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उत्तराखंड की श्वेत क्रांति में मातृशक्ति का अहम योगदान, जानिए कैसे ?

विश्व भर में आज अंतराष्ट्रीय दूग्ध दिवस मनाया जा रहा है.उत्तराखंड में श्वेत क्रांति की कमान महिलाओं के हाथों में है. जिसके चलते उत्तराखंड भी दूध के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है.

विश्व भर में आज अंतराष्ट्रीय दूग्ध दिवस मनाया जा रहा है
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Published : Jun 1, 2019, 3:34 PM IST

हल्द्वानी: आज विश्व भर में अंतराष्ट्रीय दूग्ध दिवस मनाया जा रहा है. साल 2001 में पहली बार विश्व दुग्ध दिवस मनाया गया था. इस उत्सव में वर्ष दर वर्ष भाग लेने वाले देशों की संख्या बढ़ती जा रही है. 1970 में भारत को दुग्ध उत्पादन में श्रेष्ठ बनाने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास द्वारा ऑपरेशन फल्ड के नाम से एक अभियान चलाया गया था. जो समय के साथ श्वेत क्रांति के नाम से जाना गया. उत्तराखंड में श्वेत क्रांति की कमान महिलाओं के हाथों में है. जिसके चलते उत्तराखंड भी दूध के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है.

जानकारी देते निदेशक उत्तराखंड डेयरी फेडरेशन प्रकाश आर्य.

राज्य में सरकार ने महिला डेयरी योजना के नाम से अधिकतर दूध समितियों का निर्माण कराया है. राज्य की 2629 सहकारी समितियों में एक लाख छप्पन हजार एक सौ छियालीस (156146 ) सदस्य हैं. जिनमें (छिहत्तर हजार आठ सौ दो) 76802 मातृशक्ति यानी महिला सदस्य दूध के व्यवसाय से जुड़ी हैं.

बता दें कि देश और समाज के योगदान में महिलाओं का सबसे बड़ा योगदान माना जाता रहा है. परिवार का भरण पोषण करने और कामकाज में भले ही पुरुषों का वर्चस्व रहता हो, लेकिन पहाड़ की मेहनतकश महिलाएं खेती किसानी और पशुपालन क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. इसका एक उदाहरण उत्तराखंड की श्वेत क्रांति में महिलाओं का योगदान है. उत्तराखंड डेयरी सहकारी समिति ने दूध के माध्यम से प्रदेश के हजारों लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा है.

प्रदेश में सहकारी समिति के माध्यम से रोजाना 200000 लीटर से अधिक दूध का उत्पादन किया जाता है. जिसमें अकेले महिलाओं की हिस्सेदारी 50% के आसपास है. डेरी का यह कारोबार न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बना रहा है, बल्कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी कारगर साबित हो रहा है.

राज्य में जिलेवार दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी

नैनीताल जिले में दुग्ध उत्पादन क्षेत्र में कुल सदस्य 28725 जिनमें महिलाओं की संख्या 11365 है. उधम सिंह नगर जिले में कुल सदस्य 27143 जिनमें महिलाओं की संख्या 12648 है. अल्मोड़ा जिले में कुल सदस्य 14953 जिनमें महिलाओं की संख्या 6614 है. बागेश्वर जिले में कुल सदस्य 3875 जिनमें महिला सदस्यों की संख्या 3280 है. पिथौरागढ़ जिले में कुल सदस्य 9785 जिनमें महिला सदस्यों की संख्या 7095 है.
चंपावत जिले में कुल सदस्य 8766 जिनमें महिला सदस्यों की संख्या 4251 है, देहरादून जिले में कुल सदस्य 15644 जिनमें महिला सदस्यों की संख्या 6385 है, हरिद्वार जिले में कुल सदस्य 12342 जिनमें महिला सदस्यों की संख्या 3449 है. उत्तरकाशी जिले में कुल सदस्य 7742 जिनमें महिला सदस्यों की संख्या 4096 है, न्यू टिहरी जिले में कुल सदस्य 8398 जिनमें महिला सदस्यों की संख्या 5879 है, श्रीनगर गढ़वाल जिले में कुल सदस्य 6871 जिनमें महिला सदस्यों की संख्या 2944 है, रुद्रप्रयाग जिले में कुल सदस्य 2795 जिनमें महिला सदस्यों की संख्या 2110 है, चमोली जिले में दुग्ध उत्पादन क्षेत्र में कुल सदस्य 9107 जिनमें महिला सदस्यों की संख्या 6750 है.

