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कबूतर खाने में तब्दील स्पोर्ट्स स्टेडियम, जर्जर भवन में प्रैक्टिस को मजबूर खिलाड़ी - uttrakhand news

काशीपुर स्थित स्पोर्ट्स स्टेडियम अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को मजबूर हैं. वहीं, जर्जर हो चुके इस स्टेडियम के भवन में खिलाड़ी अपनी जान जोखिम में डालकर अभ्यास कर रहे है

जर्जर हालत में स्पोर्ट्स स्टेडियम.
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Published : Jun 20, 2019, 2:42 PM IST

काशीपुर: नगर में स्थित स्पोर्ट्स स्टेडियम अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को मजबूर हैं. वहीं, जर्जर हो चुके इस स्टेडियम के भवन में खिलाड़ी अपनी जान जोखिम में डालकर अभ्यास कर रहे हैं. काशीपुर स्पोर्ट्स स्टेडियम लगभग चालीस वर्ष पुराना है. लेकिन रख रखाव के अभाव में ये आज किसी खंडहर से कम नहीं लगता है. ऐसे में प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की प्रतिभा अपने इलाकों तक ही सीमित रह गई है. जबकि, यहां खेल के मैदान से लेकर कोच तक का टोटा है.

जर्जर हालत में स्पोर्ट्स स्टेडियम.

बता दें कि काशीपुर के स्पोर्ट्स स्टेडियम की जर्जर हालत के चलते प्रतिभाशाली खिलाड़ी अपनी प्रतिभा को नहीं निखार पा रहे हैं. खेल व्यवस्था को सुधारने के लिए तमाम योजनाएं तो बनी, लेकिन वह यहां धरातल पर नहीं उतर पाई है. जिससे लाभ खिलाड़ियों को नहीं मिल पा रहा है.

पढ़े: रामनगर में रोडवेज बसों का टोटा, यात्री हलकान

वहीं, इस स्टेडियम ने कई राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी देश को दिए हैं, जिनमें केसी बाबा, प्रियंका चौधरी, राजीव चौधरी जैसे खिलाड़ी शामिल है. जिन्होंने देश से लेकर विदेश में अपनी प्रतिभा का लौहा मनवाया है. जबकि, ऐसे प्रतिभावन खिलाड़ी देने वाला स्टेडियम आज बदहाली की कगार पर है. अनदेखी के चलते इस स्टेडियम में ट्रैक पर उड़ती धूल, कबूतर खाना बना इंडोर बैडमिंटन हाल, जर्जर बिल्डिंग, यहां की पहचान बन चुकी है.

काशीपुर के इस स्पोर्ट्स स्टेडियम को लेकर राजनीतिक दल चुनाव के वक्त तमाम वादे करते हैं. लेकिन चुनाव खत्म होते ही ये मुद्दा कहीं गौण हो जाता है. पूर्व में काशीपुर स्टेडियम में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सूबे के खेल मंत्री अरविंद पांडेय ने भी स्टेडियम की जर्जर हालत पर दुःख जताते हुए पानी की व्यवस्था के लिए पांच लाख रुपए देने की बात कही थी, लेकिन ये बात भी महज आश्वासन ही साबित हुई.

बहरहाल, सूबे के खेल मंत्री का कहना है कि खिलाड़ियों को निराश होने की जरुरत नहीं है. राज्य सरकार खेल का माहौल तैयार करने में जुटी है. अब आगे यह देखना होगा कि सरकार कब तक खेल का माहौल राज्य में विकसित करती है, और काशीपुर के खिलाड़ी कबतक जर्जर छत के नीचे साइना नेहवाल और पीवी सिंधु बनने की जोर आजमाइश करते है.

काशीपुर: नगर में स्थित स्पोर्ट्स स्टेडियम अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को मजबूर हैं. वहीं, जर्जर हो चुके इस स्टेडियम के भवन में खिलाड़ी अपनी जान जोखिम में डालकर अभ्यास कर रहे हैं. काशीपुर स्पोर्ट्स स्टेडियम लगभग चालीस वर्ष पुराना है. लेकिन रख रखाव के अभाव में ये आज किसी खंडहर से कम नहीं लगता है. ऐसे में प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की प्रतिभा अपने इलाकों तक ही सीमित रह गई है. जबकि, यहां खेल के मैदान से लेकर कोच तक का टोटा है.

जर्जर हालत में स्पोर्ट्स स्टेडियम.

बता दें कि काशीपुर के स्पोर्ट्स स्टेडियम की जर्जर हालत के चलते प्रतिभाशाली खिलाड़ी अपनी प्रतिभा को नहीं निखार पा रहे हैं. खेल व्यवस्था को सुधारने के लिए तमाम योजनाएं तो बनी, लेकिन वह यहां धरातल पर नहीं उतर पाई है. जिससे लाभ खिलाड़ियों को नहीं मिल पा रहा है.

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वहीं, इस स्टेडियम ने कई राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी देश को दिए हैं, जिनमें केसी बाबा, प्रियंका चौधरी, राजीव चौधरी जैसे खिलाड़ी शामिल है. जिन्होंने देश से लेकर विदेश में अपनी प्रतिभा का लौहा मनवाया है. जबकि, ऐसे प्रतिभावन खिलाड़ी देने वाला स्टेडियम आज बदहाली की कगार पर है. अनदेखी के चलते इस स्टेडियम में ट्रैक पर उड़ती धूल, कबूतर खाना बना इंडोर बैडमिंटन हाल, जर्जर बिल्डिंग, यहां की पहचान बन चुकी है.

