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विश्व रक्तदान दिवस: हल्द्वानी के प्रमोद जोड़ रहे खून से खून का रिश्ता, खड़ी कर दी 'फौज'

आज विश्व रक्तदान दिवस है. कहते हैं रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं होता. रक्तदान कर हजारों जिंदगियां बचाई जा सकती हैं. हल्द्वानी के रहने वाले प्रमोद 8 सालों से रक्तदान कर खून से खून का रिश्ता जोड़ने का काम कर रहे हैं.

हल्द्वानी के प्रमोद जोड़ रहे खून से खून का रिश्ता
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Published : Jun 14, 2019, 11:13 AM IST

Updated : Jun 14, 2019, 1:03 PM IST

हल्द्वानी: कुछ ऐसा कर बंदे कि नाम हो जाए, खुदा भी तुझ पर मेहरबान हो जाए, मुफलिसों की मदद के लिए दौलत नहीं तो क्या हुआ, इस हौसले से निकल कि उसका काम हो जाए. इसी सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं हल्द्वानी निवासी प्रमोद मिश्रा.


जिस उम्र में युवा करियर संवारने और जिंदगी बनाने में उलझे रहते हैं. उस उम्र में हल्द्वानी का 23 साल का युवक प्रमोद मिश्रा दूसरों की जिंदगी बचाने में जुटा है. प्रमोद सोशल मीडिया के माध्यम से कुछ ऐसे ही रक्तवीरों की फौज खड़ा कर चुके हैं, जो लगातार जरूरतमंदों की जिंदगी बचाने में आगे आ रहे हैं. प्रमोद की इस मुहिम से अभी तक 2000 से अधिक लोगों को जीवनदान मिल चुका है.


प्रमोद की मुहिम ब्लड डोनेटर ऑफ उत्तराखंड से हल्द्वानी और उसके आसपास के ऑडिटर लोग जुड़े हैं. जिसमें से 1550 के आसपास नियमित रक्तदाता हैं. प्रमोद ने 2012 में इस मुहिम की शुरुआत की थी.

हल्द्वानी के प्रमोद जोड़ रहे खून से खून का रिश्ता


प्रमोद ने ब्लड डोनेटर ऑफ उत्तराखंड नाम के फेसबुक अकाउंट बनाए हैं. अब उनके पास कई मैसेज और फोन आते हैं. इनके अकाउंट से हजारों लोग जुड़े हैं. प्रमोद बताते हैं कि ब्लड डोनेटर्स ऑफ उत्तराखंड के पेज पर मरीज का नाम, फोन नंबर, ब्लड ग्रुप और मरीज से संबंधित अस्पताल का पोस्ट कर देते हैं. जबकि फेसबुक पोस्ट एक लाख 22 हजार सदस्यों तक एक साथ जाती है. फेसबुक पेज पर ग्रुप के सदस्यों के फोन नंबर और ब्लड ग्रुप भी दर्ज है. ऐसे में जरूरतमंदों के लिए तत्काल सैकड़ों आदमी एक साथ रक्त देने के लिए तैयार रहते हैं.


प्रमोद कहते हैं कि रक्तदान के लिए लोगों को आगे आना चाहिए, क्योंकि सही समय पर अगर जरूरतमंद को रक्त मिल जाता है तो उसकी जिंदगी बच जाती है. प्रमोद की इस मुहिम में सैकड़ों को जीवनदान मिल चुका है, इस मुहिम के चलते जीवनदान मिल चुके लोगों के मुताबिक, एक फोन कॉल ने कई मरीजों की जिंदगी बदल दी. एक ही मरीज को खून देने अस्पताल में 7 से 8 लोग एक साथ खड़े हो जाते हैं और मरीज की जान बच जाती है.


प्रमोद के मुताबिक रक्तदान का सबसे ज्यादा फायदा पहाड़ से आ रहे दूरदराज के मरीजों को मिल रहा है, क्योंकि पहाड़ से आने वाले मरीज ब्लड के लिए इधर-उधर भटकते हैं. ऐसे में शहर के अधिकतर सरकारी अस्पतालों में उन्होंने अपना नंबर दिया है, कोई भी जरूरतमंद फोन करता है तो उसकी तुरंत सहायता की जाती है.


विश्व स्वास्थ्य संगठन से मिली जानकारी के मुताबिक भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत होती है, लेकिन इसके मुकाबले करीब 75 लाख यूनिट रक्त हासिल हो पाता है. यह आंकड़ा हमारे देश के लिए कम डरावना नहीं है कि करीब 25 लाख यूनिट खून के अभाव में हजारों मरीज रोजाना दम तोड़ रहे हैं. ऐसे हालातों में प्रमोद की इस मुहिम उन लोगों की जिंदगी में रोशनी लाने का काम कर रही है, जो लोग खून के अभाव में दम तोड़ देते हैं.

