नैनीतालः हाई कोर्ट से प्रदेश के शिक्षामित्रों को बड़ी राहत मिली है. नैनीताल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि सरकार जब तक प्रदेश में शिक्षकों की स्थाई नियुक्ति नहीं करती तब तक शिक्षामित्रों को उनके स्थान पर नियुक्त रहने दिया जाए.
वहीं राज्य सरकार द्वारा समय पर टीईटी परीक्षा नहीं कराने के मामले में कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सचिव को 3 सप्ताह के भीतर व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का कहा है. साथ ही कोर्ट में शपथ पत्र पेश कर जवाब भी देने को कहा है.
आपको बता दें कि अमर सिंह व अन्य ने नैनीताल हाई कोर्ट में विशेष अपील दायर कर कहा था कि शिक्षामित्रों का कार्यकाल 31 मार्च को खत्म हो गया है और सरकार उनको सेवा विस्तार नहीं दे रही, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया था कि जब तक प्रदेश में शिक्षकों की नई नियुक्ति नहीं हो जाती तब तक इनको कार्य करने दिया जाए. मामले की सुनवाई करते हुए सरकार की ओर से बताया गया कि शिक्षकों की स्थाई नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है और जल्द ही प्रदेश में स्थाई शिक्षकों की नियुक्ति कर दी जाएगी.
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायाधीश नारायण सिंह धनिक की खंडपीठ ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार को निर्देश दिए हैं कि जब तक शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो जाती तब तक सरकार शिक्षामित्रों की सेवा जारी रखे.
वहीं प्रदेश में लंबे समय से टीईटी की परीक्षा ना कराने के मामले को लेकर कोर्ट ने प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सचिव को 3 सप्ताह के भीतर व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने को कहा है और शपथ पत्र पेश कर जवाब भी देने को कहा है. टीईटी परीक्षा ना कराने को लेकर सुरेंद्र कुमार ने नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें कहा था कि कोर्ट द्वारा आदेश दिए गए हैं कि सरकार हर साल दो बार टीईटी परीक्षा कराए, लेकिन सरकार द्वारा कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है.