पर्वतीय जनपदों में दूध समिति से रोजाना करीब 50000 लीटर दूध डेयरी विभाग को मिलता है. और इन दूध उत्पादन में सबसे ज्यादा भागीदारी महिलाओं की ही है. प्रदेश सरकार भी महिला पशुपालकों को श्वेत क्रांति के लिए प्रोत्साहित कर रही है. साथ ही सरकार ने कई तरह की योजनाएं भी महिलाओं के लिए लागू की हैं. जिनमें गंगा गाय योजना के तहत हजारों महिलाओं ने पशुओं की खरीदारी कर श्वेत क्रांति में अपनी बड़ी भूमिका निभाई है. प्रदेश की महिलाएं घरेलू कामकाज के साथ दूध के व्यवसाय में बढ़-चढ़कर भागीदारी कर रही हैं. जिसके चलते प्रदेश की महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूती हो रही हैं.

हल्द्वानी: आज विश्व भर में अंतराष्ट्रीय दूग्ध दिवस मनाया जा रहा है. साल 2001 में पहली बार विश्व दुग्ध दिवस मनाया गया था. इस उत्सव में वर्ष दर वर्ष भाग लेने वाले देशों की संख्या बढ़ती जा रही है. 1970 में भारत को दुग्ध उत्पादन में श्रेष्ठ बनाने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास द्वारा ऑपरेशन फल्ड के नाम से एक अभियान चलाया गया था. जो समय के साथ श्वेत क्रांति के नाम से जाना गया. उत्तराखंड में श्वेत क्रांति की कमान महिलाओं के हाथों में है. जिसके चलते उत्तराखंड भी दूध के क्षेत्र में लगातार आगे बढ़ रहा है.

जानकारी देते निदेशक उत्तराखंड डेयरी फेडरेशन प्रकाश आर्य.

राज्य में सरकार ने महिला डेयरी योजना के नाम से अधिकतर दूध समितियों का निर्माण कराया है. राज्य की 2629 सहकारी समितियों में एक लाख छप्पन हजार एक सौ छियालीस (156146 ) सदस्य हैं. जिनमें (छिहत्तर हजार आठ सौ दो) 76802 मातृशक्ति यानी महिला सदस्य दूध के व्यवसाय से जुड़ी हैं.

बता दें कि देश और समाज के योगदान में महिलाओं का सबसे बड़ा योगदान माना जाता रहा है. परिवार का भरण पोषण करने और कामकाज में भले ही पुरुषों का वर्चस्व रहता हो, लेकिन पहाड़ की मेहनतकश महिलाएं खेती किसानी और पशुपालन क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. इसका एक उदाहरण उत्तराखंड की श्वेत क्रांति में महिलाओं का योगदान है. उत्तराखंड डेयरी सहकारी समिति ने दूध के माध्यम से प्रदेश के हजारों लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा है.

प्रदेश में सहकारी समिति के माध्यम से रोजाना 200000 लीटर से अधिक दूध का उत्पादन किया जाता है. जिसमें अकेले महिलाओं की हिस्सेदारी 50% के आसपास है. डेरी का यह कारोबार न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बना रहा है, बल्कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी कारगर साबित हो रहा है.

राज्य में जिलेवार दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी

नैनीताल जिले में दुग्ध उत्पादन क्षेत्र में कुल सदस्य 28725 जिनमें महिलाओं की संख्या 11365 है. उधम सिंह नगर जिले में कुल सदस्य 27143 जिनमें महिलाओं की संख्या 12648 है. अल्मोड़ा जिले में कुल सदस्य 14953 जिनमें महिलाओं की संख्या 6614 है. बागेश्वर जिले में कुल सदस्य 3875 जिनमें महिला सदस्यों की संख्या 3280 है. पिथौरागढ़ जिले में कुल सदस्य 9785 जिनमें महिला सदस्यों की संख्या 7095 है.
चंपावत जिले में कुल सदस्य 8766 जिनमें महिला सदस्यों की संख्या 4251 है, देहरादून जिले में कुल सदस्य 15644 जिनमें महिला सदस्यों की संख्या 6385 है, हरिद्वार जिले में कुल सदस्य 12342 जिनमें महिला सदस्यों की संख्या 3449 है. उत्तरकाशी जिले में कुल सदस्य 7742 जिनमें महिला सदस्यों की संख्या 4096 है, न्यू टिहरी जिले में कुल सदस्य 8398 जिनमें महिला सदस्यों की संख्या 5879 है, श्रीनगर गढ़वाल जिले में कुल सदस्य 6871 जिनमें महिला सदस्यों की संख्या 2944 है, रुद्रप्रयाग जिले में कुल सदस्य 2795 जिनमें महिला सदस्यों की संख्या 2110 है, चमोली जिले में दुग्ध उत्पादन क्षेत्र में कुल सदस्य 9107 जिनमें महिला सदस्यों की संख्या 6750 है.