हल्द्वानी: कुछ ऐसा कर बंदे कि नाम हो जाए, खुदा भी तुझ पर मेहरबान हो जाए, मुफलिसों की मदद के लिए दौलत नहीं तो क्या हुआ, इस हौसले से निकल कि उसका काम हो जाए. इसी सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं हल्द्वानी निवासी प्रमोद मिश्रा.


जिस उम्र में युवा करियर संवारने और जिंदगी बनाने में उलझे रहते हैं. उस उम्र में हल्द्वानी का 23 साल का युवक प्रमोद मिश्रा दूसरों की जिंदगी बचाने में जुटा है. प्रमोद सोशल मीडिया के माध्यम से कुछ ऐसे ही रक्तवीरों की फौज खड़ा कर चुके हैं, जो लगातार जरूरतमंदों की जिंदगी बचाने में आगे आ रहे हैं. प्रमोद की इस मुहिम से अभी तक 2000 से अधिक लोगों को जीवनदान मिल चुका है.


प्रमोद की मुहिम ब्लड डोनेटर ऑफ उत्तराखंड से हल्द्वानी और उसके आसपास के ऑडिटर लोग जुड़े हैं. जिसमें से 1550 के आसपास नियमित रक्तदाता हैं. प्रमोद ने 2012 में इस मुहिम की शुरुआत की थी.

हल्द्वानी के प्रमोद जोड़ रहे खून से खून का रिश्ता


प्रमोद ने ब्लड डोनेटर ऑफ उत्तराखंड नाम के फेसबुक अकाउंट बनाए हैं. अब उनके पास कई मैसेज और फोन आते हैं. इनके अकाउंट से हजारों लोग जुड़े हैं. प्रमोद बताते हैं कि ब्लड डोनेटर्स ऑफ उत्तराखंड के पेज पर मरीज का नाम, फोन नंबर, ब्लड ग्रुप और मरीज से संबंधित अस्पताल का पोस्ट कर देते हैं. जबकि फेसबुक पोस्ट एक लाख 22 हजार सदस्यों तक एक साथ जाती है. फेसबुक पेज पर ग्रुप के सदस्यों के फोन नंबर और ब्लड ग्रुप भी दर्ज है. ऐसे में जरूरतमंदों के लिए तत्काल सैकड़ों आदमी एक साथ रक्त देने के लिए तैयार रहते हैं.


प्रमोद कहते हैं कि रक्तदान के लिए लोगों को आगे आना चाहिए, क्योंकि सही समय पर अगर जरूरतमंद को रक्त मिल जाता है तो उसकी जिंदगी बच जाती है. प्रमोद की इस मुहिम में सैकड़ों को जीवनदान मिल चुका है, इस मुहिम के चलते जीवनदान मिल चुके लोगों के मुताबिक, एक फोन कॉल ने कई मरीजों की जिंदगी बदल दी. एक ही मरीज को खून देने अस्पताल में 7 से 8 लोग एक साथ खड़े हो जाते हैं और मरीज की जान बच जाती है.


प्रमोद के मुताबिक रक्तदान का सबसे ज्यादा फायदा पहाड़ से आ रहे दूरदराज के मरीजों को मिल रहा है, क्योंकि पहाड़ से आने वाले मरीज ब्लड के लिए इधर-उधर भटकते हैं. ऐसे में शहर के अधिकतर सरकारी अस्पतालों में उन्होंने अपना नंबर दिया है, कोई भी जरूरतमंद फोन करता है तो उसकी तुरंत सहायता की जाती है.


विश्व स्वास्थ्य संगठन से मिली जानकारी के मुताबिक भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत होती है, लेकिन इसके मुकाबले करीब 75 लाख यूनिट रक्त हासिल हो पाता है. यह आंकड़ा हमारे देश के लिए कम डरावना नहीं है कि करीब 25 लाख यूनिट खून के अभाव में हजारों मरीज रोजाना दम तोड़ रहे हैं. ऐसे हालातों में प्रमोद की इस मुहिम उन लोगों की जिंदगी में रोशनी लाने का काम कर रही है, जो लोग खून के अभाव में दम तोड़ देते हैं.

Intro:स्लग-विश्व रक्तदान दिवस: हल्द्वानी का प्रमोद लोगों के खून से खून के रिश्ते के जोड़ने का कर रहा है काम(स्पेशल)
रिपोर्टर -भावनाथ पंडित हल्द्वानी।
एंकर- आज विश्व रक्तदान दिवस है रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं माना जाता है रक्तदान कर हजारों जिंदगियों को बचाई जा सकती हैं। आज के दौर में लोग अपना ही खून अपने को देने को तैयार नहीं है लेकिन हल्द्वानी का रहने वाला एक युवा 8 सालों से लोगों में खून से खून का रिश्ता जोड़ने का काम कर रहा है।

कुछ ऐसा कर बंदे कि नाम हो जाए ,खुदा भी तुझ पर मेहरबान हो जाए, मुफ़लिसों की मदद के लिए दौलत नहीं तो क्या हुआ, इस हौसले से निकल कि उसका काम हो जाए ,जी हां इसी सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं हल्द्वानी निवासी प्रमोद मिश्रा किस तरह प्रमोद मिश्रा जोड़ रहे हैं खून का खून से रिश्ता .........देखिए इस खास रिपोर्ट में---------



