बेरीनाग: सरकार भले ही सभी को अच्छी शिक्षा देने के लाख दावे करती हो, लेकिन धरातल पर हकीकत कुछ और ही है. प्रदेश में सरकारी विद्यालयों की हालत दिनों-दिन खराब होती जा रही है. बात अगर यहां की व्यवस्थाओं की करें तो वो भी राम भरोसे ही हैं. कई सरकारी विद्यालयों में शिक्षक नहीं हैं तो कहीं स्कूलों की हालत इतनी जर्जर है कि वे कभी भी गिर सकते हैं. ऐसा ही एक स्कूल बेरीनाग का दूरस्थ गांव हीपा में हैं जहां बच्चे जान हथेली पर रखकर पढ़ने को मजबूर हैं.
राजकीय प्राथमिक विद्यालय हीपा में इस समय 21 बच्चे अध्ययनरत हैं जिन्हें पढ़ाने के लिए यहां दो शिक्षक तैनात किये गये हैं. बाात अगर स्कूल के भवन की करें तो बाहर से देखने पर ये बिल्कुल ठीक लगता है. मगर अंदर जाकर इसकी असली हालत का पता चलता है. विद्यालय का ये भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है, जो कि कभी भी किसी बड़े हादसे को न्योता दे सकता है.
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इस भवन की जर्जर हालत के कारण शिक्षक भी बच्चों को यहां पढ़ाने से डरते हैं. नतीजा ठंड हो या फिर बरसात बच्चों को बाहर ही पढ़ना पड़ता है. बरसात के दिनों की बात करें तो तब यहां हालात और भी खराब हो जाते हैं. बारिश के पानी से कक्षायें लबालब भर जाती हैं.
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अभिभावकों ने बताया कि बच्चों को स्कूल भेजना खतरे से खाली नहीं है. कई बार अधिकारियों को विद्यालय के भवन के बारे में जानकारी दी गई. लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं. ग्राम प्रधान चामू सिंह ने बताया कि कई बार क्षेत्र पंचायत की बैठक में स्कूल भवन के खस्ताहाल होने की जानकारी शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दी गई है लेकिन पिछले पांच सालों से भवन की मरमत तक नहीं हुई. उन्होंने कहा अगर भविष्य में कोई हादसा होता है तो इसकी जिम्मेदारी शिक्षा विभाग की होगी.
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वहीं खंड शिक्षा अधिकारी तरूण पंत ने बताया कि विद्यालय भवन के सुधारीकरण का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया गया है. जिसके पास होते ही भवन को सुधारीकरण का काम शुरू करवा दिया जाएगा.