ETV Bharat / city

हाईकोर्ट से स्वामी चिदानंद को लगा झटका, भवन निर्माण पर लगाई रोक

अतिक्रमण मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने स्वामी चिदानंद द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है.

swami-chidanand-jolt-from-high-court
हाईकोर्ट से स्वामी चिदानंद को लगा झटका
author img

By

Published : Dec 16, 2019, 7:19 PM IST

Updated : Jan 4, 2020, 7:09 PM IST

नैनीताल: गंगा किनारे और वन भूमि पर अतिक्रमण के मामले में स्वामी चिदानंद की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. हाईकोर्ट ने परमार्थ निकेतन की 2.3 एकड़ भूमि पर हो रहे निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने गंगा आरती स्थल के गेटों पर लगे तालों को खोलकर गंगा तट को सार्वजनिक करने के भी आदेश दिए हैं.

हाईकोर्ट से स्वामी चिदानंद को लगा झटका

गौर हो कि अतिक्रमण के मामले में पौड़ी डीएम व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश हुए. जहां उन्होंने अतिक्रमण मामले की रिपोर्ट कोर्ट की है. जिस पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए पौड़ी डीएम को 2 सप्ताह के भीतर फिर विस्तृत और निष्पक्ष रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं.

पढ़ें- उत्तराखंडः लगातार बारिश और बर्फबारी से लुढ़का पारा, सच साबित हुई मौसम विभाग की भविष्यवाणी

नैनीताल हाईकोर्ट अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन स्वर्गाश्रम द्वारा गंगा किनारे बने घाटों और सिंचाई विभाग की भूमि पर अतिक्रमण कर व्यवसायिक भवन का निर्माण किया है. आश्रम के द्वारा घाटों में शादियां और पार्टी समेत व्यवसायिक गतिविधि कराई जा रही हैं.

पढ़ें-एसटीएफ के हत्थे चढ़ा इनामी बदमाश, काफी दिनों से थी तलाश

याचिकाकर्ता का कहना है कि आश्रम ने घाटों के अलावा नदी में भी अतिक्रमण कर दो पुलों का निर्माण किया है. जिसके लिए किसी भी विभाग से स्वीकृति नहीं ली गई है. मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने स्वामी चिदानंद द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है.

नैनीताल: गंगा किनारे और वन भूमि पर अतिक्रमण के मामले में स्वामी चिदानंद की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. हाईकोर्ट ने परमार्थ निकेतन की 2.3 एकड़ भूमि पर हो रहे निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने गंगा आरती स्थल के गेटों पर लगे तालों को खोलकर गंगा तट को सार्वजनिक करने के भी आदेश दिए हैं.

हाईकोर्ट से स्वामी चिदानंद को लगा झटका

गौर हो कि अतिक्रमण के मामले में पौड़ी डीएम व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश हुए. जहां उन्होंने अतिक्रमण मामले की रिपोर्ट कोर्ट की है. जिस पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए पौड़ी डीएम को 2 सप्ताह के भीतर फिर विस्तृत और निष्पक्ष रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं.

पढ़ें- उत्तराखंडः लगातार बारिश और बर्फबारी से लुढ़का पारा, सच साबित हुई मौसम विभाग की भविष्यवाणी

नैनीताल हाईकोर्ट अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन स्वर्गाश्रम द्वारा गंगा किनारे बने घाटों और सिंचाई विभाग की भूमि पर अतिक्रमण कर व्यवसायिक भवन का निर्माण किया है. आश्रम के द्वारा घाटों में शादियां और पार्टी समेत व्यवसायिक गतिविधि कराई जा रही हैं.

पढ़ें-एसटीएफ के हत्थे चढ़ा इनामी बदमाश, काफी दिनों से थी तलाश

याचिकाकर्ता का कहना है कि आश्रम ने घाटों के अलावा नदी में भी अतिक्रमण कर दो पुलों का निर्माण किया है. जिसके लिए किसी भी विभाग से स्वीकृति नहीं ली गई है. मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने स्वामी चिदानंद द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है.

Intro:Summry

ऋषिकेश परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद की बढ़ सकती हैं मुश्किलें हाईकोर्ट ने आश्रम के निर्माण पर हो रहे निर्माण पर लगाई रोक।

Intro

गंगा नदी के किनारे और वन भूमि में स्वामी चिदानंद द्वारा कराए जा रहे अतिक्रमण के मामले पर स्वामी चिदानंद की नैनीताल हाईकोर्ट से मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
आज अतिक्रमण मामले पर डीएम पौड़ी गढ़वाल व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने अतिक्रमण की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जिस पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए डीएम पौड़ी को 2 सप्ताह के भीतर फिर से अपनी विस्तृत और निष्पक्ष रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं, वहीं कोर्ट ने परमार्थ निकेतन की 2.3 एकड़ भूमि पर हो रहे निर्माण कार्य पर भी रोक लगाते हुए गंगा आरती स्थल के गेटों पर लगे तालों को खोलकर गंगा तट सार्वजनिक करने के भी आदेश दिए हैं।


Body:आपको बता दें कि नैनीताल हाई कोर्ट अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन स्वर्गाश्रम द्वारा गंगा के किनारे बने घाटों और
सिंचाई विभाग की भूमि पर अतिक्रमण कर व्यवसायिक भवन का निर्माण किया गया है और आश्रम के द्वारा घाटों में शादियां और पार्टी समेत व्यवसायिक गतिविधि कराई जा रही हैं, साथ ही इस दौरान गंगा के घाट पर होने वाली गंदगी को आश्रम के द्वारा गंगा जी में प्रवाहित किया जा रहा है जिस पर रोक लगाई जाए।




Conclusion:याचिकाकर्ता का कहना है कि आश्रम के द्वारा घाटों के अलावा नदी में भी अतिक्रमण कर दो पुलों का निर्माण किया गया है जिसके लिए उनके द्वारा किसी भी विभाग और सरकार से स्वीकृति नहीं ली गई है।
आज मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने स्वामी चिदानंद द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्य पर रोक लगा दी और डीएम पौड़ी को मामले में निष्पक्ष जांच कर विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं।

बाइट- विवेक शुक्ला याचिकाकर्ता व अधिवक्ता।
Last Updated : Jan 4, 2020, 7:09 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.