Body:वीओ-1-जिस उम्र में युवा कैरियर संवारने और जिंदगी बनाने के मामले में उलझे रहते हैं उस उम्र में हल्द्वानी का 23 साल का युवक प्रमोद मिश्रा दूसरों की जिंदगी बचाने का जरिया बन चुका है । प्रमोद सोशल मीडिया के माध्यम से कुछ ऐसे ही रक्तवीरों की फौज खड़ा कर चुके हैं जो लगातार जरूरतमंदों की जिंदगी बचाने में आगे आ रहे हैं। प्रमोद की इस मुहिम से अभी तक 2000 से अधिक लोगों को जीवनदान मिल चुका है।
प्रमोद की मुहिम ब्लड डोनेटर ऑफ उत्तराखंड से हल्द्वानी और उसके आसपास के ऑडिटर लोग जुड़े हुए हैं जिसमें से 1550 के आसपास नियमित रक्तदाता हैं। प्रमोद ने 2012 में इस मुहिम की शुरुआत की थी जिससे 2000 से अधिक लोगों को अब तक जीवनदान मिल चुका है।
बाइट प्रमोद मिश्रा।
वीओ-2- कैसे होती है मदद

दरअसल प्रमोद ने हल्द्वानी ऑनलाइन 2011, ब्लड डोनेटर ऑफ उत्तराखंड, नाम के फेसबुक अकाउंट खोला है जिसके बाद उनके पास मैसेज और फोन आते हैं । इनके अकाउंट से हजारों लोग जुड़े हुए हैं। लेकिन उसी अकाउंट में हजारों रक्त वीरों की फौज भी जुड़ी हुई है। प्रमोद बताते हैं कि ब्लड डोनेटर्स ऑफ उत्तराखंड के पेज पर मरीज का नाम नंबर, ब्लड ग्रुप और मरीज से संबंधित अस्पताल का नाम पोस्ट कर देते हैं।जबकि हल्द्वानी ऑनलाइन 2011 के जरिए पोस्ट एक लाख 22 हजार सदस्यों तक एक साथ जाती है। फेसबुक पेज पर ग्रुप के सदस्यों के फोन नंबर और ब्लड ग्रुप भी दर्ज है। ऐसे में जरूरतमंदों के लिए तत्काल में सैकड़ों आदमी एक साथ रक्त देने के लिए तैयार हो जाते हैं।
प्रमोद के मुताबिक रक्तदान के लिए लोगों को आगे आना चाहिए क्योंकि सही समय पर अगर जरूरतमंद को रक्त मिल जाता है तो उसकी जिंदगी बच जाएगी। प्रमोद का कहना है कि शिविर के माध्यम से रक्त कोष में भारी संख्या में रक्त जमा किया जाता है लेकिन अधिकतर रक्त बर्बाद भी हो जाते हैं और समय पर लोको रक्त नहीं मिल पाता है।
प्रमोद की इस मुहिम में सैकड़ों को जीवनदान मिल चुका है ।इस मुहिम के चलते जीवनदान मिल चुके लोगों के मुताबिक एक फोन कॉल ने जैसे मरीज की जिंदगी बदल दी एक ही मरीज को खून देने अस्पताल में 7 से 8 लोग एक साथ खड़े हो जाते हैं और मरीज की जान बच जाती है। प्रमोद के मुताबिक यह मुहिम जीवनदायिनी के काम कर रही है। इसका सबसे ज्यादा फायदा पहाड़ से आ रहे दूरदराज के मरीजों को मिल रहा है क्योंकि पहाड़ से आने वाले मरीज ब्लड के लिए इधर-उधर भटकते हैं। ऐसे में शहर के अधिकतर सरकारी अस्पताल में अपना नंबर छोड़ रखा है कोई भी जरूरतमंद फोन करता है तो उसको तुरंत सहायता की जाती है।

बाइट प्रमोद मिश्रा



Conclusion:फाइनल वीओ- विश्व स्वास्थ्य संगठन की जानकारी के मुताबिक भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत होती है लेकिन इसके मुकाबले करीब 75 लाख यूनिट रक्त हासिल हो पाता है। यह आंकड़ा हमारे देश के लिए कम डरावना नहीं है कि करीब 25 लाख यूनिट खून के अभाव में हजारों मरीज रोजाना दम तोड़ रहे हैं। ऐसे हालातों में प्रमोद की इस मुहिम उन लोगों की जिंदगी में रोशनी लाने का काम कर रही है। जो लोग खून के अभाव में दम तोड़ जाते हैं उम्मीद की जानी चाहिए कि प्रमोद की इस मुहिम से और भी लोग जुड़ेंगे और रक्तदान करने आगे आएंगे।
Last Updated : Jun 14, 2019, 1:03 PM IST
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