नैनीताल: गंगा किनारे और वन भूमि पर अतिक्रमण के मामले में स्वामी चिदानंद की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. हाईकोर्ट ने परमार्थ निकेतन की 2.3 एकड़ भूमि पर हो रहे निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने गंगा आरती स्थल के गेटों पर लगे तालों को खोलकर गंगा तट को सार्वजनिक करने के भी आदेश दिए हैं.
गौर हो कि अतिक्रमण के मामले में पौड़ी डीएम व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश हुए. जहां उन्होंने अतिक्रमण मामले की रिपोर्ट कोर्ट की है. जिस पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए पौड़ी डीएम को 2 सप्ताह के भीतर फिर विस्तृत और निष्पक्ष रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं.
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नैनीताल हाईकोर्ट अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन स्वर्गाश्रम द्वारा गंगा किनारे बने घाटों और सिंचाई विभाग की भूमि पर अतिक्रमण कर व्यवसायिक भवन का निर्माण किया है. आश्रम के द्वारा घाटों में शादियां और पार्टी समेत व्यवसायिक गतिविधि कराई जा रही हैं.
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याचिकाकर्ता का कहना है कि आश्रम ने घाटों के अलावा नदी में भी अतिक्रमण कर दो पुलों का निर्माण किया है. जिसके लिए किसी भी विभाग से स्वीकृति नहीं ली गई है. मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने स्वामी चिदानंद द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है.