ETV Bharat / city

हरिद्वार की 'किलर' सड़कें, कर रहीं कोख सूनी!

author img

By

Published : Nov 17, 2020, 4:32 PM IST

Updated : Nov 17, 2020, 10:37 PM IST

ETV BHARAT से बातचीत में हरिद्वार की एक महिला कहती हैं कि 'मैंने अपने बच्चे का नाम सोच लिया था. उसकी किक भी महसूस करने लगी थी, उससे घंटों बातें करती थी. सोचा था जिंदगी में खुशियां आने वाली हैं, लेकिन...'

Killer Roads of Haridwar
हरिद्वार की 'किलर' सड़कें.

हरिद्वार: विकास के लिए सड़कों का होना और सही हालत में होना जरूरी है. भारत में केंद्र और राज्य सरकारें सड़कों को विकास का पर्याय मान, इसके निर्माण पर राजस्व का एक बड़ा हिस्सा खर्च करती हैं. फिर भी सड़कें ऐसी बनती हैं, जिनमें कुछ समय बाद ही गड्ढों का बसेरा बन जाता है. सड़कों पर इन गड्ढों की वजह से हर साल हजारों कोख सूनी होती है और हजारों मांग का सिंदूर मिट जाता है.

सड़क में गड्ढे या गड्ढों में सड़क है, इसे जानने के लिए आपको चलना होगा धर्मनगरी हरिद्वार. जहां, सड़कें अपने बदहाली की कहानी खुद बयां कर रहे हैं. आमजन के साथ-साथ हरिद्वार की खस्ता हाल सड़कें गर्भवती महिलाओं के लिए 'किलर' साबित हो रहे हैं.

हरिद्वार के प्रसूति सहायता केंद्र, सरकारी और निजी अस्पतालों में बैठे डॉक्टरों का कहना है कि हरिद्वार की सड़कों के गड्ढे उन बच्चों के ऊपर प्रभाव डाल रहे हैं, जो अभी दुनिया में आए ही नहीं हैं. हरिद्वार में हरिपुर कला से लेकर रानीपुर मोड़, ललतारा पुल से लेकर आर्य नगर चौक, शिवालिक नगर से लेकर भूमानंद हॉस्पिटल और हरकी पौड़ी से लेकर जिला अस्पताल तक इतने गड्ढे हो चले हैं. जिनकी वजह से इस क्षेत्र में प्रेग्नेंट महिलाओं को ना केवल दिक्कतें आ रही हैं. बल्कि ट्रीटमेंट में डॉक्टरों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

हरिद्वार के जिला अस्पताल में ऐसी कई महिलाएं रोजाना आती हैं, जिन्हें खराब सड़कों की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ा है. आलम यह है कि डॉक्टर अब मरीज की जगह उनके तीमारदार को बुला रहे हैं. क्योंकि अधिकतर महिलाएं ई-रिक्शा, ऑटो या फिर स्कूटर जैसे साधनों से अस्पताल पहुंचते हैं.

ये भी पढ़ें: गर्भवती महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर कोरोना का प्रभाव

हरिद्वार के रानीपुर मोड़ में अस्पताल चलाने वालीं डॉ सुजाता प्रधान का कहना है कि उनके पास भी कई पेशेंट ऐसे आ रहे हैं. जिन्हें समय से पहले दर्द की समस्या है. इसका मुख्य कारण यही है कि वह दूर-दराज से क्लीनिक पर आती हैं. जब उनसे दर्द का कारण पूछा जाता है तो मरीजों का जवाब खराब सड़कें और गड्ढा होता है. डॉ प्रधान का कहना है कि बीते दिनों वे और 10 डॉक्टरों ने हरिद्वार की बदहाल सड़कों को ठीक कराने के लिए तत्कालीन जिलाधिकारी को हस्ताक्षर वाला एक पत्र सौंपा था. लेकिन, हालात जस के तस हैं.

मां बनना जितना खूबसूरत, मिसकैरेज उतना ही दर्दनाक

मिसकैरेज एक ऐसा शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ तो सब जानते हैं. लेकिन इसका असली मतलब सिर्फ वो औरतें जानती हैं, जो इसे झेल चुकी हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में हरिद्वार की एक महिला का कहना है कि 'शहर की खराब सड़कों की वजह से उन्हें सातवें महीने में मिसकैरेज झेलना पड़ा'. महिला का कहना है कि बहुत सावधानीपूर्वक रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल जा रही थी. लेकिन सड़कें इतनी खराब थी कि धीमे गाड़ी चलाना भी संभव नहीं हो पा रहा था. ऐसे में स्थिति बिगड़ी तो डॉक्टरों ने साफ मना कर दिया. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उनकी मीठी आवाज में अपने अजन्मे बच्चे को खोने की कड़वाहट साफ झलकती है.

क्या है मिसकैरेज?

मेडिकल साइंस की भाषा में इसे 'स्पॉन्टेनस अबॉर्शन' या 'प्रेग्नेंसी लॉस' भी कहते हैं. मिसकैरेज तब होता है जब भ्रूण की गर्भ में ही मौत हो जाती है. प्रेग्नेंसी के 20 हफ्ते तक अगर भ्रूण की मौत होती तो इसे मिसकैरेज कहते हैं. इसके बाद भ्रूण की मौत को 'स्टिलबर्थ' कहा जाता है.

