ETV Bharat / city

संतोष ट्रॉफी फुटबॉल में उत्तराखंड का शर्मनाक प्रदर्शन, तीनों मैच हारे, 28 गोल खाए - फुटबॉल एसोसिएशन महासचिव आरिफ अली

संतोष ट्रॉफी नेशनल फुटबॉल प्रतियोगिता में उत्तराखंड की टीम ने शर्मनाक प्रदर्शन किया है. टीम अपने सभी मैच हारकर प्रतियोगिता से बाहर हो गई है. हार का अंतर इतना है कि आप सुनकर अपना सिर पीट लेंगे. तीन मैचों में उत्तराखंड की टीम सिर्फ एक गोल कर पाई जबकि उसने पूरे 28 गोल खाए. इस शर्मनाक प्रदर्शन के बाद ईटीवी भारत ने उत्तराखंड फुटबॉल एसोसिएशन के महासचिव आरिफ अली से सवाल किए तो उन्होंने इस प्रदर्शन की जांच कराने की बात कही.

Santosh Trophy football
संतोष ट्रॉफी फुटबॉल
author img

By

Published : Dec 6, 2021, 12:55 PM IST

हल्द्वानी: उत्तराखंड सरकार भले ही नई खेल नीति ले आई हो, लेकिन उत्तराखंड के खेलों का बहुत बुरा हाल है. क्रिकेट में शर्मनाक प्रदर्शन के बाद फुटबॉल ने मिट्टी पलीद कर दी है. राष्ट्रीय संतोष ट्रॉफी फुटबॉल प्रतियोगिता (Uttarakhand lost in Santosh Trophy) में उत्तराखंड की टीम का प्रदर्शन इतना निम्नस्तरीय रहा कि सुनकर आप भी सोचेंगे कि फुटबॉल एसोसिएशन आखिर कर क्या रहा है.

तीनों मैच हारा उत्तराखंड: नई दिल्ली में चल रही संतोष ट्रॉफी के पहले मैच में दिल्ली ने उत्तराखंड को 1 के मुकाबले 11 गोल से रौंद दिया. ये मैच 1 दिसंबर को खेला गया था. दूसरे मैच में पंजाब ने उत्तराखंड को 11-0 से मसल दिया. ये मैच 3 दिसंबर को खेला गया. तीसरे मैच में हरियाणा के हाथों भी उत्तराखंड की टीम की बहुत बुरी गत हुई. हरियाणा ने उत्तराखंड को 6-0 से हराया. ये मैच 5 दिसंबर को खेला गया.

संतोष ट्रॉफी फुटबॉल

सिर्फ एक गोल किया, 28 गोल खाए: संतोष ट्रॉफी के आंकड़े देखेंगे तो आपको उत्तराखंड की टीम के परफॉर्मेंस पर तरस आएगा. टीम ने 3 मैच खेले. तीन मैचों में टीम सिर्फ 1 गोल कर पाई. इसके उलट टीम ने पूरे 28 गोल खाए. इस प्रदर्शन पर खेल प्रेमियों को तो शर्म आएगी लेकिन जो लोग फुटबॉल एसोसिएशन पर काबिज हैं उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है.

2018 में भी हुई थी बुरी गत: बात ज्यादा पुरानी नहीं है. जनवरी 2018 में जब उत्तराखंड की टीम इसी तरह शर्मनाक तरीके से संतोष ट्रॉफी से बाहर हुई थी तो तब खिलाड़ियों के ट्रैक शूट और किट तक उतरवा ली गई थी. आलम ये था कि खिलाड़ियों को घर वापसी के टिकट के पैसे तक नहीं दिए गए थे. तब फुटबॉल एसोसिएशन ने अपनी गरीबी का हवाला दिया था.

एसोसिएशन में दम नहीं: जानकार खेलों में उत्तराखंड के खराब प्रदर्शन के लिए अयोग्य लोगों के हाथों में एसोसिएशन की कमान जाने और पड़ोसी राज्य के मठाधीशों के सीधे हस्तक्षेप को जिम्मेदार मान रहे हैं. क्रिकेट के बाद फुटबॉल की बर्बादी से उत्तराखंड का हर खेल प्रेमी निराश है.

