देहरादून: 2019 के महासंग्राम के लिए बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. इस लिस्ट में पार्टी हाईकमान उम्रदराज नेताओं से साफ तौर पर किनारा करती दिख रही है. वहीं बात अगर उत्तराखंड की करें तो पार्टी ने नैनीताल और गढ़वाल सीट को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर पुराने चेहरों पर भरोसा जताया है. उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद राजनीतिक दल 2019 के महासंग्राम के लिए तैयार हैं. ऐसे में ईटीवी भारत आपको प्रदेश की पांचों सीटों के इतिहास के साथ ही यहां का सियासी समीकरण बताने जा रहा है. आईए सबसे पहले हम आपको हरिद्वार लोकसभा सीट के बारे में बताते हैं.
पढ़ें-अजय भट्ट बोले- हरीश रावत का उनसे दूर-दूर तक कोई मुकाबला नहीं, सदन में भी नहीं टिक पाते थे आगे
हरिद्वार लोकसभा सीट पर इस समय बीजेपी का कब्जा है और रमेश पोखरियाल निशंक यहां से सांसद हैं. हरिद्वार जो कि उत्तराखंड का द्वार कहलाता है, इस सीट के अपने अलग ही सियासी मायने हैं. ये लोकसभा सीट 1977 में अस्तित्व में आयी थी. इस सीट पर बपसा सुप्रीमो मायावती से लेकर मौजूदा केंद्रीय मंत्री राम बिलास पासवान तक को हार का सामना करना पड़ा था.
हरिद्वार लोकसभा सीट पर कभी भी किसी पार्टी का वर्चस्व नहीं रहा. कभी जनता ने यहां कमल खिलाया तो कभी हाथ का साथ दिया. 1977 में वजूद में आई इस लोकसभा सीट पर अबतक 5 बार बीजेपी और 5 बार कांग्रेस जीत हासिल कर चुकी है. हरिद्वार लोकसभा सीट पर ग्रामीण आबादी अधिक होने के कारण 1977 से लेकर 2004 तक ये सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही. साल 2009 में इस सीट को सामान्य घोषित किया गया.
पढ़ें-हरिद्वार सांसद निशंक का रिपोर्ट कार्डः संसद में बनाया नया रिकार्ड, देशभर के सांसदों में सबसे ऊपर
कौन कब रहा हरिद्वार का सांसद
साल | पार्टी | सांसद का नाम |
1977 | लोकदल | भगवान दास राठौड़ |
1980 | लोकदल | जगपाल सिंह |
1984 | कांग्रेस | सुंदरलाल |
1987 | कांग्रेस | राम सिंह |
1989 | कांग्रेस | जगपाल सिंह |
1991 | भाजपा | राम सिंह |
1996 | भाजपा | हरपाल साथी |
1998 | भाजपा | हरपाल साथी |
1999 | भाजपा | हरपाल साथी |
2004 | सपा | राजेंद्र बाडी |
2009 | कांग्रेस | हरीश रावत |
साल 2014 में देश में मोदी लहर चली. इस बार रमेश पोखरियाल निशंक यहां से सांसद चुने गये. एक बार फिर सेनिशंक इस बार भी चुनावी मैदान में हैं.
सबसे अधिक वोटर वाली सीट
साल | टोटल मतदाता | पुरुष | महिला |
2019 | 18 लाख | 9,61706 | 837111 |
2014 | 16,42,873 | 8, 88,328 | 7,54,545 |
2014 में हरिद्वार में 71.56 फीसदी वोटिंग हुई थी. यहां की लगभग 60 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है, जबकि 40 फीसदी जनसंख्या शहरों में निवास करती है. इस इलाके में अनुसूचित जनजाति का आंकड़ा मात्र .44 फीसदी है. जबकि अनुसूचित जाति की संख्या 19.23 फीसदी है.
दलित और मुस्लिम नेताओं की बड़ी भूमिका
धर्म नगरी हरिद्वार लोकसभा सीट पर मुस्लिम और दलित मतदाताओं की बड़ी भूमिका मानी जाती है. कहा जाता है कि जब से ये लोकसभा सीट बनी है तब से कांग्रेस और बीजेपी के लिए यहां सबसे बड़ी मुसीबत सपा और बीएसपी रही है. इन दोनों पार्टियों का वोट बैंक यहां सबसे अधिक है. यही कारण है कि यहां मुस्लिम और दलित नेताओं की खास भूमिका रहती है. फिलहाल हरिद्वार में कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है तो वहीं बीजेपी के लिए भी मुश्किलें कम नहीं हैं, क्योंकि इस बार हरिद्वार सीट पर सपा-बसपा गठबंधन कर चुनाव लड़ रही हैं.
पढ़ें-25 मई नहीं अब एक जून से खुलेंगे हेमकुंड साहिब के कपाट, 20 फीट से ज्यादा जमी है बर्फ
हरिद्वार लोकसभा में विधान सभा की सीटें
हरिद्वार लोकसभा सीट में रुड़की, खानपुर, झाबरेरा (एससी), हरिद्वार, डोइवाला, मंगलौर, लस्कर, भेल रानीपुर, हरिद्वार ग्रामीण, ऋषिकेश, पिरन कलियर, भगवानपुर (एससी), ज्वालापुर (एसी) और धरमपुर सीट शामिल है. हरिद्वार लोकसभा में देहरादून की भी सीटे आती हैं.इनमें 11 विधानसभा सीटें हरिद्वार और तीन सीटें देहरादून जिले की शामिल हैं . मौजूदा विधानसभा में 14 में से महज 3 सीटे भगवानपुर, मंगलौर और पिरन कलियार पर ही कांग्रेस के विधायक जीते हैं जबकि अन्य सीटों पर भाजपा का कब्जा है.
2014 ने बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक को चुनावी समर में उतारा था. इस चुनाव में कांग्रेस ने हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत को निशंक के खिलाफ मैदान में खड़ा किया था. इस लोकसभा चुनाव में निशंक ने रेणुका 1,51,906 वोटों के अंतर से हराया.