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धनचिड़ी की चहचहाहट से गूंजा रामनगर महाविद्यालय, धनवान बनाती है ये 'पंडित' पक्षी !

प्रवासी पक्षी धनचिड़ी ने एक बार फिर रामनगर महाविद्यालय में डेरा जमा लिया है. धनचिड़ी के आने और इनकी चहचाहाहट से महाविद्यालय का पूरा माहौल खुशनुमा हो गया है. कुमाऊं और गढ़वाल में धनचिड़ी (गोत्याली, कॉमन हाउस मार्टिन) को पूज्यनीय माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि यह पक्षी जहां भी अपना घोंसला बनाती है, उस घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती है.

migratory bird dhanchidi
रामनगर समाचार
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Published : Aug 6, 2022, 2:57 PM IST

Updated : Aug 6, 2022, 6:17 PM IST

रामनगर: विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क बाघों के लिए ही विख्यात नहीं है. यहां पर 600 से ज्यादा प्रजातियों की पक्षी देखने के लिए भी मिल जाती हैं. पक्षी प्रेमी जिम कॉर्बेट पार्क व आसपास के लैंडस्केप का रुख पक्षियों को देखने के लिए भी करते हैं.

प्रवासी पक्षी है धनचिड़ी: इन पक्षियों में से कई प्रवासी पक्षी ऐसे हैं जो गर्मियों के शुरू होते ही पहाड़ी इलाकों का रुख करते हैं. इनमें से एक पक्षी है धनचिड़ी. वैसे तो आपने सुना होगा कि सर्दियों में प्रवासी पक्षी बड़ी संख्या में रामनगर व आसपास की नदियों में व झीलों का रुख करते हैं. लेकिन धनचिड़ी ऐसी पक्षी है जो गर्मियां शुरू होने पर ही यहां पर आती है.

धनचिड़ी की चहचहाहट से गूंजा रामनगर महाविद्यालय.

धनचिड़ी को मानते हैं धन वाली चिड़िया: धनचिड़ी पक्षी का लोग बेसब्री से इंतजार भी करते हैं. क्योंकि इस पक्षी को शुभ संकेत वाली पक्षी भी कहा जाता है. इसकी कुमाऊं और गढ़वाल में धन की देवी कहकर पूजा भी की जाती है. लोगों को बेसब्री से इसका इंतजार होता है कि यह हमारे घर के अंदर आए और अपना घोंसला बनाये. इसका घोंसला घर के अंदर बनाना बहुत ही शुभ माना जाता है. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह पक्षी जहां भी अपना घर बनाती है, उस घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती है. यह चिड़िया समूह में ही रह कर अपने घोंसले बनाती है.
ये भी पढ़ें: बीमार और बूढ़े बाघों के दुश्मन बने उन्हीं के वंशज, WII बताएगी कैसे रुकेगा कॉर्बेट में वन्य जीव-मानव संघर्ष

क्या कहते हैं मनौवैज्ञानिक: वहीं मनोवैज्ञानिक विभाग की प्रोफेसर डॉक्टर कुसुम गुप्ता कहती हैं कि महाविद्यालय में इन पक्षियों को देखना अपने आप में एक अद्भुत नजारा है. वह कहती हैं कि इससे पूरे महाविद्यालय का प्रांगण खुशनुमा हो जाता है. अपने आप में इनको देखना एक सौभाग्य की बात होती है.

दोमट मिट्टी से घोंसला बनाती है धनचिड़ी: वहीं इन पक्षियों पर शोध कर रही जंतु विभाग प्रभारी प्रोफेसर डॉ भावना पंत कहती हैं कि यह धनचिड़ी एक दुर्लभ प्रजाति की पक्षी है. उन्होंने बताया कि रामनगर महाविद्यालय में इन पक्षियों के सैकड़ों घोसले हैं. इनके घोंसले बनाने की कारीगरी देखकर हर कोई भौचक्का रह जाता है. यह चिड़िया वहीं पर प्रवास करना पसंद करती है, जहां पर झील हो या नदी हो. भावना पंत बताती हैं कि यह कोसी नदी के तट से दोमट मिट्टी उठाकर अपनी चोंच में लाते हैं. उसी से अपना घोंसला बनाते हैं.

