नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट में दो अगस्त से कक्षा 6 से 12 तक के स्कूल (सरकार ने 31 जुलाई को 9वीं से 12वीं तक के स्कूल खोलने की घोषणा की थी) खोले जाने के कैबिनेट के निर्णय और 31 जुलाई को सरकार के शासनादेश को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने सरकार को 17 अगस्त तक अपना जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई के लिए दो सप्ताह बाद की तिथि नियत की है.
मामले की सुनवाई बुधवार चार अगस्त को मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई. याचिकाकर्ता ने सरकार के 31 जुलाई 2021 के शासनादेश को चुनौती देते हुए कहा कि इसमें कई तरह की खामियां हैं. पहाड़ी क्षेत्रों के स्कूल इन मानकों को पूरा नहीं कर सकते हैं.
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याचिकाकर्ता ने बताया कि शासनादेश में लिखा है कि स्कूल दो पालियों में खोले जाएंगे. पहली पाली में 9 से 12 तक कक्षाओं के बच्चे शामिल होंगे, जिनकी कक्षाएं चार घंटे चलेंगी. दूसरी पाली में कक्षा 6 से 8 तक की पढ़ाई होगी. पहली पाली के खत्म होने के बाद कक्षाओं को पूरी तरह से सैनिटाइज किया जाएगा. इसके अलावा शनिवार और रविवार को पूरा स्कूल सैनिटाइज किया जाएगा. ये जिला प्रशासन, नगर पालिका और स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से होगा.
शासनादेश में साफ किया गया है कि इसकी पूरी जिम्मेदारी जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी की होगी. याचिकाकर्ता के मुताबिक पहाड़ी जिलों में ये करना नामुकिन है. क्योंकि सरकारी स्कूलों में इतनी व्यवस्थाएं नहीं है. दुर्गम क्षेत्रों में तो इसका पालन करना और भी नामुमकिन है.
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याचिकाकर्ता के अनुसार शासनादेश में तो यह भी कहा गया है कि बिना अभिभावकों के सहमति के बच्चों को स्कूल नहीं बुलाया जाएगा और कक्षाएं ऑनलाइन और भौतिक रूप से चलेंगी. इसमें समस्याएं आएंगी क्योंकि पिछले डेढ़ साल से बच्चों की स्कूल जाने की आदत छूट चुकी है.
बता दें कि देहरादून निवासी विजय सिंह पाल ने स्कूल खोले जाने का कैबिनेट ने जो निर्णय लिया था, उसको चुनौती देते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका दायर की थी. इसमें उन्होंने कहा था कि प्रदेश में कोरोना के केस अभी भी मिल रहे हैं. ऐसे में सरकार स्कूल खोलने जा रही है. पहाड़ी क्षेत्रों में अभी भी कितने लोगों को वैक्सीन की पहली डोज तक नहीं लगी है. इस बीच सरकार का स्कूल खोलने का निर्णय गलत है. जब शहरों में एसओपी का पालन नहीं हो पा रहा है तो स्कूलों में कहां से होगा, वहां तो इतने साधन तक नहीं हैं.