काशीपुर के इस स्पोर्ट्स स्टेडियम को लेकर राजनीतिक दल चुनाव के वक्त तमाम वादे करते हैं. लेकिन चुनाव खत्म होते ही ये मुद्दा कहीं गौण हो जाता है. पूर्व में काशीपुर स्टेडियम में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सूबे के खेल मंत्री अरविंद पांडेय ने भी स्टेडियम की जर्जर हालत पर दुःख जताते हुए पानी की व्यवस्था के लिए पांच लाख रुपए देने की बात कही थी, लेकिन ये बात भी महज आश्वासन ही साबित हुई.

बहरहाल, सूबे के खेल मंत्री का कहना है कि खिलाड़ियों को निराश होने की जरुरत नहीं है. राज्य सरकार खेल का माहौल तैयार करने में जुटी है. अब आगे यह देखना होगा कि सरकार कब तक खेल का माहौल राज्य में विकसित करती है, और काशीपुर के खिलाड़ी कबतक जर्जर छत के नीचे साइना नेहवाल और पीवी सिंधु बनने की जोर आजमाइश करते है.

Intro:Summary- काशीपुर का स्थानीय स्पोर्ट्स स्टेडियम अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को मजबूर हैं जिस की बदहाली के चलते खिलाड़ी अपनी जान जोखिम में डालकर यहां रोजाना अभ्यास करने को मजबूर है तो वही राज्य सरकार इन बद इंतजाम और स्टेडियम की बदहाली के बावजूद भी इन खिलाड़ियों से पक्की उम्मीद कर रही हैं।


आधुनिकता के इस दौर में आज भी काशीपुर व आस पास के युवा और खिलाड़ी, खेल संसाधनों के लिए तरस रहे हैं। सुविधाओं के अभाव के चलते यहां के प्रतिभावान खिलाड़ी अपनी पहचान कायम नहीं कर पा रहे हैं। प्रदेश के सबसे पुराने स्टेडियम में सुमार काशीपुर स्पोर्ट्स स्टेडियम की जर्जर हालत के चलते यहाँ आने वाले खिलाडी चाह कर भी अपनी प्रतिभा नहीं निखार पा रहे है। काशीपुर शहर व ग्रामीण इलाकों में प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की कमी नहीं है। कमी है तो सुविधाओं की, जिसके कारण खिलाड़ियों की प्रतिभा अपने इलाकों तक ही सीमित रह गई है। यहां खेल के मैदान की सुविधाओं से लेकर कोच तक का टोटा है। ऐसे में यहां खेल प्रतिभाएं कैसे निखरेंगी इसका अंदाजा आप स्वयं लगा सकते है । खेल व्यवस्था को सुधारने के लिए योजनाएं तो बहुत बनी, लेकिन उस पर सही ढंग से अमल नहीं हो रहा है, जिससे खिलाड़ियों को इसका पूरा लाभ नहीं मिल रहा है।

Body:बी ओ - काशीपुर स्पोर्ट्स स्टेडियम प्रदेश के सबसे पुराने स्टेडियम में सुमार है। इस स्टेडियम ने कई राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय खिलाडी देश को दिए है जिनमें के सी बाबा, प्रियंका चौधरी, राजीव चौधरी जैसे खिलाडी शामिल है जिन्होंने समय समय पर देश का नाम रोशन किया है। परन्तु अनदेखी के चलते आज ये स्पोर्ट्स स्टेडियम पूरी तरह जर्जर हो चूका है। सुविधाओं के नाम पर न तो यहाँ कोच है और न ही खिलाडियों को मिलने वाली सुविधाएं। ट्रैक पर उड़ती धुल, कबूतर खाना बना इंडोर बैटमिंटन हाल, जर्जर बिल्डिंग, यहाँ की पहचान बन चुकी है। अधिकारी भी फंड न मिलने का जहाँ रोना रोते रहते है तो वही जनप्रतिनिधि भी इस ओर से आँखें मूंदे हुए है काशीपुर स्पोर्ट्स स्टेडियम लगभग चालीस वर्ष पुराना है। परन्तु बिना रख रखाब के चलते आज ये किसी खंडहर से कम नहीं लगती। स्टेडियम को सियासत चुनावी वक्त में अपने लिए खूब इस्तेमाल करती रही है लेकिन उसके रख रखाव पर कोई नजरें इनायत करने को तैयार नही है । बाबजूद स्टेडियम की बदहाली पर किसी का ध्यान नही है।

बी ओ - खेल में कुछ कर दिखाने की ललक पाले काशीपुर व आस पास के प्रतिभावान युवाओं की नई पीढ़ी यू ही टपकती छत और बदहाल स्टेडियम में अपने को माझ रही है। पूर्व में काशीपुर स्टेडियम में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान सूबे के खेल मंत्री अरविंद पांडेय ने भी स्टेडियम की जर्जर हालत पर दुख जताते हुए पाँच लाख रुपए पानी की व्यवस्था के लिए देने की बात कही थी परंतु वो भी सिर्फ कोरा आश्वाशन बन कर रह गया । सूबे के खेल मंत्री पूर्व में कह चुके है कि सूबे के खिलाड़ियों को निराश होने की जरूरत नही है सरकार खेल का माहौल तैयार करने में जुटी है। ऐसे में देखना होगा कि सरकार कब तक खेल का माहौल राज्य में विकसित करती है और काशीपुर के खिलाड़ी कब तक जर्जर छत के नीचे साइना नेहवाल और पी वी सन्धु बनने की जोर आजमाइश करते है।

बाईट - मनीषा ( खिलाडी )
बाईट - हरदेव सिंह ( खिलाडी )
बाईट - आलिख ( खिलाडी )
बाईट - रशिका सिद्द्की ( जिला क्रीड़ा अधिकारी )Conclusion:
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