नर बनाते हैं घोंसला, मादा धनचिड़ी उसमें देती है अंडे: भावना पंत ने बताया कि इनके घोसले बहुत ही खूबसूरत सुराहीनुमा होते हैं. घोंसले बनाने का कार्य नर पक्षी करते हैं. मादा इनमें अंडा देती हैं. यहां पर महाविद्यालय में 300 से 350 पक्षी हैं. इनको देखने के लिए दूरदराज से लोग रामनगर महाविद्यालय में आते हैं. डॉ भावना पंत ने बताया कि इन प्रवासी पक्षियों का पहाड़ों की तरफ आना शुभ माना जाता है. यह पक्षी 55 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ती हैं. पूरी दुनिया में इनकी 83 प्रजातियां है और यह बहुत ही दुर्लभ पक्षी है.
ये भी पढ़ें: रामनगर: जिम कॉर्बेट की बंदूक को जल्द मिलने जा रहा नया वारिस, सैलानी भी कर सकेंगे दीदार

पंडित पक्षी कहलाती है धनचिड़ी: भावना पंत ने बताया कि पिछले 3 वर्षों से यह पक्षी लगातार रामनगर महाविद्यालय में आ रही हैं. उन्होंने बताया कि ये ब्रिटेन, जर्मनी यूरोप और एशिया के अन्य देशों से आती हैं. उन्होंने बताया कि ये चिड़िया किसी के हाथ से कुछ नहीं खाती है. इस कारण से इसे चिड़ियों का पंडित भी माना जाता है. यहां आना इनका एक संकेत देता है कि मैदानी इलाकों में गर्मियां शुरू हो गई हैं. पंत कहती है कि जैसे ही सर्दियां शुरू होती हैं, नवंबर माह में यह वापस चली जाती है.

क्या कहते हैं पक्षी विशेषज्ञ: वहीं इन धनचिड़ी पक्षियों को लेकर पक्षी विशेषज्ञ संजय छिम्वाल कहते हैं कि कॉर्बेट पार्क के जंगल पक्षियों के लिए अनुकूल हैं. इसीलिए देश विदेश से पक्षी प्रेमी यहां पहुंचते हैं. संजय छिम्वाल कहते हैं कि यहां पर 600 से ज्यादा प्रजातियों के पक्षी देखे गए हैं. वह कहते हैं इनमें से कुछ यहीं रहते हैं. कुछ प्रवास पर यहां पर आती हैं.

गर्मियों में आती है धनचिड़ी: संजय छिम्वाल कहते हैं जैसे सर्दियां शुरू होते ही उच्च हिमालयी व सुदूर देशों से भी माइग्रेटिव बर्ड्स यहां पर पहुंचती हैं, वैसे ही गर्मियों में भी कुछ पक्षी यहां पर प्रवास में आते हैं. उनमें से ही एक है धनचिड़ी (कॉमन हाउस मार्टिन). पक्षी विशेषज्ञ कहते हैं कि इनका यहां लगातार आना और इतनी बड़ी संख्या में आना यह संकेत देता है कि इनको यहां प्राकृर्तिक आवास मिल रहा है. संजय कहते हैं कि यह माइग्रेटरी बर्ड्स हैं. गर्मियों के समय में यहां पर रहती हैं और गर्मियां खत्म होने पर सर्दियां शुरू होते ही यहां से उड़ जाती हैं.
ये भी पढ़ें: कॉर्बेट में सावन हाथी ने मनाया अपना 5वां जन्मदिन! खुशी से झूम उठे गजराज

उड़ते हुए शिकार करती है धनचिड़ी: संजय छिम्वाल बताते हैं कि यह पक्षी उड़ते हुए शिकार करती है. धनचिड़ी कीड़े मकोड़ों का यह शिकार उड़ते हुए ही करती है. वह बताते हैं कि गर्मियों में जहां पर यह अंडे देती है वहीं बच्चों को सेती है. उसके बाद सर्दियां शुरू होते ही यहां से पलायन कर जाती हैं. वे कहते हैं कि यहां पर बहुत सारे लोग इसे पूजते भी हैं. अगर इसका घोंसला आपके घर व आसपास बना हुआ है तो आप भाग्यशाली हैं ऐसा माना जाता है. संजय छिम्वाल कहते हैं कि काफी लोग इनके संरक्षण में भी लगे हुए हैं. इनको देखना अपने आप में सुखद संकेत है.