चयन में भेदभाव का आरोप: ईटीवी भारत ने जब ट्रायल में शामिल कुछ खिलाड़ियों से बात की तो असली वजह सामने आई. खिलाड़ियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि टीम चयन में जमकर धांधली हुई. उत्तराखंड के एक कद्दावर मंत्री को भी इससे लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है. टीम में नहीं चुने गए होनहार खिलाड़ियों का आरोप है कि कई खिलाड़ी ट्रायल में आए बिना चुने गए. जिन खिलाड़ियों ने ट्रायल में अच्छा प्रदर्शन किया उन्हें टीम में नहीं चुना गया. खिलाड़ियों का आरोप है कि टीम भी गुपचुप तरीके से घोषित की गई.

टीम मैनेजमेंट से मांगेंगे रिपोर्ट: उत्तराखंड फुटबॉल एसोसिएशन के महासचिव आरिफ अली से ईटीवी भारत ने फुटबॉल टीम के शर्मनाक प्रदर्शन के बारे में सवाल किए. उनके पास इस हार के लिए कई बहाने थे. आरिफ अली ने कहा कि प्रतियोगिता में बायो बबल लागू था. हमारे 6 खिलाड़ी इसके उल्लंघन पर सस्पेंड कर दिए गए. इस कारण हमारा प्रदर्शन कमजोर रहा. आरिफ अली ने कहा कि कोच और मैनेजर के आने पर उनसे रिपोर्ट मांगी जाएगी. कमेटी का गठन करके उचित कार्रवाई करेंगे. उन्होंने चयन पारदर्शी होने का दावा किया. आरिफ ने कहा कि कुछ खिलाड़ी मेडिकल में बाहर हो गए थे. उन्होंने कहा कि कोविड के कारण हमारे खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए. आरिफ अली ने चयन में किसी तरह का दबाव होने से भी इंकार किया.

ये भी पढ़ें: औली में सीजन की पहली बर्फबारी, देवभूमि की वादियों ने ओढ़ी बर्फ की खूबसूरत सफेद चादर


उत्तराखंड सरकार नई खेल नीति ले आई है. उसका जोर-शोर से प्रचार-प्रसार भी किया गया. लेकिन ये खेल नीति तभी सार्थक होगी जब सरकार खुद खेल और खिलाड़ियों का ध्यान रखेगी. सरकार को राज्य की हर खेल एसोसिएशन पर कड़ी नजर रखनी चाहिए. उसके पदाधिकारियों से हर टीम के चयन और हर प्रतियोगिता में टीम के प्रदर्शन का हिसाब मांगना चाहिए. नहीं तो हर बार उत्तराखंड खेल प्रतियोगिताओं में इसी तरह अपमानित होता रहेगा.

हल्द्वानी: उत्तराखंड सरकार भले ही नई खेल नीति ले आई हो, लेकिन उत्तराखंड के खेलों का बहुत बुरा हाल है. क्रिकेट में शर्मनाक प्रदर्शन के बाद फुटबॉल ने मिट्टी पलीद कर दी है. राष्ट्रीय संतोष ट्रॉफी फुटबॉल प्रतियोगिता (Uttarakhand lost in Santosh Trophy) में उत्तराखंड की टीम का प्रदर्शन इतना निम्नस्तरीय रहा कि सुनकर आप भी सोचेंगे कि फुटबॉल एसोसिएशन आखिर कर क्या रहा है.

तीनों मैच हारा उत्तराखंड: नई दिल्ली में चल रही संतोष ट्रॉफी के पहले मैच में दिल्ली ने उत्तराखंड को 1 के मुकाबले 11 गोल से रौंद दिया. ये मैच 1 दिसंबर को खेला गया था. दूसरे मैच में पंजाब ने उत्तराखंड को 11-0 से मसल दिया. ये मैच 3 दिसंबर को खेला गया. तीसरे मैच में हरियाणा के हाथों भी उत्तराखंड की टीम की बहुत बुरी गत हुई. हरियाणा ने उत्तराखंड को 6-0 से हराया. ये मैच 5 दिसंबर को खेला गया.

