नैनीताल: नैनी झील की केचमेंट झील सूखाताल यानी नैनी झील को रिचार्ज करने वाली झील बारिश और बर्फबारी के बावजूद भी नहीं भर सकी है. जिससे आने वाले गर्मियों के सीजन और अक्टूबर महीने के बाद लोगों के सामने पीने के पानी की समस्या खड़ी हो सकती है. मगर प्रशासन अब तक इस समस्या से बेखबर है.
देश-दुनिया के सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र नैनीताल की खूबसूरत झील इन दिनों इतिहास के सबसे कठिन दौर से गुजर रही है. एक दौर में बारहों महीने पानी से लबालब भरे रहने वाली नैनी झील में अब पर्याप्त पानी के लाले पड़ गए हैं. इस साल की बरसात बीतने और भारी बर्फबारी के बाद भी सूखाताल और नैनी झील में अभी तक पूरी तरह से पानी नहीं भरा है.
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सरोवर नगरी नैनीताल की नैनी झील का घटता जलस्तर लंबे समय से स्थानीय लोगों के साथ-साथ प्रशासन की भी चिंता का सबब बना हुआ है. हर साल नैनी झील में पानी की आपूर्ति के लिए बारिश और बर्फबारी पर ही आश्रित रहना पड़ता है. इस बार नैनीताल में जमकर बारिश और बर्फबारी हुई, बावजूद इसके भी झील को रिचार्ज करने वाली सुखाताल झील में पानी नहीं भर पाया. आज भी सूखाताल झील झील पूरी तरह से सुखी पड़ी है. जो कि आने वाले समय में बड़ी परेशानियों का कारण बन सकता है.
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सूखाताल झील को नैनीताल झील की धमनी कहा जाता है. सूखाताल से ही नैनीझील में बहार आती है. जिससे यहां सैलानी हर साल खींचे चले आते हैं. परंतु अब सूखाताल पूरी तरह से सूख चुका हैं. जिससे नैनी झील पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. पर्यावरणविद् अजय रावत मानते हैं कि नैनीताल में हो रहे अंधाधुंध अवैध निर्माण, पेड़ों का कटान और झील में मिलने वाली नालियों को बंद करने की वजह से ये नौबत आई है. उन्होंने कहा अगर समय रहते इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो नैनीताल वासियों को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है.