रामनगर: विश्व प्रसिद्ध जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क बाघों के लिए ही विख्यात नहीं है. यहां पर 600 से ज्यादा प्रजातियों की पक्षी देखने के लिए भी मिल जाती हैं. पक्षी प्रेमी जिम कॉर्बेट पार्क व आसपास के लैंडस्केप का रुख पक्षियों को देखने के लिए भी करते हैं.

प्रवासी पक्षी है धनचिड़ी: इन पक्षियों में से कई प्रवासी पक्षी ऐसे हैं जो गर्मियों के शुरू होते ही पहाड़ी इलाकों का रुख करते हैं. इनमें से एक पक्षी है धनचिड़ी. वैसे तो आपने सुना होगा कि सर्दियों में प्रवासी पक्षी बड़ी संख्या में रामनगर व आसपास की नदियों में व झीलों का रुख करते हैं. लेकिन धनचिड़ी ऐसी पक्षी है जो गर्मियां शुरू होने पर ही यहां पर आती है.

धनचिड़ी की चहचहाहट से गूंजा रामनगर महाविद्यालय.

धनचिड़ी को मानते हैं धन वाली चिड़िया: धनचिड़ी पक्षी का लोग बेसब्री से इंतजार भी करते हैं. क्योंकि इस पक्षी को शुभ संकेत वाली पक्षी भी कहा जाता है. इसकी कुमाऊं और गढ़वाल में धन की देवी कहकर पूजा भी की जाती है. लोगों को बेसब्री से इसका इंतजार होता है कि यह हमारे घर के अंदर आए और अपना घोंसला बनाये. इसका घोंसला घर के अंदर बनाना बहुत ही शुभ माना जाता है. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह पक्षी जहां भी अपना घर बनाती है, उस घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती है. यह चिड़िया समूह में ही रह कर अपने घोंसले बनाती है.
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क्या कहते हैं मनौवैज्ञानिक: वहीं मनोवैज्ञानिक विभाग की प्रोफेसर डॉक्टर कुसुम गुप्ता कहती हैं कि महाविद्यालय में इन पक्षियों को देखना अपने आप में एक अद्भुत नजारा है. वह कहती हैं कि इससे पूरे महाविद्यालय का प्रांगण खुशनुमा हो जाता है. अपने आप में इनको देखना एक सौभाग्य की बात होती है.

दोमट मिट्टी से घोंसला बनाती है धनचिड़ी: वहीं इन पक्षियों पर शोध कर रही जंतु विभाग प्रभारी प्रोफेसर डॉ भावना पंत कहती हैं कि यह धनचिड़ी एक दुर्लभ प्रजाति की पक्षी है. उन्होंने बताया कि रामनगर महाविद्यालय में इन पक्षियों के सैकड़ों घोसले हैं. इनके घोंसले बनाने की कारीगरी देखकर हर कोई भौचक्का रह जाता है. यह चिड़िया वहीं पर प्रवास करना पसंद करती है, जहां पर झील हो या नदी हो. भावना पंत बताती हैं कि यह कोसी नदी के तट से दोमट मिट्टी उठाकर अपनी चोंच में लाते हैं. उसी से अपना घोंसला बनाते हैं.

