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गढ़ व्यंजनों और उत्पादों को बढ़ावा दे रहा ये शख्स, काश्तकारों की बदल रही जिंदगी

मसूरी विंटर लाइन कार्निवल में द्वारिका प्रसाद सेमवाल द्वारा गढ़ भोज और गढ़ बाजार का स्टॉल लगाया गया है. जिसमें देश-विदेश के पर्यटकों के साथ स्थानीय लोग भी जमकर गढ़ भोज का आनंद ले रहे हैं. वहीं स्टॉलमें रखे गढ़वाल और कुमाऊं के उत्पादों को जमकर खरीद रहे हैं.

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विंटर लाइन कार्निवल में पहाड़ी खाना.
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Published : Dec 31, 2019, 7:40 AM IST

Updated : Dec 31, 2019, 9:00 AM IST

मसूरी: जनपद के दूरस्थ क्षेत्र बागी ब्रह्मपुरी निवासी द्वारिका प्रसाद सेमवाल गढ़ भोज और गढ़ बाजार के माध्यम से पहाड़ी राज्यों का परिचय देश-दुनिया में करा रहे हैं. वह न सिर्फ प्रचार-प्रसार की बातें करते हैं, बल्कि गांव के छोटे किसानों को भी अपनी मुहिम से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं. आईये जानते हैं कैसे करते हैं वे यह सब.

विंटर लाइन कार्निवल में पहाड़ी खाना.

पढ़ें- उत्तराखंडः पहाड़ों में वरदान साबित हो रही अदरक की खेती, मुनाफे में किसान

द्वारिका प्रसाद सेमवाल वह हैं जिनका पहाड़ी उत्पाद कभी बाजार की शक्ल नहीं ले पाया था, लेकिन उनके इस सफल प्रयोग के बाद से उत्तरकाशी और देहरादून में अब विभिन्न विवाह बैठकों और मेलों में गढ़ भोज का स्टॉल लगाया जा रहा हैं. आपको जानकर हैरानी होगी की इस कार्यक्रम से लगभग 500 किसानों को प्रत्यक्ष तौर पर स्वरोजगार से जोड़ा गया है. वहीं उनके साथ शेफ राम सिंह भी गढ़ भोज में विभिन्न पहाड़ी उत्पादों से उत्तराखंडी फ्यूजन बनाकर देश-विदेश के लोगों को परोस रहे हैं. जिसको प्रदेश में ही नहीं विदेशों में काफी पसंद किया जा रहा है.

द्वारिका प्रसाद सेमवाल बताते हैं कि 2004 में उत्तरकाशी में आयोजित होने वाले माघ मेले में जब उन्होंने गढ़ भोज का स्टॉल सजाया तो पहले ही दिन उनके स्टॉल में ग्राहकों की भारी भीड़ देखने के मिली और लोगों ने जमकर उत्तराखंड उत्पादों को खरीदा. उन्होंने कहा कि उसी दिन से उन्होंने गांव की महिला समूह के सदस्य पहाड़ी उत्पादों से जोड़कर व्यवस्थित बाजार का रूप देने की सोची जिससे भविष्य में पहाड़ी किसानों की आर्थिक स्थिति में परिवर्तन लाया जा सके.

बता दें कि बाजारीकरण और वशीकरण के कारण यह पहाड़ी उत्पाद व व्यंजन अपना स्वाद खोने लगे हैं. पौष्टिकता और औषधीय गुणों से भरपूर पहाड़ के व्यंजन थाली से गायब होने के कगार पर पहुंच चुके हैं. लेकिन द्वारिका प्रसाद गढ़ भोज और गढ़ बाजार के माध्यम से पहाड़ के व्यंजनों और उत्पादों को जन-जन तक पहुंचा रहे हैं जो एक बेहतर प्रयास है.

मसूरी: जनपद के दूरस्थ क्षेत्र बागी ब्रह्मपुरी निवासी द्वारिका प्रसाद सेमवाल गढ़ भोज और गढ़ बाजार के माध्यम से पहाड़ी राज्यों का परिचय देश-दुनिया में करा रहे हैं. वह न सिर्फ प्रचार-प्रसार की बातें करते हैं, बल्कि गांव के छोटे किसानों को भी अपनी मुहिम से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं. आईये जानते हैं कैसे करते हैं वे यह सब.

विंटर लाइन कार्निवल में पहाड़ी खाना.

पढ़ें- उत्तराखंडः पहाड़ों में वरदान साबित हो रही अदरक की खेती, मुनाफे में किसान

द्वारिका प्रसाद सेमवाल वह हैं जिनका पहाड़ी उत्पाद कभी बाजार की शक्ल नहीं ले पाया था, लेकिन उनके इस सफल प्रयोग के बाद से उत्तरकाशी और देहरादून में अब विभिन्न विवाह बैठकों और मेलों में गढ़ भोज का स्टॉल लगाया जा रहा हैं. आपको जानकर हैरानी होगी की इस कार्यक्रम से लगभग 500 किसानों को प्रत्यक्ष तौर पर स्वरोजगार से जोड़ा गया है. वहीं उनके साथ शेफ राम सिंह भी गढ़ भोज में विभिन्न पहाड़ी उत्पादों से उत्तराखंडी फ्यूजन बनाकर देश-विदेश के लोगों को परोस रहे हैं. जिसको प्रदेश में ही नहीं विदेशों में काफी पसंद किया जा रहा है.