संतोष ट्रॉफी फुटबॉल

सिर्फ एक गोल किया, 28 गोल खाए: संतोष ट्रॉफी के आंकड़े देखेंगे तो आपको उत्तराखंड की टीम के परफॉर्मेंस पर तरस आएगा. टीम ने 3 मैच खेले. तीन मैचों में टीम सिर्फ 1 गोल कर पाई. इसके उलट टीम ने पूरे 28 गोल खाए. इस प्रदर्शन पर खेल प्रेमियों को तो शर्म आएगी लेकिन जो लोग फुटबॉल एसोसिएशन पर काबिज हैं उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है.

2018 में भी हुई थी बुरी गत: बात ज्यादा पुरानी नहीं है. जनवरी 2018 में जब उत्तराखंड की टीम इसी तरह शर्मनाक तरीके से संतोष ट्रॉफी से बाहर हुई थी तो तब खिलाड़ियों के ट्रैक शूट और किट तक उतरवा ली गई थी. आलम ये था कि खिलाड़ियों को घर वापसी के टिकट के पैसे तक नहीं दिए गए थे. तब फुटबॉल एसोसिएशन ने अपनी गरीबी का हवाला दिया था.

एसोसिएशन में दम नहीं: जानकार खेलों में उत्तराखंड के खराब प्रदर्शन के लिए अयोग्य लोगों के हाथों में एसोसिएशन की कमान जाने और पड़ोसी राज्य के मठाधीशों के सीधे हस्तक्षेप को जिम्मेदार मान रहे हैं. क्रिकेट के बाद फुटबॉल की बर्बादी से उत्तराखंड का हर खेल प्रेमी निराश है.

चयन में भेदभाव का आरोप: ईटीवी भारत ने जब ट्रायल में शामिल कुछ खिलाड़ियों से बात की तो असली वजह सामने आई. खिलाड़ियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि टीम चयन में जमकर धांधली हुई. उत्तराखंड के एक कद्दावर मंत्री को भी इससे लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है. टीम में नहीं चुने गए होनहार खिलाड़ियों का आरोप है कि कई खिलाड़ी ट्रायल में आए बिना चुने गए. जिन खिलाड़ियों ने ट्रायल में अच्छा प्रदर्शन किया उन्हें टीम में नहीं चुना गया. खिलाड़ियों का आरोप है कि टीम भी गुपचुप तरीके से घोषित की गई.

टीम मैनेजमेंट से मांगेंगे रिपोर्ट: उत्तराखंड फुटबॉल एसोसिएशन के महासचिव आरिफ अली से ईटीवी भारत ने फुटबॉल टीम के शर्मनाक प्रदर्शन के बारे में सवाल किए. उनके पास इस हार के लिए कई बहाने थे. आरिफ अली ने कहा कि प्रतियोगिता में बायो बबल लागू था. हमारे 6 खिलाड़ी इसके उल्लंघन पर सस्पेंड कर दिए गए. इस कारण हमारा प्रदर्शन कमजोर रहा. आरिफ अली ने कहा कि कोच और मैनेजर के आने पर उनसे रिपोर्ट मांगी जाएगी. कमेटी का गठन करके उचित कार्रवाई करेंगे. उन्होंने चयन पारदर्शी होने का दावा किया. आरिफ ने कहा कि कुछ खिलाड़ी मेडिकल में बाहर हो गए थे. उन्होंने कहा कि कोविड के कारण हमारे खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए. आरिफ अली ने चयन में किसी तरह का दबाव होने से भी इंकार किया.

ये भी पढ़ें: औली में सीजन की पहली बर्फबारी, देवभूमि की वादियों ने ओढ़ी बर्फ की खूबसूरत सफेद चादर


उत्तराखंड सरकार नई खेल नीति ले आई है. उसका जोर-शोर से प्रचार-प्रसार भी किया गया. लेकिन ये खेल नीति तभी सार्थक होगी जब सरकार खुद खेल और खिलाड़ियों का ध्यान रखेगी. सरकार को राज्य की हर खेल एसोसिएशन पर कड़ी नजर रखनी चाहिए. उसके पदाधिकारियों से हर टीम के चयन और हर प्रतियोगिता में टीम के प्रदर्शन का हिसाब मांगना चाहिए. नहीं तो हर बार उत्तराखंड खेल प्रतियोगिताओं में इसी तरह अपमानित होता रहेगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.