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पार्टी में मचे सियासी घमासान से मुश्किल होगी कांग्रेस की राह, दूर की कौड़ी लग रहा विधानसभा चुनाव

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Published : Feb 2, 2020, 8:52 PM IST

प्रदेश कांग्रेस में मचा हुआ बवाल शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. एक बार फिर कांग्रेस की खेमेबाजी सड़क पर आ गयी है. पार्टी में आये दिन होने वाले ड्रामों की हकीकत की अपनी-अपनी कहानी लेकर हर कोई दिल्ली दरबार में हाजिरी लगाने को तैयार बैठा है.

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पार्टी में मचे सियासी घमासान के बाद मुश्किल होगी कांग्रेस की राह.

देहरादून: निकाय, लोकसभा चुनाव, पंचायत चुनाव और कई उपचुनावों में हार का मुंह देख चुकी कांग्रेस अपने बुरे दौर से नहीं निकल पा रही है. इसके साथ ही पार्टी संगठन में रार और नेताओं की आपसी कलह ने भी प्रदेश में पार्टी का बंटाधार किया है. हाल में ही प्रदेश में नई कार्यकारिणी गठित की गई. इस कार्यकारिणी के गठन का उद्देश्य प्रदेश में संगठन को एक बार फिर से मजबूती के साथ खड़ा करने के साथ ही आने वाले विधानसभा चुनाव में जीत का जंप लगाना था. कांग्रेस तमाम उठा-पठक के बाद भी 2022 में जीत का सपना देख रही है, ऐसे में क्या कहते हैं प्रदेश के राजनीतिक समीकरण आइये जानते हैं..

दिल्ली तक पहुंची प्रदेश कांग्रेस की कलह

प्रदेश में कांग्रेस में मचा हुआ बवाल शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. एक बार फिर कांग्रेस की खेमेबाजी सड़क पर आ गयी है. पार्टी में आये दिन होने वाले ड्रामों की हकीकत की अपनी-अपनी कहानी लेकर हर कोई दिल्ली दरबार में हाजिरी लगाने को तैयार बैठा है. जिसके कारण पार्टी में अंसतोष और अविश्वास लगातार बढ़ता जा रहा है, जोकि आने वाले दिनों में पार्टी के लिए घातक साबित हो सकता है. जिसका खामियाजा 2022 विधानसभा चुनाव में पार्टी को भुगतना पड़ सकता है.

पार्टी में मचे सियासी घमासान के बाद मुश्किल होगी कांग्रेस की राह.

पढ़ें--सेवायोजन विभाग करेगा रोजगार मेलों का आयोजन, युवाओं को मिलेगा अवसर

क्या है प्रदेश कांग्रेस के नेताओं का इरादा
हाल ही में प्रदेश में नई कार्यकारिणी गठित की गई है. जिसके बाद से ही पार्टी में तू-तू मैं-मैं जारी है. प्रदेश कार्यकारिणी में मनमुताबिक पद न मिलने से शुरू हुए घमासान की आहट दिल्ली तक सुनाई दे रही है तो वहीं प्रदेश में भी इसके अलग ही सियासी मायने तलाशे जा रहे हैं. माना जा रहा है कार्यकारिणी में हरीश रावत गुट को दरकिनार किया गया, जिसके बाद एक्टिव होते हुए गुट की तरफ से एक्शन का रिएक्शन हुआ और फिर बयानबाजी शुरू हुई. जिसके बाद पार्टी के बड़े बड़े नेता मैदान में उतर आये. माना जा रहा है कि हरीश रावत खेमे के पार्टी नेताओं की नजर अब नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर है. अगर मान लिया जाए कि पूर्व मुख्यमंत्री के गुट को मनमुताबिक संगठन के पद मिल जाते हैं तो क्या कांग्रेस 2022 विधानसभा चुनाव में सत्ता पर काबिज हो पायेगी? या फिर संगठन में हरीश रावत के खेमे का मजबूत होना दूसरे गुट को असहज कर देगा?

पढ़ें-देहरादून: लापता जवान के परिजनों को मिला जनता का साथ, सरकार से की खोजबीन की मांग

प्रदेश कांग्रेस को सर्वप्रिय नेतृत्व की है जरूरत
सियासी जानकारों की मानें तो कांग्रेस को आपसी गुटबाजी और खेमेबाजी से ऊपर उठकर ग्रासरूट पर काम करने की जरूरत है. ताकि धरातल पर कांग्रेस का जनाधार बढ़ाया जा सके. यही नहीं प्रदेश कांग्रेस को एक ऐसे नेतृत्व की दरकार है जो कि सर्वप्रिय के साथ ही सर्वमान्य हो. 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महज 11 सीटों पर ही सिमट गई थी. ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में अगर कांग्रेस इससे ज्यादा नहीं कर पाती है तो ये उसके लिए दुर्भाग्य की बात होगी.

पढ़ें-नैनीताल: भारी बारिश और बर्फबारी के बाद भी नहीं भर पाया सूखाताल

2022 विधानसभा चुनाव होगा सपने जैसा!
कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट के अनुसार प्रदेश कांग्रेस का नेतृत्व जिन हाथों में है उन्हें सबको साथ लेकर चलने की जरूरत है. सबके साथ और सामंजस्य से ही 2022 विधानसभा में जीत का सपना पूरा किया जा सकता है. उन्होंने कहा अगर कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व ऐसा नहीं करता तो आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए जीत सपने जैसे होगी. उन्होंने कहा पार्टी में जिम्मेदार लोगों को सामने आकर पार्टी के लिए हित के लिए काम करना चाहिए.

कांग्रेस में सिर फुटव्वल होगी और तेज
कांग्रेसी नेताओं की आपसी सिर फुटव्वल का मामला भले ही पार्टी के भीतर तक ही सीमित हो, लेकिन भविष्य में ये सियासी गलियों की सुर्खियां बन सकता है. कांंग्रेस की कलह पर बोलते हुए भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन ने भी जमकर चुटकी ली. उन्होंने कहा ये कांग्रेस का अंदरूनी मामला है. देवेंद्र भसीन की मानें तो जैसे जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आएंगे वैसे-वैसे कांग्रेस का ये अंतरकलह और बढ़ेगा.

कांग्रेस में इन दिनों चल रहा घमासान प्रदेश ही नहीं बल्कि दिल्ली तक सुर्खियां बटोर रहा है. जिससे नेताओं के साथ ही संगठन की छवि पर भी बुरा असर पड़ रहा है. प्रदेश में पार्टी के बड़े पदों पर बैठे नेता ही बयानों के बाउंसर से अपनों को ही हिट करने में लगे हैं. जिससे पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ ही उसके जनाधार पर असर पड़ रहा है. पार्टी में मचे इस शोर के बाद आने वाले विधानसभा चुनाव में जीत के लिए कांग्रेस आखिर किस फार्मूले को अख्तियार करती है ये देखने वाली बात होगी.

देहरादून: निकाय, लोकसभा चुनाव, पंचायत चुनाव और कई उपचुनावों में हार का मुंह देख चुकी कांग्रेस अपने बुरे दौर से नहीं निकल पा रही है. इसके साथ ही पार्टी संगठन में रार और नेताओं की आपसी कलह ने भी प्रदेश में पार्टी का बंटाधार किया है. हाल में ही प्रदेश में नई कार्यकारिणी गठित की गई. इस कार्यकारिणी के गठन का उद्देश्य प्रदेश में संगठन को एक बार फिर से मजबूती के साथ खड़ा करने के साथ ही आने वाले विधानसभा चुनाव में जीत का जंप लगाना था. कांग्रेस तमाम उठा-पठक के बाद भी 2022 में जीत का सपना देख रही है, ऐसे में क्या कहते हैं प्रदेश के राजनीतिक समीकरण आइये जानते हैं..

