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वट सावित्री व्रत: महिलाओं ने की पति के दीर्घायु की कामना,  मंदिरों में उमड़ी भीड़

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Published : Jun 3, 2019, 1:44 PM IST

वट सावित्री का व्रत और पूजा पाठ पूरे देश में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. इसी कड़ी में हल्द्वानी में भी महिलाएं वट सावित्री का व्रत रख रहीं हैं.

वट सावित्री व्रत.

हल्द्वानी: वट सावित्री का व्रत और पूजा पाठ पूरे देश में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. इसी कड़ी में हल्द्वानी में भी महिलाएं वट सावित्री का व्रत रख रहीं हैं. वट सावित्री व्रत में सुहागिन महिलाएं सुबह से ही पारंपरिक वेशभूषा में मंदिरों और वट के पेड़ के नीचे अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती हैं. साथ ही महिलाएं परंपरागत तरीके से वट वृक्ष की पूजा कर व्रत रखती हैं.

वट सावित्री व्रत.

बता दें कि सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु और परिवार की सुख शांति के लिए वट सावित्री की पूजा करती हैं. पुराणों के अनुसार वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और लक्ष्मी का वास होता है. यही कारण है कि महिलाएं अपने पति और परिवार की सुख शांति के लिए वट वृक्ष की पूजा करती हैं. व्रत के दौरान बरगद के पेड़ के चारों ओर घूमकर महिलाएं रक्षा सूत्र बांध आशीर्वाद भी मांगती हैं.

पढ़ें: मानसून से पहले 'सहमा' उत्तराखंड, पहाड़ों में बादल फटने से भारी नुकसान

वट सावित्री व्रत को लेकर महिलाओं का कहना है कि यह पहुत महत्वपूर्ण त्योहार है. इस त्योहार का वे पूरे साल बेसब्री से इंतजार करती है. देवी भागवत के अनुसार जेठ कृष्ण पक्ष अमावस्या को जो स्त्रियां वट सावित्री की पूजा करती हैं वे सौभाग्यवती बनी रहती है. साथ ही वटवृक्ष के अलावा ब्रह्मा और सावित्री की भी पूजा की जाती है.

हल्द्वानी: वट सावित्री का व्रत और पूजा पाठ पूरे देश में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. इसी कड़ी में हल्द्वानी में भी महिलाएं वट सावित्री का व्रत रख रहीं हैं. वट सावित्री व्रत में सुहागिन महिलाएं सुबह से ही पारंपरिक वेशभूषा में मंदिरों और वट के पेड़ के नीचे अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती हैं. साथ ही महिलाएं परंपरागत तरीके से वट वृक्ष की पूजा कर व्रत रखती हैं.

वट सावित्री व्रत.

बता दें कि सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु और परिवार की सुख शांति के लिए वट सावित्री की पूजा करती हैं. पुराणों के अनुसार वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और लक्ष्मी का वास होता है. यही कारण है कि महिलाएं अपने पति और परिवार की सुख शांति के लिए वट वृक्ष की पूजा करती हैं. व्रत के दौरान बरगद के पेड़ के चारों ओर घूमकर महिलाएं रक्षा सूत्र बांध आशीर्वाद भी मांगती हैं.

पढ़ें: मानसून से पहले 'सहमा' उत्तराखंड, पहाड़ों में बादल फटने से भारी नुकसान

वट सावित्री व्रत को लेकर महिलाओं का कहना है कि यह पहुत महत्वपूर्ण त्योहार है. इस त्योहार का वे पूरे साल बेसब्री से इंतजार करती है. देवी भागवत के अनुसार जेठ कृष्ण पक्ष अमावस्या को जो स्त्रियां वट सावित्री की पूजा करती हैं वे सौभाग्यवती बनी रहती है. साथ ही वटवृक्ष के अलावा ब्रह्मा और सावित्री की भी पूजा की जाती है.

Intro: स्लग-वट सावित्री पूजा महिलाएं पति के दीर्घायु के लिए कर रहे हैं पूजा रिपोर्टर- भावनाथ पंडित हल्द्वानी एंकर- आज वट सावित्री का का व्रत और पूजा पाठ धूमधाम से मनाया जा रहा है .। सुहागिन महिलाएं सुबह से प्रांतिक वेशभूषा में मंदिरों और वट के पेड़ के नीचे अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना कर रही है। । अपने सुहाग की कुशलता , दीर्घायु कामना के साथ सुहागन परंपरागत तरीके से बट वृक्ष की पूजा कर व्रत रखी हुई है। सुहागिन वट के पेड़ की पूजा अर्चना कर अखंड सुहाग का वर मांग रही हैं।


Body:आज सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु और परिवार की सुख शांति के लिए वट सावित्री की पूजा कर रही हैं पुराणों के अनुसार वटवृक्ष में विष्णु ,ब्रह्मा विष्णु और लक्ष्मी का वास होता है। महिलाएं पति और परिवार की सुख शांति के लिए सुबह से सज धज कर प्रांतिक वेशभूषा में मंदिर में पहुंच बट के पेड़ के नीचे पूजा-अर्चना कर रही है। व्रत के दौरान बरगद के पेड़ के चारों ओर घूमकर महिलाएं रक्षा सूत्र बांध आशीर्वाद भी मांग रही हैं। इस अवसर पर सुहागन एक दूसरे को सिंदूर लगाकर बधाई भी दे रही हैं। महिलाएं बट वृक्ष के नीचे बैठकर पूजा अर्चना और तप कर अपनी मनोकामना पूर्ण की कामना कर रही हैं। इसके अलावा सुहागन वटवृक्ष के नीचे बैठकर सावित्री और सत्यवान की कथा का भी श्रवण कर रही है। महिलाओं का कहना है कि इस त्यौहार के लिए उनको काफी समय से इंतजार रहता है क्योंकि यह त्यौहार उनके लिए बड़ा है महत्वपूर्ण है। बाइट -सुहागन महिलाएं बाइट-सुहागन महिला इस पूजा में सुहागिन महिलाएं पूरे दिन निर्जल व्रत के साथ पारंपरिक वेशभूषा और आभूषण धारण कर 24 तरह के पकवान और 24 तरह पकवान टोकरी में रखकर बट के पेड़ के नीचे पूजा अर्चना कर रही हैं और पति की दीर्घायु और मंगल कामना के लिए सूत से पेड़ को चारों ओर से लपेटी हैं। वट सावित्री की कथा सत्यवान और सावित्री की कथा से जुड़ा हुआ है। सदियों से सनातन धर्म से जुड़ी सुहागिन महिलाएं व्रत धारण करती आ रही है। बट सावित्री व्रत की कथा का पुराना में उल्लेख मिलता है कि सावित्री ने अपने पति के प्राणों को यमराज से वापस ले लिया था। देवी भागवत के अनुसार जेठ कृष्ण पक्ष अमावस्या को जो स्त्रियां बट सावित्री का पूजा करती है वह सदा सौभाग्यवती बनी रहती है वटवृक्ष के साथ ब्रह्मा और सावित्री का पूजा होता है।।


Conclusion:नवविवाहिता महिलाओं ने खासाउत्साह देखने को मिल रहा है। नवविवाहिता पूरे सज धज इस मौके पर विशेष पूजा कर रही है क्योंकि उनका अपना पहला बट सावित्री पर्व है। इस बार वट सावित्री का व्रत का दुर्लभ संयोग बना हुआ है क्योंकि इस बार वट सावित्री पर्व कृष्ण पक्ष की अमावस्या का सोमवार का दिन भी है ।
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