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नेहरुकाल से लेकर मोदी युग तक में सूबे के कौन-कौन महारथी बने मंत्री, जानिए

राष्ट्रपति भवन में नरेंद्र मोदी जब लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे तो प्रदेशवासियों की निगाहें भी उनके मंत्रिमंडल पर होगी. यूं तो उत्तराखंड में महज 5 सीटें हैं, लेकिन इतिहास बताता है कि पहली लोकसभा से लेकर अब तक के केंद्रीय मंत्रिमंडल में उत्तराखंड को खासी तवज्जो मिलती रही है.

मोदी कैबिनेट-2019 में किसे मिलेगी जगह
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Published : May 30, 2019, 7:15 AM IST

देहरादून: राष्ट्रपति भवन में नरेंद्र मोदी जब लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे तो प्रदेशवासियों की निगाहें भी उनके मंत्रिमंडल पर होगी. यूं तो उत्तराखंड में महज 5 सीटें हैं, लेकिन इतिहास बताता है कि पहली लोकसभा से लेकर अब तक के केंद्रीय मंत्रिमंडल में उत्तराखंड को खासी तवज्जो मिलती रही है. इस खास रिपोर्ट में पढ़िए, उत्तराखंड से कौन से वो चेहरे हैं जो मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं और केंद्र की राजनीति में उत्तराखंड की अब तक क्या भूमिका रही है.


उत्तराखंड एक छोटा प्रदेश होने के बावजूद केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह बनाने के लिए खास उम्मीदें पाले हुए हैं. देश का राजनीतिक इतिहास उत्तराखंडवासियों की इस उम्मीद को बल भी देता है. लेकिन सवाल ये है कि 5 सीटों में वह कौन सा चेहरा है, जिसे मोदी मंत्रिमंडल में तवज्जो मिलेगी. वैसे कहा जा रहा है कि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री गढ़वाल से होने के चलते केंद्रीय मंत्रिमंडल में कुमांऊ के किसी सांसद को ही जगह देने की तैयारी की जा रही है. लेकिन एक-एक कर फिर समझिए सभी चेहरों की खासियत और मंत्रिमंडल में शामिल होने की उनकी प्रबल दावेदारी.


मोदी मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा प्रबल दावेदारी नैनीताल लोकसभा सीट से जीतकर आए अजय भट्ट की है. अजय भट्ट उत्तराखंड भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष हैं और उनके नेतृत्व में ही उत्तराखंड में भाजपा ने भारी बहुमत हासिल कर 70 में से 57 विधानसभा सीटें जीती थी. केंद्रीय नेताओं में मजबूत पकड़ होने के साथ अजय भट्ट की संगठन में भी जबरदस्त पकड़ है. इसके अलावा उन्होंने सबसे ज्यादा वोटों से अपने सबसे मजबूत प्रतिद्वंदी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को पटखनी दी है.


अल्मोड़ा सीट की बात करें तो इस सीट से जीतकर आने वाले अजय टम्टा एक बार फिर सांसद बन सकते हैं. अजय टम्टा अनुसूचित जाति से आते हैं और वह 2014 की मोदी सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान केंद्रीय राज्य मंत्री रह चुके हैं. ऐसे में अजय टम्टा को भी मोदी कैबिनेट में जगह पाने वाले दावेदारों में देखा जा रहा है.


केंद्रीय मंत्रिमंडल में तीसरा सबसे मजबूत चेहरा हरिद्वार से सांसद चुनकर आए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक का है. डॉ निशंक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और प्रदेश में उनकी एक तेज-तर्रार नेता के रूप में छवि रही है. निशंक को एक अनुभवी नेता के तौर पर मोदी मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है. हालांकि 2014 के मोदी मंत्रिमंडल में उन को नकार कर अजय टम्टा को जगह दी गई थी.


टिहरी लोकसभा सीट से सांसद बनकर माला राज्य लक्ष्मी शाह ने जीत की हैट्रिक लगाई है. माला राज्य लक्ष्मी उत्तराखंड की पहली महिला है जो सांसद चुनकर संसद पहुंची है और यही बात उनको खास बनाती है.


सबसे कम उम्मीद पौड़ी लोकसभा सीट से पहली बार जीतकर आए तीरथ सिंह रावत को लेकर है. हालांकि तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड में प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और उत्तराखंड में विधायक के तौर पर भी वह काम कर चुके हैं. साथ ही संगठन में भी उनकी जबरदस्त पकड़ है, लेकिन इन सब खासियत के बावजूद उनकी मोदी मंत्रिमंडल में ताजपोशी को लेकर सबसे कम उम्मीदें दिखती है.