दिल्ली तक पहुंची प्रदेश कांग्रेस की कलह

प्रदेश में कांग्रेस में मचा हुआ बवाल शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. एक बार फिर कांग्रेस की खेमेबाजी सड़क पर आ गयी है. पार्टी में आये दिन होने वाले ड्रामों की हकीकत की अपनी-अपनी कहानी लेकर हर कोई दिल्ली दरबार में हाजिरी लगाने को तैयार बैठा है. जिसके कारण पार्टी में अंसतोष और अविश्वास लगातार बढ़ता जा रहा है, जोकि आने वाले दिनों में पार्टी के लिए घातक साबित हो सकता है. जिसका खामियाजा 2022 विधानसभा चुनाव में पार्टी को भुगतना पड़ सकता है.

पार्टी में मचे सियासी घमासान के बाद मुश्किल होगी कांग्रेस की राह.

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क्या है प्रदेश कांग्रेस के नेताओं का इरादा
हाल ही में प्रदेश में नई कार्यकारिणी गठित की गई है. जिसके बाद से ही पार्टी में तू-तू मैं-मैं जारी है. प्रदेश कार्यकारिणी में मनमुताबिक पद न मिलने से शुरू हुए घमासान की आहट दिल्ली तक सुनाई दे रही है तो वहीं प्रदेश में भी इसके अलग ही सियासी मायने तलाशे जा रहे हैं. माना जा रहा है कार्यकारिणी में हरीश रावत गुट को दरकिनार किया गया, जिसके बाद एक्टिव होते हुए गुट की तरफ से एक्शन का रिएक्शन हुआ और फिर बयानबाजी शुरू हुई. जिसके बाद पार्टी के बड़े बड़े नेता मैदान में उतर आये. माना जा रहा है कि हरीश रावत खेमे के पार्टी नेताओं की नजर अब नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर है. अगर मान लिया जाए कि पूर्व मुख्यमंत्री के गुट को मनमुताबिक संगठन के पद मिल जाते हैं तो क्या कांग्रेस 2022 विधानसभा चुनाव में सत्ता पर काबिज हो पायेगी? या फिर संगठन में हरीश रावत के खेमे का मजबूत होना दूसरे गुट को असहज कर देगा?

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प्रदेश कांग्रेस को सर्वप्रिय नेतृत्व की है जरूरत
सियासी जानकारों की मानें तो कांग्रेस को आपसी गुटबाजी और खेमेबाजी से ऊपर उठकर ग्रासरूट पर काम करने की जरूरत है. ताकि धरातल पर कांग्रेस का जनाधार बढ़ाया जा सके. यही नहीं प्रदेश कांग्रेस को एक ऐसे नेतृत्व की दरकार है जो कि सर्वप्रिय के साथ ही सर्वमान्य हो. 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महज 11 सीटों पर ही सिमट गई थी. ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में अगर कांग्रेस इससे ज्यादा नहीं कर पाती है तो ये उसके लिए दुर्भाग्य की बात होगी.

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2022 विधानसभा चुनाव होगा सपने जैसा!
कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट के अनुसार प्रदेश कांग्रेस का नेतृत्व जिन हाथों में है उन्हें सबको साथ लेकर चलने की जरूरत है. सबके साथ और सामंजस्य से ही 2022 विधानसभा में जीत का सपना पूरा किया जा सकता है. उन्होंने कहा अगर कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व ऐसा नहीं करता तो आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए जीत सपने जैसे होगी. उन्होंने कहा पार्टी में जिम्मेदार लोगों को सामने आकर पार्टी के लिए हित के लिए काम करना चाहिए.

कांग्रेस में सिर फुटव्वल होगी और तेज
कांग्रेसी नेताओं की आपसी सिर फुटव्वल का मामला भले ही पार्टी के भीतर तक ही सीमित हो, लेकिन भविष्य में ये सियासी गलियों की सुर्खियां बन सकता है. कांंग्रेस की कलह पर बोलते हुए भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन ने भी जमकर चुटकी ली. उन्होंने कहा ये कांग्रेस का अंदरूनी मामला है. देवेंद्र भसीन की मानें तो जैसे जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आएंगे वैसे-वैसे कांग्रेस का ये अंतरकलह और बढ़ेगा.

कांग्रेस में इन दिनों चल रहा घमासान प्रदेश ही नहीं बल्कि दिल्ली तक सुर्खियां बटोर रहा है. जिससे नेताओं के साथ ही संगठन की छवि पर भी बुरा असर पड़ रहा है. प्रदेश में पार्टी के बड़े पदों पर बैठे नेता ही बयानों के बाउंसर से अपनों को ही हिट करने में लगे हैं. जिससे पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ ही उसके जनाधार पर असर पड़ रहा है. पार्टी में मचे इस शोर के बाद आने वाले विधानसभा चुनाव में जीत के लिए कांग्रेस आखिर किस फार्मूले को अख्तियार करती है ये देखने वाली बात होगी.

Intro:Ready To Air......

प्रदेश संगठन को मजबूत और किसी भी चुनाव को जीतने में पार्टी के नेताओ की एकजुटता बेहद महत्वपूर्ण होती है लेकिन जब पार्टी के वरिष्ठ नेता ही खुलकर संगठन के विरोध में खड़े हो जाए, तो ऐसे में पार्टी ना तो मजबूत हो सकती है और ना ही किसी चुनाव में खड़े होने के लायक। जी हां इन दिनों उत्तराखंड कांग्रेस के हालात कुछ ऐसे ही नज़र आ रहे हैं। उत्तराखंड कांग्रेस का संगठन ना तो एकजुट है और ना ही आगामी 2022 विधानसभा चुनाव का सपना देख पा रही है। क्योंकि पार्टी के भीतर, पार्टी के ही नेता, शोर-शराबे के बीच पार्टी को गर्त में ले जाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। ऐसे में 2022 विधानसभा चुनाव, उत्तराखंड विपक्षी दल कैसे लड़ेगी और कैसे जीतेगी। ये एक बड़ा सवाल है? आखिर क्या कहता है राजनितिक समीकरण? देखिये ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट......


Body:प्रदेश कांग्रेस की सियासी गर्माहट दिल्ली तक हो रही है महसूस......... 

राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस में आपसी सरफुटवाल का मामला शांत नही हो पा रहा हैं। एक बार फिर कांग्रेस की आपसी खेमेबाजी सड़क पर आ गयी हैं। उत्तराखंड में भले ही काफी ठंड हो रही हो, वावजूद इसके कांग्रेस पार्टी में सियासी गर्माहट, देहरादून से दिल्ली तक साफ-साफ महसूस की जा सकती हैं। कांग्रेस पार्टी नेताओं की इस आपसी लड़ाई का खामियाजा खुद कांग्रेस को ही आगामी 2022 विधानसभा सीट में भुगतना पड़ सकता है। और इससे इनकार भी नही किया जा सकता। 


क्या है प्रदेश कांग्रेस के नेताओ का इरादा......... 

कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी में मनमुताबिक पद न मिलने से शुरू हुए पार्टी के इस घमासान की आहट, जहा एक ओर दिल्ली तक सुनाई दे रही हैं तो वही दूसरी ओर उत्तराखंड में भी मामला अभी तक गर्माया हुआ हैं। तो क्या ये मान लिया जाए कि हरीश रावत खेमे के पार्टी नेताओं की नजर अब नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर है या फिर वाकई कुछ नया कर संगठन को मजबूत करने का इरादा हैं। अगर मान लिया जाए कि पूर्व मुख्यमंत्री के गुट को मनमुताबिक संगठन के पद मिल जाते हैं तो क्या कांग्रेस, साल 2022 में उत्तराखंड में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता पर काबिज हो पायेगी या संगठन में हरीश रावत के खेमे का और मजबूत होने से, दूसरा गुट विरोध के सियासी दावपेच खेलेगा। लेकिन पार्टी नेताओं के बयान तो कुछ और ही इशारा कर रहे है। 


प्रदेश कांग्रेस को सर्वप्रिय नेतृत्व की है जरुरत......... 

