हल्द्वानी: कुछ ऐसा कर बंदे कि नाम हो जाए, खुदा भी तुझ पर मेहरबान हो जाए, मुफलिसों की मदद के लिए दौलत नहीं तो क्या हुआ, इस हौसले से निकल कि उसका काम हो जाए. इसी सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं हल्द्वानी निवासी प्रमोद मिश्रा.
जिस उम्र में युवा करियर संवारने और जिंदगी बनाने में उलझे रहते हैं. उस उम्र में हल्द्वानी का 23 साल का युवक प्रमोद मिश्रा दूसरों की जिंदगी बचाने में जुटा है. प्रमोद सोशल मीडिया के माध्यम से कुछ ऐसे ही रक्तवीरों की फौज खड़ा कर चुके हैं, जो लगातार जरूरतमंदों की जिंदगी बचाने में आगे आ रहे हैं. प्रमोद की इस मुहिम से अभी तक 2000 से अधिक लोगों को जीवनदान मिल चुका है.
प्रमोद की मुहिम ब्लड डोनेटर ऑफ उत्तराखंड से हल्द्वानी और उसके आसपास के ऑडिटर लोग जुड़े हैं. जिसमें से 1550 के आसपास नियमित रक्तदाता हैं. प्रमोद ने 2012 में इस मुहिम की शुरुआत की थी.
प्रमोद ने ब्लड डोनेटर ऑफ उत्तराखंड नाम के फेसबुक अकाउंट बनाए हैं. अब उनके पास कई मैसेज और फोन आते हैं. इनके अकाउंट से हजारों लोग जुड़े हैं. प्रमोद बताते हैं कि ब्लड डोनेटर्स ऑफ उत्तराखंड के पेज पर मरीज का नाम, फोन नंबर, ब्लड ग्रुप और मरीज से संबंधित अस्पताल का पोस्ट कर देते हैं. जबकि फेसबुक पोस्ट एक लाख 22 हजार सदस्यों तक एक साथ जाती है. फेसबुक पेज पर ग्रुप के सदस्यों के फोन नंबर और ब्लड ग्रुप भी दर्ज है. ऐसे में जरूरतमंदों के लिए तत्काल सैकड़ों आदमी एक साथ रक्त देने के लिए तैयार रहते हैं.
प्रमोद कहते हैं कि रक्तदान के लिए लोगों को आगे आना चाहिए, क्योंकि सही समय पर अगर जरूरतमंद को रक्त मिल जाता है तो उसकी जिंदगी बच जाती है. प्रमोद की इस मुहिम में सैकड़ों को जीवनदान मिल चुका है, इस मुहिम के चलते जीवनदान मिल चुके लोगों के मुताबिक, एक फोन कॉल ने कई मरीजों की जिंदगी बदल दी. एक ही मरीज को खून देने अस्पताल में 7 से 8 लोग एक साथ खड़े हो जाते हैं और मरीज की जान बच जाती है.
प्रमोद के मुताबिक रक्तदान का सबसे ज्यादा फायदा पहाड़ से आ रहे दूरदराज के मरीजों को मिल रहा है, क्योंकि पहाड़ से आने वाले मरीज ब्लड के लिए इधर-उधर भटकते हैं. ऐसे में शहर के अधिकतर सरकारी अस्पतालों में उन्होंने अपना नंबर दिया है, कोई भी जरूरतमंद फोन करता है तो उसकी तुरंत सहायता की जाती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन से मिली जानकारी के मुताबिक भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत होती है, लेकिन इसके मुकाबले करीब 75 लाख यूनिट रक्त हासिल हो पाता है. यह आंकड़ा हमारे देश के लिए कम डरावना नहीं है कि करीब 25 लाख यूनिट खून के अभाव में हजारों मरीज रोजाना दम तोड़ रहे हैं. ऐसे हालातों में प्रमोद की इस मुहिम उन लोगों की जिंदगी में रोशनी लाने का काम कर रही है, जो लोग खून के अभाव में दम तोड़ देते हैं.