केंद्रीय मंत्रिमंडल में उत्तराखंड के अब तक के चेहरे
साल1953 की पहली लोकसभा में ही देहरादून लोकसभा सीट से जीतकर गए महावीर त्यागी ने नेहरू मंत्रिमंडल में अपनी जगह बनाई थी. इसके बाद गढ़वाल लोकसभा से सांसद रहे भक्त दर्शन ने नेहरू और इंदिरा गांधी की सरकार में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और केंद्र में महत्वपूर्ण विभागों पर रहे.


इसके बाद 1980 के दशक में कई बड़े चेहरे देश की राजनीति में दिखाई दिए, जिसमें हेमवती नंदन बहुगुणा और एनडी तिवारी सम्मेद ब्रह्मदत्त शामिल थे. ये तीनों ही नेता केंद्रीय मंत्रिमंडल में बेहद अहम विभागों की जिम्मेदारी संभालते हुए देश की राजनीति में बड़े चेहरे के रूप में उभरकर सामने आए. इस दौरान 1977 में मुरली मनोहर जोशी ने भी उत्तराखंड के अल्मोड़ा लोकसभा सीट से चुनाव जीता और वह केंद्र में अहम पदों पर रहे.


साल 2000 में अटल बिहारी वाजपेई सरकार में पौड़ी लोकसभा सीट से सांसद चुने गए मेजर जनरल भुवन चंद खंडूरी ने मंत्रिमंडल में जगह हासिल कर अहम विभाग की जिम्मेदारी संभाली और देश में सड़कों का जाल बिछाने के लिए खूब वाहवाही लूटी. भाजपा सरकार में बच्ची सिंह रावत ने केंद्रीय राज्य मंत्री के तौर पर केंद्र में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व किया तो कांग्रेस सरकारों में हरीश रावत, सतपाल महाराज ने केंद्र में केंद्रीय मंत्रिमंडल में अहम भूमिका निभाई.


इसके बाद साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में कैबिनेट विस्तार के दौरान अजय टम्टा को केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी. वह उत्तराखंड के पहले अनुसूचित जाति के सांसद रहे जो केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो सके.

देहरादून: राष्ट्रपति भवन में नरेंद्र मोदी जब लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे तो प्रदेशवासियों की निगाहें भी उनके मंत्रिमंडल पर होगी. यूं तो उत्तराखंड में महज 5 सीटें हैं, लेकिन इतिहास बताता है कि पहली लोकसभा से लेकर अब तक के केंद्रीय मंत्रिमंडल में उत्तराखंड को खासी तवज्जो मिलती रही है. इस खास रिपोर्ट में पढ़िए, उत्तराखंड से कौन से वो चेहरे हैं जो मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं और केंद्र की राजनीति में उत्तराखंड की अब तक क्या भूमिका रही है.


उत्तराखंड एक छोटा प्रदेश होने के बावजूद केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह बनाने के लिए खास उम्मीदें पाले हुए हैं. देश का राजनीतिक इतिहास उत्तराखंडवासियों की इस उम्मीद को बल भी देता है. लेकिन सवाल ये है कि 5 सीटों में वह कौन सा चेहरा है, जिसे मोदी मंत्रिमंडल में तवज्जो मिलेगी. वैसे कहा जा रहा है कि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री गढ़वाल से होने के चलते केंद्रीय मंत्रिमंडल में कुमांऊ के किसी सांसद को ही जगह देने की तैयारी की जा रही है. लेकिन एक-एक कर फिर समझिए सभी चेहरों की खासियत और मंत्रिमंडल में शामिल होने की उनकी प्रबल दावेदारी.


मोदी मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा प्रबल दावेदारी नैनीताल लोकसभा सीट से जीतकर आए अजय भट्ट की है. अजय भट्ट उत्तराखंड भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष हैं और उनके नेतृत्व में ही उत्तराखंड में भाजपा ने भारी बहुमत हासिल कर 70 में से 57 विधानसभा सीटें जीती थी. केंद्रीय नेताओं में मजबूत पकड़ होने के साथ अजय भट्ट की संगठन में भी जबरदस्त पकड़ है. इसके अलावा उन्होंने सबसे ज्यादा वोटों से अपने सबसे मजबूत प्रतिद्वंदी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को पटखनी दी है.


अल्मोड़ा सीट की बात करें तो इस सीट से जीतकर आने वाले अजय टम्टा एक बार फिर सांसद बन सकते हैं. अजय टम्टा अनुसूचित जाति से आते हैं और वह 2014 की मोदी सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान केंद्रीय राज्य मंत्री रह चुके हैं. ऐसे में अजय टम्टा को भी मोदी कैबिनेट में जगह पाने वाले दावेदारों में देखा जा रहा है.


