मसूरी: प्रदेश में लगातार कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है. जिसके कारण अभी कॉलेजों का खुलना संभव नहीं हो पा रहा है. ऐसे में नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) विद्यालयों में पढ़ रहे छात्र छात्राओं को पदोन्नत करने की मांग कर रहा है. उन्होंने मांग पूरी ना होने पर प्रदेश में उग्र आंदोलन करने की चेतावनी दी.
इसी कड़ी में एनएसयूआई के मसूरी अध्यक्ष जगपाल गुसाईं ने बताया कि एनएसयूआई लगातार विद्यालयों में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं को पदोन्नत करने की मांग कर रह है. विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले कई छात्र दुर्गम क्षेत्रों और कई अन्य राज्यों से भी आते हैं. उनका कहना है कि अगर परीक्षा करवाई जाती है तो इससे छात्रों को बेवजह संक्रमण का सामना करना पड़ेगा.
साथ ही बताया कि एनएसयूआई राज्य सरकार से मांग करता है कि प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्र-छात्राओं को परीक्षा बिना ही अगली कक्षा में पदोन्नत किया जाए. साथ ही अंतिम वर्ष के छात्र-छात्राओं को 10 फीसदी अतिरिक्त अंकों के साथ पिछले प्रदर्शन के आधार पर पदोन्नत किया जाए.
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वहीं अध्यक्ष का कहना है कि वर्तमान समय की परिस्थितियों को देखते हुए एक सेमेस्टर का शुल्क माफ किया जाना चाहिए. साथ ही पहाड़ी क्षेत्रों में कम कनेक्टिविटी को देखते हुए ऑनलाइन परीक्षा नहीं करवाई जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत के बयान का 1 जुलाई से परीक्षा करवाने का एनएसयूआई विरोध करता है.
प्रदेश सरकार उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे सैकड़ों छात्र-छात्राओं की जिंदगी को खतरे में डालने का काम कर रही है. जिसका प्रदेश भर में एनएसयूआई विरोध कर रहा है. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में उच्च शिक्षा मंत्री को पूरे प्रदेशभर के छात्र-छात्राओं द्वारा अपनी मांग को लेकर 50 हजार पोस्टकार्ड भेजने का काम किया जाएगा. मांग पर ध्यान ना देने पर प्रदेश में उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे.