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तरबूज की पैदावार पर गर्मी की मार, बर्बादी की कगार पर किसान

बाहर से हरा और अंदर से लाल रंग का दिखने वाला तरबूज इस बार भीषण गर्मी और सूखे की मार झेल रहा है. खेतों में पानी न होने की वजह से इस बार तरबूज सूख कर बेल पर ही फट रहे हैं. जिसकी वजह से तरबूज किसान इस बार काफी परेशान नजर आ रहे हैं

तरबूज पर गर्मी की मार
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Published : Jun 6, 2019, 1:19 PM IST

Updated : Jun 6, 2019, 2:21 PM IST

हरिद्वार: देश में किसानों की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. कभी कर्ज की परेशानी तो कभी मौसम की मार. कभी बरसात किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाती है तो कभी सूखे की वजह से किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती है. ये ही वे कारण हैं जिनके कारण किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ता है और किसान खेतों में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते. पिछले सालों की तुलना में मई में ऐसा लग रहा था कि इस बार भगवान किसानों पर मेहरबान हैं लेकिन जून आते ही गर्मी ने अपना सितम ढहाना शुरू कर दिया है. कड़कड़ाती धूप और लू के थपेड़े न केवल इंसान बल्कि फसलों पर भी तीखा प्रहार कर रहे हैं. लोगों को बढ़ती गर्मी से निजात दिलाने वाला तरबूज भी खुद इस समय भीषण गर्मी की मार झेल रहा है. देखिए हरिद्वार से यह खास रिपोर्ट...

तरबूज पर गर्मी की मार.
गर्मी के मौसम में शरीर में पानी को कमी को पूरा करने वाला फल तरबूज लोगों की पहली पसंद होता है. ये तरबूज ही है जो अपनी तासीर और ठंडक की वजह से लोगों को गर्मी के मौसम में बड़ी राहत देता है. लेकिन इस बार गर्मी कुछ इस कदर बढ़ी है कि लोगों को ठंडक पहुंचाने वाला यह तरबूज खुद ठंड के लिए तड़प रहा है. हालात ये हो गए हैं पानी भरा रहने वाला तरबूज भी अब अंदर से सूखने लगा है.यहीं नहीं इसे उगाने वाले भी बर्बादी की कगार पर आ गए हैं.

पढ़ें-उत्तराखंड में इस तरह से मनाया गया ईद का जश्न, रोजेदार बोले- इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं

बाहर से हरा और अंदर से लाल रंग का दिखने वाला तरबूज इस बार भीषण गर्मी और सूखे की मार झेल रहा है. खेतों में पानी न होने की वजह से इस बार तरबूज सूख कर बेल पर ही फट रहे हैं. जिसकी वजह से तरबूज किसान इस बार काफी परेशान नजर आ रहे हैं. किसानों का कहना है कि इस बार बारिश न होने की वजह से फसल पूरी तरह सूख गई है. किसानों का कहना है कि तरबूज को लगाने में लगभग 8 महीने की वक्त लगता है. लेकिन जब फसल को तोड़कर बेचने की बारी आती है तब फसल पूरी तरह सूख जाती है.

पढ़ें-'कलम' से उत्तराखंड के लिए देखा था ये सपना, अधूरा छोड़ चले गये प्रकाश पंत

तरबूज की पैदावार के बारे में बताते हुए किसानों ने बताया कि एक बीघा जमीन में तरबूज लगाने में सात हजार की लागत आती है. किसानों का कहना है कि इस बार की गर्मी को देखते हुए लग रहा है कि उनकी लागत मूल्य भी वापस नहीं मिलेगी. खेती पर किसान का पूरा साल निर्भर होता है. महीनों दिन-रात की गई मेहनत के बाद किसानों को अच्छी पैदावार की उम्मीद होती है जिससे वे अपना घर चलाते हैं. मगर इस बार फसल के बर्बाद हो जाने से किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है.

हरिद्वार: देश में किसानों की स्थिति किसी से छुपी नहीं है. कभी कर्ज की परेशानी तो कभी मौसम की मार. कभी बरसात किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाती है तो कभी सूखे की वजह से किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती है. ये ही वे कारण हैं जिनके कारण किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ता है और किसान खेतों में जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते. पिछले सालों की तुलना में मई में ऐसा लग रहा था कि इस बार भगवान किसानों पर मेहरबान हैं लेकिन जून आते ही गर्मी ने अपना सितम ढहाना शुरू कर दिया है. कड़कड़ाती धूप और लू के थपेड़े न केवल इंसान बल्कि फसलों पर भी तीखा प्रहार कर रहे हैं. लोगों को बढ़ती गर्मी से निजात दिलाने वाला तरबूज भी खुद इस समय भीषण गर्मी की मार झेल रहा है. देखिए हरिद्वार से यह खास रिपोर्ट...

तरबूज पर गर्मी की मार.
गर्मी के मौसम में शरीर में पानी को कमी को पूरा करने वाला फल तरबूज लोगों की पहली पसंद होता है. ये तरबूज ही है जो अपनी तासीर और ठंडक की वजह से लोगों को गर्मी के मौसम में बड़ी राहत देता है. लेकिन इस बार गर्मी कुछ इस कदर बढ़ी है कि लोगों को ठंडक पहुंचाने वाला यह तरबूज खुद ठंड के लिए तड़प रहा है. हालात ये हो गए हैं पानी भरा रहने वाला तरबूज भी अब अंदर से सूखने लगा है.यहीं नहीं इसे उगाने वाले भी बर्बादी की कगार पर आ गए हैं.