नर बनाते हैं घोंसला, मादा धनचिड़ी उसमें देती है अंडे: भावना पंत ने बताया कि इनके घोसले बहुत ही खूबसूरत सुराहीनुमा होते हैं. घोंसले बनाने का कार्य नर पक्षी करते हैं. मादा इनमें अंडा देती हैं. यहां पर महाविद्यालय में 300 से 350 पक्षी हैं. इनको देखने के लिए दूरदराज से लोग रामनगर महाविद्यालय में आते हैं. डॉ भावना पंत ने बताया कि इन प्रवासी पक्षियों का पहाड़ों की तरफ आना शुभ माना जाता है. यह पक्षी 55 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ती हैं. पूरी दुनिया में इनकी 83 प्रजातियां है और यह बहुत ही दुर्लभ पक्षी है.
ये भी पढ़ें: रामनगर: जिम कॉर्बेट की बंदूक को जल्द मिलने जा रहा नया वारिस, सैलानी भी कर सकेंगे दीदार

पंडित पक्षी कहलाती है धनचिड़ी: भावना पंत ने बताया कि पिछले 3 वर्षों से यह पक्षी लगातार रामनगर महाविद्यालय में आ रही हैं. उन्होंने बताया कि ये ब्रिटेन, जर्मनी यूरोप और एशिया के अन्य देशों से आती हैं. उन्होंने बताया कि ये चिड़िया किसी के हाथ से कुछ नहीं खाती है. इस कारण से इसे चिड़ियों का पंडित भी माना जाता है. यहां आना इनका एक संकेत देता है कि मैदानी इलाकों में गर्मियां शुरू हो गई हैं. पंत कहती है कि जैसे ही सर्दियां शुरू होती हैं, नवंबर माह में यह वापस चली जाती है.

क्या कहते हैं पक्षी विशेषज्ञ: वहीं इन धनचिड़ी पक्षियों को लेकर पक्षी विशेषज्ञ संजय छिम्वाल कहते हैं कि कॉर्बेट पार्क के जंगल पक्षियों के लिए अनुकूल हैं. इसीलिए देश विदेश से पक्षी प्रेमी यहां पहुंचते हैं. संजय छिम्वाल कहते हैं कि यहां पर 600 से ज्यादा प्रजातियों के पक्षी देखे गए हैं. वह कहते हैं इनमें से कुछ यहीं रहते हैं. कुछ प्रवास पर यहां पर आती हैं.

गर्मियों में आती है धनचिड़ी: संजय छिम्वाल कहते हैं जैसे सर्दियां शुरू होते ही उच्च हिमालयी व सुदूर देशों से भी माइग्रेटिव बर्ड्स यहां पर पहुंचती हैं, वैसे ही गर्मियों में भी कुछ पक्षी यहां पर प्रवास में आते हैं. उनमें से ही एक है धनचिड़ी (कॉमन हाउस मार्टिन). पक्षी विशेषज्ञ कहते हैं कि इनका यहां लगातार आना और इतनी बड़ी संख्या में आना यह संकेत देता है कि इनको यहां प्राकृर्तिक आवास मिल रहा है. संजय कहते हैं कि यह माइग्रेटरी बर्ड्स हैं. गर्मियों के समय में यहां पर रहती हैं और गर्मियां खत्म होने पर सर्दियां शुरू होते ही यहां से उड़ जाती हैं.
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उड़ते हुए शिकार करती है धनचिड़ी: संजय छिम्वाल बताते हैं कि यह पक्षी उड़ते हुए शिकार करती है. धनचिड़ी कीड़े मकोड़ों का यह शिकार उड़ते हुए ही करती है. वह बताते हैं कि गर्मियों में जहां पर यह अंडे देती है वहीं बच्चों को सेती है. उसके बाद सर्दियां शुरू होते ही यहां से पलायन कर जाती हैं. वे कहते हैं कि यहां पर बहुत सारे लोग इसे पूजते भी हैं. अगर इसका घोंसला आपके घर व आसपास बना हुआ है तो आप भाग्यशाली हैं ऐसा माना जाता है. संजय छिम्वाल कहते हैं कि काफी लोग इनके संरक्षण में भी लगे हुए हैं. इनको देखना अपने आप में सुखद संकेत है.

Last Updated : Aug 6, 2022, 6:17 PM IST
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