पर्वतीय जनपदों में दूध समिति से रोजाना करीब 50000 लीटर दूध डेयरी विभाग को मिलता है. और इन दूध उत्पादन में सबसे ज्यादा भागीदारी महिलाओं की ही है. प्रदेश सरकार भी महिला पशुपालकों को श्वेत क्रांति के लिए प्रोत्साहित कर रही है. साथ ही सरकार ने कई तरह की योजनाएं भी महिलाओं के लिए लागू की हैं. जिनमें गंगा गाय योजना के तहत हजारों महिलाओं ने पशुओं की खरीदारी कर श्वेत क्रांति में अपनी बड़ी भूमिका निभाई है. प्रदेश की महिलाएं घरेलू कामकाज के साथ दूध के व्यवसाय में बढ़-चढ़कर भागीदारी कर रही हैं. जिसके चलते प्रदेश की महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूती हो रही हैं.

Intro:स्लग- दूध दिवस स्पेशल-उत्तराखंड में श्वेत क्रांति में महिलाओं की बड़ी भागीदारी रिपोर्टर -भावनाथ पंडित हल्द्वानी एंकर- आज विश्व भर में अंतर राष्ट्रीय दूध दिवस मनाया जा रहा है। दूध के क्षेत्र में उत्तराखंड लगातार आगे बढ़ रहा है। उत्तराखंड में श्वेत क्रांति की कमान महिलाओं के हाथों में है। सरकार जहां महिला डेयरी योजना के नाम से अधिकतर दूध समितियों का निर्माण कराया है। राज्य की 2629 सहकारी समितियों में 156 146 सदस्य हैं जिनमें 76802 मातृशक्ति सदस्य दूध व्यवसाय से जुड़ी है।


Body: देश और समाज के योगदान में महिलाओं का सबसे बड़ा योगदान माना जाता हैं। परिवार का भरण पोषण करने और कामकाज में भले हे पुरुषों का वर्चस्व माना जाता हो लेकिन पहाड़ की मेहनतकश महिलाएं खेती किसानी और पशुपालन क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। उत्तराखंड में श्वेत क्रांति में महिलाओं का बड़ा योगदान है। उत्तराखंड डेयरी सहकारी समिति दूध के माध्यम से प्रदेश के हजारों लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा है। परदेस में रोजाना 200000 से अधिक सहकारी समिति के माध्यम से दूध का उत्पादन किया जाता है जिसमें अकेले महिलाओं की हिस्सेदारी 50% के आसपास है। डेरी का यह कारोबार न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बना रहा है बल्कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी कारगर साबित हो रहा है। बाइट -प्रकाश आर्य निदेशक उत्तराखंड डेयरी फेडरेशन एक नजर डालते हैं जिलेवार दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी। जिला। कुल सदस्य महिला सदस्य नैनीताल 28725 11365 उधम सिंह नगर 27143 12648 अल्मोड़ा। 14953 6614 बागेश्वर 3875 3280 पिथौरागढ़। 9785 7095 चंपावत 8766 4251 देहरादून। 15644 6385 हरिद्वार। 12342 3449 उत्तरकाशी। 7742 4096 न्यू टिहरी। 8398 5879 श्रीनगर गढ़वाल। 6871 2944 रुद्रप्रयाग 2795 2110 चमोली।। 9107 6750 वही बात पर्वतीय जनपदों की करे तो वहां की दूध समिति से रोजाना करीब 50000 लीटर दूध डेयरी विभाग को मिलता है और इन दूध उत्पादन में सबसे ज्यादा भागीदारी महिलाओं का है। वहीं तराई की जनपदों की बात करें तो वहां पशुओं के चारा भारी मात्रा में उपलब्ध होता है जबकि पर्वतीय जनपदों में चारा का सबसे अभाव रहता है। सरकार भी इन महिला पशुपालकों के लिए कई योजनाओं के माध्यमों से जागरूक कर श्वेत क्रांति के क्षेत्र में काम करने के लिए प्रोत्साहित भी कर रही है। महिलाओं के लिए सबसे बड़ा गंगा गाय योजना कारगर साबित हुआ जिसके तहत हजारों महिलाओं ने पशुओं की खरीदारी कर इस श्वेत क्रांति में अपनी बड़ी भूमिका निभाई है।


Conclusion: प्रदेश की महिलाएं अपने घरेलू कामकाज के साथ दूध के व्यवसाय में भी बड़ा बढ़-चढ़कर भागीदारी कर रही हैं। यही कारण है कि प्रदेश के महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूती की ओर लगातार कदम बढ़ा रही हैं।
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