केंद्रीय मंत्रिमंडल में तीसरा सबसे मजबूत चेहरा हरिद्वार से सांसद चुनकर आए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक का है. डॉ निशंक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और प्रदेश में उनकी एक तेज-तर्रार नेता के रूप में छवि रही है. निशंक को एक अनुभवी नेता के तौर पर मोदी मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है. हालांकि 2014 के मोदी मंत्रिमंडल में उन को नकार कर अजय टम्टा को जगह दी गई थी.


टिहरी लोकसभा सीट से सांसद बनकर माला राज्य लक्ष्मी शाह ने जीत की हैट्रिक लगाई है. माला राज्य लक्ष्मी उत्तराखंड की पहली महिला है जो सांसद चुनकर संसद पहुंची है और यही बात उनको खास बनाती है.


सबसे कम उम्मीद पौड़ी लोकसभा सीट से पहली बार जीतकर आए तीरथ सिंह रावत को लेकर है. हालांकि तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड में प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और उत्तराखंड में विधायक के तौर पर भी वह काम कर चुके हैं. साथ ही संगठन में भी उनकी जबरदस्त पकड़ है, लेकिन इन सब खासियत के बावजूद उनकी मोदी मंत्रिमंडल में ताजपोशी को लेकर सबसे कम उम्मीदें दिखती है.


केंद्रीय मंत्रिमंडल में उत्तराखंड के अब तक के चेहरे
साल1953 की पहली लोकसभा में ही देहरादून लोकसभा सीट से जीतकर गए महावीर त्यागी ने नेहरू मंत्रिमंडल में अपनी जगह बनाई थी. इसके बाद गढ़वाल लोकसभा से सांसद रहे भक्त दर्शन ने नेहरू और इंदिरा गांधी की सरकार में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और केंद्र में महत्वपूर्ण विभागों पर रहे.


इसके बाद 1980 के दशक में कई बड़े चेहरे देश की राजनीति में दिखाई दिए, जिसमें हेमवती नंदन बहुगुणा और एनडी तिवारी सम्मेद ब्रह्मदत्त शामिल थे. ये तीनों ही नेता केंद्रीय मंत्रिमंडल में बेहद अहम विभागों की जिम्मेदारी संभालते हुए देश की राजनीति में बड़े चेहरे के रूप में उभरकर सामने आए. इस दौरान 1977 में मुरली मनोहर जोशी ने भी उत्तराखंड के अल्मोड़ा लोकसभा सीट से चुनाव जीता और वह केंद्र में अहम पदों पर रहे.


साल 2000 में अटल बिहारी वाजपेई सरकार में पौड़ी लोकसभा सीट से सांसद चुने गए मेजर जनरल भुवन चंद खंडूरी ने मंत्रिमंडल में जगह हासिल कर अहम विभाग की जिम्मेदारी संभाली और देश में सड़कों का जाल बिछाने के लिए खूब वाहवाही लूटी. भाजपा सरकार में बच्ची सिंह रावत ने केंद्रीय राज्य मंत्री के तौर पर केंद्र में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व किया तो कांग्रेस सरकारों में हरीश रावत, सतपाल महाराज ने केंद्र में केंद्रीय मंत्रिमंडल में अहम भूमिका निभाई.


इसके बाद साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में कैबिनेट विस्तार के दौरान अजय टम्टा को केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी. वह उत्तराखंड के पहले अनुसूचित जाति के सांसद रहे जो केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो सके.

Intro:राष्ट्रपति भवन में नरेंद्र मोदी जब लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे तो उत्तराखंड की निगाहें उनके मंत्रिमंडल पर होगी... यूं तो उत्तराखंड में महज 5 सीटें हैं लेकिन इतिहास बताता है कि पहली लोकसभा से लेकर अब तक केंद्रीय मंत्रिमंडल में उत्तराखंड को खासी तवज्जो मिलती रही है। उत्तराखंड से कौन से वो चेहरे हैं जो मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं और केंद्र की राजनीति में उत्तराखंड कि अब तक क्या रही है भूमिका.... जानिए हमारी इस खास रिपोर्ट में.....






Body:उत्तराखंड एक छोटा प्रदेश होने के बावजूद केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह बनाने के लिए खास उम्मीदें पाले हुए हैं... देश का राजनीतिक इतिहास उत्तराखंड वासियों की इस उम्मीद को बल भी देता है... लेकिन सवाल यह है कि 5 सीटों में वह कौन सा चेहरा है जिसको मोदी मंत्रिमंडल में तवज्जो मिल सकती है। वैसे कहा जा रहा है कि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री गढ़वाल से होने के चलते केंद्रीय मंत्रिमंडल में कुमाऊ के किसी सांसद को ही जगह देने की तैयारी की जा रही है तो एक-एक कर समझिए सभी चेहरों की खासियत और मंत्रिमंडल में शामिल होने की उनकी प्रबल दावेदारी को...

