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लॉकडाउन 2.0: जनजातियों के माइग्रेशन पर लगाई गई रोक, मंडराया रोजी-रोटी का संकट - Pithoragarh latest news

लॉकडाउन के कारण माइग्रेट करने वाली जनजातियां अप्रैल के पहले पखवाड़े के बाद भी निचले इलाकों में हैं. ये भी तय है कि जब तक लॉकडाउन नहीं खुलता तब तक इन्हें ऊंचे इलाकों में जाने की परमिशन नहीं मिलेगी. जिससे इनकी परेशानियां बढ़ना लाजमी है.

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उच्च हिमालयी क्षेत्रों में वाले लोगों की बढ़ी मुश्किलें.
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Published : Apr 17, 2020, 5:32 PM IST

पिथौरागढ़: लॉकडाउन के कारण उच्च हिमालयी इलाकों में रहने वाली जनजाति के लोगों की दिक्कतें भी बढ़ गई हैं. पिथौरागढ़ के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले ये लोग अमूमन अब तक ऊंचे इलाकों में माइग्रेट हो जाते थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण वे इस बार निचले इलाकों में ही रहने को मजबूर हैं. प्रशासन भी इनके दर्द को समझने के बावजूद इन्हें माइग्रेट की परमिशन नहीं दे सकता है.

उच्च हिमालयी क्षेत्रों में वाले लोगों की बढ़ी मुश्किलें.

उच्च हिमालयी इलाकों में रहने वाली इन जनजातियों को लॉकडाउन की बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है. पिथौरागढ़ के धारचूला और मुनस्यारी तहसील में रहने वाले ये लोग गर्मियों के दिनों में उच्च हिमालयी इलाकों में चले जाते हैं. जहां ये महीनों रहते हैं. इस दौरान इस जनजाति के लोग यहां खेती करने के साथ-साथ दुर्लभ जड़ी-बूटियां भी उगाते हैं. जिससे इन की रोजी-रोटी चलती है. मगर इस बार अभी तक यहां फंसे होने के कारण साल भर की इनकी रोजी-रोटी पर असर पड़ने लगा है.

पढ़ें- कोरोना : लॉकडाउन के बीच गर्मी ने छुड़ाए पसीने, लोगों ने पूछा- अब क्या करें सरकार

लॉकडाउन के कारण इस बार मुनस्यारी के 13, दारमा के 14 और व्यास घाटी के 7 गांवों में मौजूद ऐसी जनजाति के लोग अपनी ही जगहों पर रहने को मजबूर हैं. ये पहला मौका है जब माइग्रेट करने वाली जनजातियां अप्रैल के पहले पखवाड़े के बाद भी निचले इलाकों में हैं. ये भी तय है कि जब तक लॉकडाउन नहीं खुलता तब तक इन्हें ऊंचे इलाकों में जाने की परमिशन नहीं मिलेगी.

पिथौरागढ़: लॉकडाउन के कारण उच्च हिमालयी इलाकों में रहने वाली जनजाति के लोगों की दिक्कतें भी बढ़ गई हैं. पिथौरागढ़ के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले ये लोग अमूमन अब तक ऊंचे इलाकों में माइग्रेट हो जाते थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण वे इस बार निचले इलाकों में ही रहने को मजबूर हैं. प्रशासन भी इनके दर्द को समझने के बावजूद इन्हें माइग्रेट की परमिशन नहीं दे सकता है.

उच्च हिमालयी क्षेत्रों में वाले लोगों की बढ़ी मुश्किलें.

उच्च हिमालयी इलाकों में रहने वाली इन जनजातियों को लॉकडाउन की बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है. पिथौरागढ़ के धारचूला और मुनस्यारी तहसील में रहने वाले ये लोग गर्मियों के दिनों में उच्च हिमालयी इलाकों में चले जाते हैं. जहां ये महीनों रहते हैं. इस दौरान इस जनजाति के लोग यहां खेती करने के साथ-साथ दुर्लभ जड़ी-बूटियां भी उगाते हैं. जिससे इन की रोजी-रोटी चलती है. मगर इस बार अभी तक यहां फंसे होने के कारण साल भर की इनकी रोजी-रोटी पर असर पड़ने लगा है.

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लॉकडाउन के कारण इस बार मुनस्यारी के 13, दारमा के 14 और व्यास घाटी के 7 गांवों में मौजूद ऐसी जनजाति के लोग अपनी ही जगहों पर रहने को मजबूर हैं. ये पहला मौका है जब माइग्रेट करने वाली जनजातियां अप्रैल के पहले पखवाड़े के बाद भी निचले इलाकों में हैं. ये भी तय है कि जब तक लॉकडाउन नहीं खुलता तब तक इन्हें ऊंचे इलाकों में जाने की परमिशन नहीं मिलेगी.

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