हरिद्वार के चारों तरफ अंडरग्राउंड केबल का काम किया जा रहा है. लेकिन निर्माण एजेंसियां काम के बाद सड़कों के गड्ढों को खुला छोड़ दे रही हैं. जिसकी वजह से प्रेग्नेंट महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

हरिद्वार: विकास के लिए सड़कों का होना और सही हालत में होना जरूरी है. भारत में केंद्र और राज्य सरकारें सड़कों को विकास का पर्याय मान, इसके निर्माण पर राजस्व का एक बड़ा हिस्सा खर्च करती हैं. फिर भी सड़कें ऐसी बनती हैं, जिनमें कुछ समय बाद ही गड्ढों का बसेरा बन जाता है. सड़कों पर इन गड्ढों की वजह से हर साल हजारों कोख सूनी होती है और हजारों मांग का सिंदूर मिट जाता है.

सड़क में गड्ढे या गड्ढों में सड़क है, इसे जानने के लिए आपको चलना होगा धर्मनगरी हरिद्वार. जहां, सड़कें अपने बदहाली की कहानी खुद बयां कर रहे हैं. आमजन के साथ-साथ हरिद्वार की खस्ता हाल सड़कें गर्भवती महिलाओं के लिए 'किलर' साबित हो रहे हैं.

हरिद्वार के प्रसूति सहायता केंद्र, सरकारी और निजी अस्पतालों में बैठे डॉक्टरों का कहना है कि हरिद्वार की सड़कों के गड्ढे उन बच्चों के ऊपर प्रभाव डाल रहे हैं, जो अभी दुनिया में आए ही नहीं हैं. हरिद्वार में हरिपुर कला से लेकर रानीपुर मोड़, ललतारा पुल से लेकर आर्य नगर चौक, शिवालिक नगर से लेकर भूमानंद हॉस्पिटल और हरकी पौड़ी से लेकर जिला अस्पताल तक इतने गड्ढे हो चले हैं. जिनकी वजह से इस क्षेत्र में प्रेग्नेंट महिलाओं को ना केवल दिक्कतें आ रही हैं. बल्कि ट्रीटमेंट में डॉक्टरों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

हरिद्वार के जिला अस्पताल में ऐसी कई महिलाएं रोजाना आती हैं, जिन्हें खराब सड़कों की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ा है. आलम यह है कि डॉक्टर अब मरीज की जगह उनके तीमारदार को बुला रहे हैं. क्योंकि अधिकतर महिलाएं ई-रिक्शा, ऑटो या फिर स्कूटर जैसे साधनों से अस्पताल पहुंचते हैं.

ये भी पढ़ें: गर्भवती महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर कोरोना का प्रभाव

हरिद्वार के रानीपुर मोड़ में अस्पताल चलाने वालीं डॉ सुजाता प्रधान का कहना है कि उनके पास भी कई पेशेंट ऐसे आ रहे हैं. जिन्हें समय से पहले दर्द की समस्या है. इसका मुख्य कारण यही है कि वह दूर-दराज से क्लीनिक पर आती हैं. जब उनसे दर्द का कारण पूछा जाता है तो मरीजों का जवाब खराब सड़कें और गड्ढा होता है. डॉ प्रधान का कहना है कि बीते दिनों वे और 10 डॉक्टरों ने हरिद्वार की बदहाल सड़कों को ठीक कराने के लिए तत्कालीन जिलाधिकारी को हस्ताक्षर वाला एक पत्र सौंपा था. लेकिन, हालात जस के तस हैं.

मां बनना जितना खूबसूरत, मिसकैरेज उतना ही दर्दनाक

मिसकैरेज एक ऐसा शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ तो सब जानते हैं. लेकिन इसका असली मतलब सिर्फ वो औरतें जानती हैं, जो इसे झेल चुकी हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में हरिद्वार की एक महिला का कहना है कि 'शहर की खराब सड़कों की वजह से उन्हें सातवें महीने में मिसकैरेज झेलना पड़ा'. महिला का कहना है कि बहुत सावधानीपूर्वक रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल जा रही थी. लेकिन सड़कें इतनी खराब थी कि धीमे गाड़ी चलाना भी संभव नहीं हो पा रहा था. ऐसे में स्थिति बिगड़ी तो डॉक्टरों ने साफ मना कर दिया. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उनकी मीठी आवाज में अपने अजन्मे बच्चे को खोने की कड़वाहट साफ झलकती है.

क्या है मिसकैरेज?

मेडिकल साइंस की भाषा में इसे 'स्पॉन्टेनस अबॉर्शन' या 'प्रेग्नेंसी लॉस' भी कहते हैं. मिसकैरेज तब होता है जब भ्रूण की गर्भ में ही मौत हो जाती है. प्रेग्नेंसी के 20 हफ्ते तक अगर भ्रूण की मौत होती तो इसे मिसकैरेज कहते हैं. इसके बाद भ्रूण की मौत को 'स्टिलबर्थ' कहा जाता है.

हरिद्वार के चारों तरफ अंडरग्राउंड केबल का काम किया जा रहा है. लेकिन निर्माण एजेंसियां काम के बाद सड़कों के गड्ढों को खुला छोड़ दे रही हैं. जिसकी वजह से प्रेग्नेंट महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

Last Updated : Nov 17, 2020, 10:37 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.