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बाहर से हरा और अंदर से लाल रंग का दिखने वाला तरबूज इस बार भीषण गर्मी और सूखे की मार झेल रहा है. खेतों में पानी न होने की वजह से इस बार तरबूज सूख कर बेल पर ही फट रहे हैं. जिसकी वजह से तरबूज किसान इस बार काफी परेशान नजर आ रहे हैं. किसानों का कहना है कि इस बार बारिश न होने की वजह से फसल पूरी तरह सूख गई है. किसानों का कहना है कि तरबूज को लगाने में लगभग 8 महीने की वक्त लगता है. लेकिन जब फसल को तोड़कर बेचने की बारी आती है तब फसल पूरी तरह सूख जाती है.

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तरबूज की पैदावार के बारे में बताते हुए किसानों ने बताया कि एक बीघा जमीन में तरबूज लगाने में सात हजार की लागत आती है. किसानों का कहना है कि इस बार की गर्मी को देखते हुए लग रहा है कि उनकी लागत मूल्य भी वापस नहीं मिलेगी. खेती पर किसान का पूरा साल निर्भर होता है. महीनों दिन-रात की गई मेहनत के बाद किसानों को अच्छी पैदावार की उम्मीद होती है जिससे वे अपना घर चलाते हैं. मगर इस बार फसल के बर्बाद हो जाने से किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है.

Intro:किसान अपनी खेती को लेकर कभी खुश नहीं हो पाता कभी बरसात किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाती है तो कभी सूखे की वजह से किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती है और किसानों को इस वजह से काफी नुकसान झेलना पड़ता है विगत वर्षों की तुलना में मई माह तक ऐसा लग रहा था मानो इस बार भगवान किसानों पर मेहरबान है और गर्मी के प्रकोप से लोगों को बचाए हुए हैं लेकिन जून लगते ही गर्मी ने लोगों पर अपना सितम शुरू कर दिया है कड़कड़ाती धूप और लू के थपेड़े न केवल इंसान बल्कि पेड़ पौधों और फसलों पर भी तीखा प्रहार कर रहे हैं लगातार बढ़ती गर्मी और तेज धूप ने लोगों पर ही नहीं बल्कि फसलों पर भी अपना कहर बरसाया हुआ है लोगों को बढ़ती गर्मी से निजात दिलाने वाला और शरीर में पानी की मात्रा पूरी करने वाला फल इस समय खुद भीषण गर्मी और सूखे की मार झेल रहा है जी हां हम बात कर रहे हैं बाहर से हरे और अंदर से लाल रंग का दिखने वाले तरबूज की जो इस गर्मी की वजह से खराब हो रहा है देखिए हरिद्वार से यह खास रिपोर्ट


Body:गर्मी के मौसम में जगह-जगह बिकने वाला तरबूज लोगों की  पहली पसंद होता है यह तरबूज ही है जो अपनी तासीर और  ठंडक की वजह से लोगों को गर्मी के मौसम में बड़ी राहत देता है  लेकिन इस बार गर्मी कुछ इस कदर बढ़ी है कि लोगों को ठंडक पहुंचाने वाला यह तरबूज खुद ठंड के लिए तड़प रहा है हालात यह हो गए हैं  पानी से खचाखच भरे तरबूज भी अब अंदर से सूखने लगे हैं और सूखने के बाद यह बर्बादी की कगार पर आ गए हैं

बाहर से हरा और अंदर से लाल रंग का दिखने वाला तरबूज इस बार भीषण गर्मी और सूखे की मार झेल रहा है खेतों में पानी ना होने की वजह से इस बार तरबूज सूख कर बेल पर ही फट रहा है जिसकी वजह से तरबूज किसान इस बार काफी परेशान नजर आ रहे हैं किसानों का कहना है कि इस बार बारिश ना होने की वजह से फसल पूरी तरह सूख गई है किसानों का कहना है कि लगभग 8 महीने इस फसल को लगाने में लगते हैं लेकिन जब फसल को तोड़कर बेचने की बारी आती है तब फसल पूरी तरह सूख जाती है

बाइट --किसान 

किसानों का यह भी कहना है कि एक बीघा फसल में लगभग छे से सात हजार की लागत आती है लेकिन इस बार भीषण गर्मी के चलते किसानों को उनकी लागत मूल्य भी वापसी मिलना असंभव सा लग रहा है किसानों का कहना है कि फसल लगाने के समय पूरा परिवार इसकी देखभाल में लग जाता है और जब इस तरह से फसल बर्बाद होती है तो पूरा परिवार भी मायूस हो जाता है

बाइट--किसान




Conclusion:खेती पर किसान का पूरा साल निर्भर होता है कुछ महीने दिन रात की गई फसल के बाद जाकर किसानों को अच्छी पैदावार से अपना घर चलाने में मदद मिलती है लेकिन यह फसल बर्बाद हो जाए तो किसान पूरी तरह से बर्बादी की कगार पर आ जाता है और इस बार तरबूज की खेती करने वाले किसानों के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है अब देखना यह होगा कि सरकार इन किसानों की फसल बर्बाद होने पर उन्हें कोई मुआवजा देती है या फिर उनको उनके हाल पर छोड़ देती है देखने वाली बात होगी क्योंकि सरकार की बेरुखी से किसान हमेशा त्रस्त ही रहता
Last Updated : Jun 6, 2019, 2:21 PM IST
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