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लोक परंपराओं के संरक्षण का द्योतक है सातूं-आठूं महोत्सव, दूर-दराज से पहुंचते हैं लोग

पिथौरागढ़ में लोक परंपराओं के संरक्षण के लिए 2009 से रामलीला कमेटी लगातार सातूं-आठूं महोत्सव का आयोजन करती आ रही है. इस महोत्सव में दूर-दराज से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. इस क्षेत्र में सातूं-आठूं महोत्सव खत्म होती संस्कृति और लोक परंपराओं को बचाने का द्योतक है.

लोक परंपराओं के संरक्षण का द्योतक है सातूं-आठूं महोत्सव
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Published : Aug 26, 2019, 9:49 PM IST

Updated : Aug 26, 2019, 10:36 PM IST

पिथौरागढ़: रामलीला प्रबंधन समिति द्वारा जिला मुख्यालय में 6 दिवसीय सातूं-आठूं महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. इस महोत्सव में दूर-दराज के गावों से महिलाएं आकर झोड़े और चांचड़ी के साथ खेलों का भी प्रदर्शन कर रही हैं. साथ ही इस महोत्सव में हिलजात्रा के मंचन के साथ-साथ विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों से लोक परंपराओं को बचाने का संदेश दिया जा रहा है.

सातूं-आठूं महोत्सव.

पिथौरागढ़ में लोक परंपराओं के संरक्षण के लिए 2009 से रामलीला कमेटी लगातार सातूं-आठूं महोत्सव का आयोजन करती आ रही है. इस महोत्सव में दूर-दराज से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. इस क्षेत्र में सातूं-आठूं महोत्सव खत्म होती संस्कृति और लोक परंपराओं को बचाने का द्योतक है. पिथौरागढ़ में ढोल नागड़ों के साथ भव्य झांकी व कलश यात्रा से सातूं-आठूं महोत्सव की शुरुआत होती है.

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ग्रामीण क्षेत्रों से लगातार हो रहे पलायन के चलते पहाड़ की लोकसंस्कृति धीरे-धीरे विलुप्ति की कगार पर है, जिसके संरक्षण का बीड़ा पिथौरागढ़ रामलीला प्रबंधन समिति ने उठाया है. समिति लम्बे समय से जिला मुख्यालय में सातूं-आठूं महोत्सव का आयोजन करती आ रही है. जिसमें लोकनृत्यों, लोकगाथाओं, खेलों, किस्से कहानियों के जरिए नई पीढ़ी में लोक संस्कृति के प्रति लगाव पैदा करने की कोशिश की जाती है.

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इस महोत्सव में युवा, बच्चे, बुजुर्ग सभी मिलकर लोक विधाओं का प्रदर्शन करते हैं. यही कारण है कि इस इलाके में सातूं-आठूं महोत्सव की अपनी ही अलग पहचान है.

पिथौरागढ़: रामलीला प्रबंधन समिति द्वारा जिला मुख्यालय में 6 दिवसीय सातूं-आठूं महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. इस महोत्सव में दूर-दराज के गावों से महिलाएं आकर झोड़े और चांचड़ी के साथ खेलों का भी प्रदर्शन कर रही हैं. साथ ही इस महोत्सव में हिलजात्रा के मंचन के साथ-साथ विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों से लोक परंपराओं को बचाने का संदेश दिया जा रहा है.

सातूं-आठूं महोत्सव.

पिथौरागढ़ में लोक परंपराओं के संरक्षण के लिए 2009 से रामलीला कमेटी लगातार सातूं-आठूं महोत्सव का आयोजन करती आ रही है. इस महोत्सव में दूर-दराज से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. इस क्षेत्र में सातूं-आठूं महोत्सव खत्म होती संस्कृति और लोक परंपराओं को बचाने का द्योतक है. पिथौरागढ़ में ढोल नागड़ों के साथ भव्य झांकी व कलश यात्रा से सातूं-आठूं महोत्सव की शुरुआत होती है.

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ग्रामीण क्षेत्रों से लगातार हो रहे पलायन के चलते पहाड़ की लोकसंस्कृति धीरे-धीरे विलुप्ति की कगार पर है, जिसके संरक्षण का बीड़ा पिथौरागढ़ रामलीला प्रबंधन समिति ने उठाया है. समिति लम्बे समय से जिला मुख्यालय में सातूं-आठूं महोत्सव का आयोजन करती आ रही है. जिसमें लोकनृत्यों, लोकगाथाओं, खेलों, किस्से कहानियों के जरिए नई पीढ़ी में लोक संस्कृति के प्रति लगाव पैदा करने की कोशिश की जाती है.

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इस महोत्सव में युवा, बच्चे, बुजुर्ग सभी मिलकर लोक विधाओं का प्रदर्शन करते हैं. यही कारण है कि इस इलाके में सातूं-आठूं महोत्सव की अपनी ही अलग पहचान है.

Intro:पिथौरागढ़: रामलीला प्रबंधन समिति द्वारा जिला मुख्यालय में 6 दिवसीय सातूं-आठूं महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस महोत्सव में दूर दराज के गावों से महिलाएं आकर झोड़े और चाचरी के साथ खेलों का प्रदर्शन कर रही है। साथ ही हिलजात्रा का मंचन और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जा रहा है। लोकपरंपराओं के संरक्षण के लिए 2009 से लगातार रामलीला कमेटी द्वारा इस महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।




Body:ग्रामीण क्षेत्रों से लगातार हो रहे पलायन के चलते पहाड़ की लोकसंस्कृति धीरे-धीरे विलुप्ति की कगार पर है। मगर इसके संरक्षण का बेड़ा उठाया है रामलीला प्रबंधन समिति ने। समिति द्वारा लम्बे समय से जिला मुख्यालय में सातूं-आठूं महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। जिसका मकसद लोकपरंपराओं के संरक्षण के साथ ही नई पीढ़ी में लोक संस्कृति के प्रति लगाव पैदा करना है। युवा, बच्चे, बुजुर्ग सभी मिलकर इस महोत्सव में लोकविधाओं का प्रदर्शन कर रहे है। वहीं भारी तादात में लोग इस महोत्सव में शिरकत करने के लिए पहुंच रहे है।

Byte: दीपक गुप्ता, आयोजक


Conclusion:
Last Updated : Aug 26, 2019, 10:36 PM IST
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