हरिद्वार: गंगा की अविरलता और निर्मलता के लिए कानून बनाने के लिए स्वामी आत्मबोधानंद 130 दिनों से अनशन पर बैठे हैं. बावजूद इसके गंगा की सफाई को लेकर कुछ खास सुधार होता नहीं दिख रहा है. गंगा की हालत दिन ब दिन और खराब होती जा रही है. जिसके कारण अब तक कई संत गंगा की स्वच्छता और अविरलता के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर चुके हैं.
बता दें कि 2010 में मातृ सदन के संत स्वामी निगमानंद ने गंगा की स्वच्छता के लिए अपने प्राण त्याग दिए थे. जिसके बाद बीते 11 अक्टूबर को मातृ सदन में अनशन कर रहे स्वामी सानंद ने भी गंगा के लिए अपने प्राण त्याग दिए. स्वामी सानंद 112 दिन से गंगा की स्वच्छता और जस्टिस मालवीय समिति द्वारा बनाए गए एक्ट को संसद में पारित करने की मांग को लेकर अनशन पर हैं. साथ ही उनकी मांग गंगा पर बने सभी प्रोजेक्टों को निरस्त करने की है.
अनशन कर रहे मातृ सदन के संत स्वामी आत्मबोधानंद का कहना है कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती तब तक वह अनशन जारी रखेंगे. चाहे इसके लिए उन्हें अपने प्राणों का त्याग क्यों न करना पड़े. आत्मबोधानंद ने स्थानीय प्रशासन और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी पर गंभीर आरोप लगाते कहा कि कि एम्स हॉस्पिटल में इलाज के दौरान स्वामी सानंद की हत्या की गई. उन्होंने कहा कि उनकी भी वहीं मांगे हैं जो स्वामी सानंद की थी. वे भी चाहते हैं कि गंगा में खनन का काम बंद हो.
गंगा को लेकर 130 दिन से अनशन कर रहे मातृ सदन के संत आत्मबोधानंद अब इस ममाले में पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. उनका साफ तौर पर कहना है जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं की जाएंगी तब तक वे अनशन से नहीं हटेंगे. ऐसे में अब देखना होगा कि सरकार और जिला प्रशासन कब तक उनकी मांगों की ओर ध्यान देते हैं