मसूरी: जनपद के दूरस्थ क्षेत्र बागी ब्रह्मपुरी निवासी द्वारिका प्रसाद सेमवाल गढ़ भोज और गढ़ बाजार के माध्यम से पहाड़ी राज्यों का परिचय देश-दुनिया में करा रहे हैं. वह न सिर्फ प्रचार-प्रसार की बातें करते हैं, बल्कि गांव के छोटे किसानों को भी अपनी मुहिम से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं. आईये जानते हैं कैसे करते हैं वे यह सब.
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द्वारिका प्रसाद सेमवाल वह हैं जिनका पहाड़ी उत्पाद कभी बाजार की शक्ल नहीं ले पाया था, लेकिन उनके इस सफल प्रयोग के बाद से उत्तरकाशी और देहरादून में अब विभिन्न विवाह बैठकों और मेलों में गढ़ भोज का स्टॉल लगाया जा रहा हैं. आपको जानकर हैरानी होगी की इस कार्यक्रम से लगभग 500 किसानों को प्रत्यक्ष तौर पर स्वरोजगार से जोड़ा गया है. वहीं उनके साथ शेफ राम सिंह भी गढ़ भोज में विभिन्न पहाड़ी उत्पादों से उत्तराखंडी फ्यूजन बनाकर देश-विदेश के लोगों को परोस रहे हैं. जिसको प्रदेश में ही नहीं विदेशों में काफी पसंद किया जा रहा है.
द्वारिका प्रसाद सेमवाल बताते हैं कि 2004 में उत्तरकाशी में आयोजित होने वाले माघ मेले में जब उन्होंने गढ़ भोज का स्टॉल सजाया तो पहले ही दिन उनके स्टॉल में ग्राहकों की भारी भीड़ देखने के मिली और लोगों ने जमकर उत्तराखंड उत्पादों को खरीदा. उन्होंने कहा कि उसी दिन से उन्होंने गांव की महिला समूह के सदस्य पहाड़ी उत्पादों से जोड़कर व्यवस्थित बाजार का रूप देने की सोची जिससे भविष्य में पहाड़ी किसानों की आर्थिक स्थिति में परिवर्तन लाया जा सके.
बता दें कि बाजारीकरण और वशीकरण के कारण यह पहाड़ी उत्पाद व व्यंजन अपना स्वाद खोने लगे हैं. पौष्टिकता और औषधीय गुणों से भरपूर पहाड़ के व्यंजन थाली से गायब होने के कगार पर पहुंच चुके हैं. लेकिन द्वारिका प्रसाद गढ़ भोज और गढ़ बाजार के माध्यम से पहाड़ के व्यंजनों और उत्पादों को जन-जन तक पहुंचा रहे हैं जो एक बेहतर प्रयास है.