सियासी जानकारों की माने तो कांग्रेस को आपसी गुटबाजी और खेमेबाजी से ऊपर उठकर, पार्टी नेताओं को काम करने की जरूरत हैं ताकि कांग्रेस के विधायकों की संख्या को बढ़ाया जा सके। यही नहीं प्रदेश कांग्रेस को ऐसा नेतृत्व चाहिए जो सर्वप्रिय हो। कांग्रेस साल 2017 विधानसभा चुनाव में मात्र 11 सीट पर ही सिमट गई, ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव 2022 में अगर कांग्रेस 11 से 12 सीट भी हासिल नही कर पायी। तो ये कांग्रेस के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बात होगी। लिहाजा पद ले लेना और पद पर आशीन हो जाने से पार्टी ना ही मजबूत होगी और ना ही उठेगी। लिहाजा पार्टी को निष्पक्ष भाव से उन लोगों को पहचानना चाहिए, जो जन-जन तक जाकर पार्टी के लिए काम करें। नहीं तो आगामी 2022 में फिर हो सकता है कि कांग्रेस को निराशा ही हाथ लगे।


इस तरह 2022 विधानसभा चुनाव होगा सपने देखने जैसा.........

वहीं कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट के अनुसार, प्रदेश कांग्रेस का नेतृत्व जिनके हाथों में है उन सबको मिलजुल कर और आपस में बात कर, इस मसले का हल निकालना चाहिए। क्योंकि अगर नेता यह सोचेंगे कि उन्होंने जो किया है वह सही है। तो ऐसे में, आगामी 2022 विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए सपने देखने जैसा होगा। हालांकि पार्टी को अगर 2022 विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी करनी है और सरकार बनानी है। तो मिलकर और एकजुट होकर काम करना पड़ेगा। साथ ही बिष्ट ने बताया कि जिनके ऊपर प्रदेश पार्टी के नेतृत्व की जिम्मेदारी है या तो वो समाधान निकालें, नहीं तो पार्टी के आलाकमान को देखना चाहिए कि क्या रास्ता निकल सकता है, ताकि कांग्रेस के भीतर चल रहे झगड़े खत्म हो और पार्टी एकजुट होकर 2022 की तैयारियों में जुट सके।


कांग्रेस के भीतर सिर फुटव्वल की स्थिति होगी और तेज.........

कांग्रेसी नेताओं की आपसी सिर फुटव्वल का मामला भले ही सियासी घमासान के रूप में कांग्रेस में ही बना हो, लेकिन जब मामला कांग्रेस के अंतरकलह का हो, तो भला बीजेपी कैसे शांत रह सकती हैं। वही बीजेपी ने भी कांग्रेस की इस गुटबाजी पर जमकर चुटकी ली। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी देवेंद्र भसीन ने बताया कि कांग्रेस के भीतर चल रहे अंतरकलह कांग्रेस का अंदुरुनी मामला है, लेकिन उत्तराखंड का विपक्षी दल होने के नाते सबका ध्यान उधर जाता है। यही नहीं आने वाले समय में कांग्रेस के भीतर सिर फुटव्वल की स्थिति और तेज होगी। जनता ने कांग्रेस को तो पहले ही नकार दिया है। ऐसे में 2022 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन का तो, कोई सवाल ही नहीं खड़ा होता है। 

बाइट - भगीरथ शर्मा, सियासी जानकार  
बाइट - जोत सिंह बिष्ट, प्रदेश उपाध्यक्ष, कांग्रेस  
बाइट - डॉ देवेंद्र भसीन, प्रदेश मीडिया प्रभारी, बीजेपी




Conclusion:इन दिनों कांग्रेस में जो आपसी वसर्चव की लड़ाई का सियासी घमासान चल रहा हैं। इससे संगठन भले ही मजबूत हो न हो, लेकिन कांग्रेसी नेताओं का संगठन मजबूत होने का ये मसला एक बार फिर से जग जाहिर हो गया है। ऐसे में अब देखना होगा कि आखिर, पार्टी को मजबूत करने के साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव 2022 को जीतने के लिए कांग्रेस, किस फ़ॉर्मूले को अख्तियार करती है। देहरादून से ईटीवी भारत के लिए रोहित सोनी की रिपोर्ट.....
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