हल्द्वानी: पेयजल, सिंचाई और बिजली उत्पादन को ध्यान में रखते हुए बनाई जाने वाली जमरानी बांध परियोजना का असर हैड़ाखान बाबा मंदिर पर पड़ रहा है. इस परियोजना से ख्याति प्राप्त हैडाखान बाबा मंदिर और आश्रम का अस्तित्व खतरे में आ रहा है. बांध के डूब क्षेत्र में आने के चलते प्रशासन अब मंदिर और आश्रम को विस्थापित करने की कार्रवाई में जुट गया है.
10 किलोमीटर लंबी झील की इस परियोजना में विश्व प्रसिद्ध हैड़ाखान बाबा मंदिर और आश्रम का कुछ हिस्सा डूब क्षेत्र में आ रहा है. इसके अलावा इस क्षेत्र में पानी भरने के कारण भी इस विश्वविख्यात और आध्यात्मिक मंदिर पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं. वहीं सरकार, ग्रामीण और मंदिर समिति इस मंदिर की महत्ता को समझते हुए इसे विस्थापित करने में जुटे हैं, ताकि मंदिर के अस्तित्व को बचाया जा सके. इसके अलावा इस परियोजना में 6 गांवों के करीब 450 परिवार भी डूब क्षेत्र में आ रहे हैं, जिनके विस्थापन के लिए भी काम किया जा रहा है.
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कुमाऊं कमिश्नर राजीव रौतेला के मुताबिक डूब क्षेत्र में आने वाले सभी मंदिरों का उचित मूल्यांकन किया जाएगा. साथ ही उन्हें री-लोकेट करने पर भी विचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा मंदिरों के विस्थापन समेत अन्य मामलों में मुआवजे के प्रावधानों को भी अमल में लाया जा रहा है.