द्वारिका प्रसाद सेमवाल बताते हैं कि 2004 में उत्तरकाशी में आयोजित होने वाले माघ मेले में जब उन्होंने गढ़ भोज का स्टॉल सजाया तो पहले ही दिन उनके स्टॉल में ग्राहकों की भारी भीड़ देखने के मिली और लोगों ने जमकर उत्तराखंड उत्पादों को खरीदा. उन्होंने कहा कि उसी दिन से उन्होंने गांव की महिला समूह के सदस्य पहाड़ी उत्पादों से जोड़कर व्यवस्थित बाजार का रूप देने की सोची जिससे भविष्य में पहाड़ी किसानों की आर्थिक स्थिति में परिवर्तन लाया जा सके.

बता दें कि बाजारीकरण और वशीकरण के कारण यह पहाड़ी उत्पाद व व्यंजन अपना स्वाद खोने लगे हैं. पौष्टिकता और औषधीय गुणों से भरपूर पहाड़ के व्यंजन थाली से गायब होने के कगार पर पहुंच चुके हैं. लेकिन द्वारिका प्रसाद गढ़ भोज और गढ़ बाजार के माध्यम से पहाड़ के व्यंजनों और उत्पादों को जन-जन तक पहुंचा रहे हैं जो एक बेहतर प्रयास है.

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उत्तरकाशी जनपद के दूरस्थ क्षेत्र बागी ब्रह्मपुरी निवासी द्वारिका प्रसाद सेमवाल गढ़ भोज और गढ़ बाजार के माध्यम से पहाड़ी राज्यों का परिचय देश दुनिया में करवा रहे हैं वह ना सिर्फ प्रचार-प्रसार की बातें करते हैं बल्कि गांव के छोटे किसान अपनी मुहिम से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं जिनका पहाड़ी उत्पाद कभी बाजार की शक्ल नहीं ले पाया था मगर द्वारिका के इस सफल प्रयोग ने उत्तरकाशी और देहरादून में अब विभिन्न विवाह बैठकों व मेलों में गढ़ भोज का स्टाल लगा रहे हैं अर्थात इस कार्यक्रम से लगभग 500 किसानों को प्रत्यक्ष तौर पर स्वरोजगार से जोड़ा गया है वहीं उनके साथ शेफ राम सिंह द्वारा भी गढ़ भोज में विभिन्न पहाड़ी उत्पादों से उत्तराखंडी फ्यूजन बनाकर देश-विदेश के लोगों को परोस रहे हैं जिसको प्रदेश में ही नहीं विदेशों में काफी पसंद किया जा रहा है मसूरी विंटर लाइन कार्निवल में द्वारिका प्रसाद सेमवाल द्वारा गढ़ भोज और गढ़ बाजार का स्टाल लगाया गया है जिसमें देश-विदेश के पर्यटकों के साथ स्थानीय लोग भी जमकर गढ़ भोज का आनंद ले रहे हैं वहीं स्टाल में रखे बगढ़वाल और कुमाऊं के उत्पादों को जमकर खरीद रहे हैं


Body:द्वारिका प्रसाद सेमवाल बताते हैं कि 2004 में उत्तरकाशी में आयोजित होने वाले माघ मेले में जब गढ़ भोज का स्टाल सजाया गया तो पहले ही दिन उनके स्टॉल में ग्राहकों की भारी भीड़ देखी गई और लोगों ने जमकर उत्तराखंड उत्पादों को खरीदा द्वारिका ने कहा कि उसी दिन से उन्होंने गांव की महिला समूह के सदस्य पहाड़ी उत्पादों से जोड़कर व्यवस्थित बाजार का रूप देने की सोची जिससे भविष्य में पहाड़ी किसानों की आर्थिक स्थिति में आमूलचूल परिवर्तन लाया जा सके द्वारिका ने पहाड़ी संस्था के द्वारा गढ़वाल व कुमाऊं के सभी व्यंजनों को अध्ययन कर पहाड़ी उत्पादों को बाजार को विकसित करने को लेकर उत्साह और मेल गढ़ भोज के स्टाल लगाए गए और आज गढ़ भोज और गढ़ बाजार प्रदेश में ही नहीं देश के कई राज्यों में लगने लगे है और लोग जमकर पहाड़ी उत्पदों की खरीदारी कर रहे हैं और उत्पाद की मांग को पूरा ही नहीं कर पा रहे ऐसे में उन्होंने कहा कि सरकार को पहाड़ी पौधों की फसल को उगाने वाले किसानों को मजबूत करने को योजना बनानी चाहिए जिससे पहाड़ में रह रहे लोग पहाड़ी उत्पाद को ज्यादा मात्रा में उगाये जिससे पहाड़ के लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा जा सके वहीं पलायन को रोकने में भी सफल प्रयास बन सके द्वारिका ने कहा कि वह सरकार से मांग कर रहे हैं कि गढ़ भोज को स्कूल के मिड डे मील में भी शामिल किया जाए बता दे कि उत्तराखंड में स्वादिष्ट व विधि विद युक्त खानपान की स्मृति संस्कृति रही है इसलिए यहां के लोग अपने खेतों में बहु विविधता के उत्पादों का उत्पादन करते हैं मगर बाजारीकरण व वशीकरण के कारण यह पहाड़ी उत्पाद व व्यंजन अपना स्वाद खोने लगे हैं पौष्टिकता और औषधीय गुणों से भरपूर पहाड़ के व्यंजन थाली से गायब होने के कगार पर पहुंच चुके थे परंतु गढ़ भोज और गढ़ बाजार के माध्यम से पहाड़ के व्यंजनों और उत्पादों को जन जन तक पहुंचाया जा रहा है जो एक बेहतर प्रयास है


Conclusion:
Last Updated : Dec 31, 2019, 9:00 AM IST
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