषि के लिए भी खतरनाक साबित होते हैं.

रामनगर: प्रदेश में एक तरफ जीरो टॉलरेंस की सरकार चल रही है, वहीं दूसरी तरफ जनता के प्रति जवाबदेह नौकरशाह रामनगर के एसडीएम का बड़ा बयान सामने आया है. एसडीएम का कहना है कि वह जनता के प्रति, जनता के सामने कोई जवाब नहीं देंगे.
सोमवार को जस्सागांजा गांव की ग्राम प्रधान निधि मेहरा अपने क्षेत्र में खुल रहे स्टोन क्रशर की अनुमति को निरस्त करने की मांग को लेकर अपने ग्रामवासियों के साथ उपजिलाधिकारी के पास पहुंचीं.

एसडीएम के ग्रामीण नाराज

स्टोन क्रशर का विरोध कर रहे हैं ग्रामीण: निधि मेहरा ने ईटीवी भारत को बताया कि जब ग्रामवासियों के साथ रामनगर तहसील में एसडीएम गौरव चटवाल को उनके गांव में लग रहे रामनगर के सबसे बड़े स्टोन क्रशर के खिलाफ ज्ञापन देने पहुंचे तो उन्होंने एसडीएम साहब को कहा कि सर यह कैसे लग रहा है. इसको रोकने के लिए आप क्या करने जा रहे हैं.

निधि मेहरा ने बताया कि एसडीएम साहब ने कहा कि वह जनता के सामने कोई जवाब नहीं देंगे. ग्राम प्रधान निधि मेहरा का कहना है कि ये शब्द सुनकर मेरे साथ आई मेरी ग्राम सभा की जनता स्तब्ध रह गई. लोगों का कहना था कि क्या एसडीएम साहब की जनता के प्रति कोई जिम्मेदारी व जवाबदेही नहीं है.
एसडीएम के रवैये से ग्राम प्रधान नाराज: ग्राम प्रधान निधि मेहरा ने कहा कि आज एसडीएम गौरव चटवाल के बात करने का रवैया बिल्कुल ठीक नहीं था. एसडीएम साहब के हाथ जेब से बिल्कुल बाहर नहीं निकले. जिस तरीके के आत्मविश्वास से वो बात कर रहे थे, उससे लग रहा था कि वे खनन के प्रति व खनन कारोबारियों व स्टोन क्रशर मालिकों के प्रति उनका व्यवहार नर्म है. ग्राम प्रधान नीधि मेहरा ने कहा कि अन्यथा उप जिलाधिकारी गौरव चटवाल को गांव वालों को बताना चाहिए था कि अगर यह नियमों के विरुद्ध स्टोन क्रशर नहीं लग रहा है तो गांव वाले भी अपने बगीचे काटकर स्टॉक का परमिशन, स्टोन क्रशर की अनुमति देनी चाहिए. शासन को उनकी भी फलपट्टी क्षेत्र में स्टॉक व स्टोन क्रशर की परमिशन भेज दे.

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फलपट्टी में इसलिए नहीं लगाते हैं स्टोन क्रशर: बता दें कि फल पट्टी क्षेत्र में स्टोन क्रशर लगने से उससे निकलने वाली डस्ट से फलों को व फलदार वृक्षों को नुकसान पहुंचता है. साथ ही अगर आबादी क्षेत्र में स्टोन क्रशर खुलता है तो उससे निकलने वाली डस्ट से कैंसर, सिलिकोसिस की बीमारी, दमा, आंखों की खराबी, कृषि की फसल खराब होना जैसी समस्याएं देखने में आती हैं. स्टोन क्रशरों का आबादी में खुलने का मतलब ये है कि ये इंसानों के लिए भी, जानवरों के लिये भी और कृषि के लिए भी खतरनाक साबित होते हैं.

Last Updated : Nov 9, 2021, 1:51 PM IST
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