मोदी मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा प्रबल दावेदारी नैनीताल लोकसभा सीट से जीतकर आए अजय भट्ट की है। अजय भट्ट उत्तराखंड भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष हैं और उनके नेतृत्व में ही उत्तराखंड में भाजपा ने भारी बहुमत हासिल कर 70 में से 57 विधानसभा सीटें जीती थी। केंद्रीय नेताओं में मजबूत पकड़ होने के साथ अजय भट्ट की संगठन में भी जबरदस्त पकड़ है। इसके अलावा उन्होंने सबसे ज्यादा वोटों से अपने सबसे मजबूत प्रतिद्वंदी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को पटखनी दी है।

अल्मोड़ा सीट से जीतकर आने वाले अजय टम्टा लगातार दूसरी बार सांसद बने हैं... अजय टम्टा अनुसूचित जाति से आते हैं और वह 2014 की मोदी सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान केंद्रीय राज्य मंत्री रह चुके हैं। ऐसे में अजय टम्टा को भी मोदी कैबिनेट में जगह दिए जाने को लेकर मजबूत दावेदार माना जा रहा है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल में तीसरा सबसे मजबूत चेहरा हरिद्वार से सांसद चुनकर आए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक का है। डॉ निशंक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और एक तेजतर्रार नेता के रूप में जाने जाते हैं। निशंक को एक अनुभवी नेता के तौर पर मोदी मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है। हालांकि 2014 के मोदी मंत्रिमंडल में उन को नकार कर अजय टम्टा को जगह दी गई थी।

टिहरी लोकसभा सीट से माला राज्य लक्ष्मी सांसद बनकर लगातार तीसरी बार अपनी जीत की हैट्रिक लगा चुकी है.. माला राज्य लक्ष्मी उत्तराखंड की पहली महिला है जो सांसद चुनकर संसद पहुंची है और यही बात उनकी खासियत में जुड़ती है।

सबसे कम उम्मीद पौड़ी लोकसभा सीट से पहली बार जीतकर आए तीरथ सिंह रावत को लेकर है.. हालांकि तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड में प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और उत्तराखंड में विधायक के तौर पर भी वह काम कर चुके हैं। साथ ही संगठन में भी उनकी पकड़ है लेकिन इन सब खासियत ओं के बावजूद उनकी मोदी मंत्रिमंडल में ताजपोशी को लेकर सबसे कम उम्मीदें दिखती है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल में उत्तराखंड के चेहरे

साल 1953 की पहली लोकसभा मे ही देहरादून लोकसभा सीट से जीतकर गए महावीर त्यागी ने नेहरू मंत्रिमंडल में अपनी जगह बनाई थी। इसके बाद गढ़वाल लोकसभा से सांसद रहे भक्त दर्शन ने नेहरू और इंदिरा गांधी की सरकारों में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और केंद्र में महत्वपूर्ण विभाग के साथ कुर्सी हासिल की। उत्तराखंड से इसके बाद 1980 के दशक में कई बड़े चेहरे देश की राजनीति में दिखाई दिए जिसमें हेमवती नंदन बहुगुणा और एनडी तिवारी सम्मेद ब्रह्म दत्त शामिल थे। यह तीनों ही नेता केंद्रीय मंत्रिमंडल में बेहद अहम विभागों की जिम्मेदारी संभालते हुए देश की राजनीति में बड़े चेहरे के रूप में जाने गए। इस दौरान 1977 में मुरली मनोहर जोशी ने भी उत्तराखंड के अल्मोड़ा लोकसभा सीट से चुनाव जीता और वह केंद्र में अहम पदों पर रहे। साल 2000 में अटल बिहारी वाजपेई सरकार में पौड़ी लोकसभा सीट से सांसद भुवन चंद खंडूरी ने मंत्रिमंडल में जगह हासिल कर अहम विभाग की जिम्मेदारी संभाली और देश में सड़कों का जाल बिछाने के लिए खूब वाहवाही लूटी। भाजपा सरकार में बच्ची सिंह रावत ने केंद्रीय राज्य मंत्री के तौर पर केंद्र में उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व किया तो कांग्रेस सरकारों में हरीश रावत सतपाल महाराज ने केंद्र में केंद्रीय मंत्रिमंडल में अहम भूमिका निभाई।

इसके बाद साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल में कैबिनेट विस्तार के दौरान जुलाई में अजय टम्टा को जिम्मेदारी दी और वह उत्तराखंड के पहले अनुसूचित जाति के सांसद रहे जो केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो सके।



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