देहरादून: इन दिनों कोरोना संक्रमण से निपटना देश-दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रहा है. दुनियाभर के डॉक्टर, पुलिस कर्मी, सफाई कर्मी इससे निपटने के लिए दिन रात लगे हुए हैं. कोरोना काल की तमाम परेशानियों के बीच स्वास्थ्य विभाग को भी नई-नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इनमें सबसे बड़ी चुनौती कोरोना संक्रमण से मरने वाले मरीजों के शवों का रख-रखाव और उनका अंतिम संस्कार करने की है. हालांकि, उत्तराखंड में कोराना संक्रमण से अबतक कोई जनहानि नहीं हुई है, लेकिन उत्तराखंड स्वास्थ्य महकमा इसकी गंभीरता को समझते हुए केंद्र की गाइडलाइन के हिसाब से काम कर रहा है.
यूं तो उत्तराखंड के लिए अच्छी बात यह है कि प्रदेश में अभी कोरोना वायरस से किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई है, लेकिन विपरीत परिस्थितियों के लिहाज से स्वास्थ्य विभाग प्रशासन के साथ मिलकर लगातार काम कर रहा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के अनुसार कोरोना वायरस से संक्रमित की मौत के बाद उसका अंतिम संस्कार आस-पास ही करना चाहिए. परिजन अपने संबंधी का केवल एक बार चेहरा देख सकते हैं, गले मिलने और शव से लिपटने पर रोक लगाई गई है. अंतिम संस्कार या अंतिम यात्रा में भी कम से कम लोग शामिल हों. अंतिम संस्कार के लिए शव को ले जाने के दौरान भी विशेष सतर्कता बरती जाए.
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कोरोना संक्रमित मरीज की मौत के बाद उसके शव परीक्षण और अंतिम संस्कार के दौरान भी विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है. इस बारे में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने दिशा निर्देश जारी किए हैं, जिसमें सावधानी बरतने की जरूरत पर जोर दिया गया है. आइये, आपको बताते हैं कि गाइडलाइन के मुताबिक कोरोना संक्रमित मरीज की मौत से लेकर उसके दाह संस्कार तक कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी पड़ती हैं.
कोरोना संक्रमित का 'दाह संस्कार'
- संक्रमित मरीज के शव का किया जाता है विशेष रख रखाव.
- स्वास्थ्य विभाग तय करता है सभी गाइडलाइन.
- मरीज की मौत के बाद शव को किया जाता है सैनिटाइज.
- प्लास्टिक के एक बैग में पूरी तरह बंद किया जाता है शव.
- प्लास्टिक बैग में डाला जाता है कीटाणुनाशक चूर्ण.
- उपचार में प्रयोग किये गये उपकरणों को किया जाता है डिस्पोस.
- इस दौरान किया जाता है सुरक्षित पीपीई किट का इस्तेमाल.
- शवगृह में नहीं होती किसी को आने की अनुमति.
- शव सौंपने के बाद फिर से शवगृह को किया जाता है सैनिटाइज.
- इसके बाद शव को एहतियात के साथ निकाला जाता है बाहर.
- इस्तेमाल ट्रॉली, दरवाजे और फर्श को सोडियम हाइपोक्लोराइट से किया जाता है साफ.
- अंत्येष्टि के दौरान भी रखना होता है विशेष ख्याल.
- दाह संस्कार में शामिल नहीं होते अधिक लोग.
- धार्मिक परंपराओं की नहीं होती अनुमति.
- दाह संस्कार के बाद राख से नहीं होता संक्रमण.
बात अगर उत्तरखंड की करें तो यहां भी तमाम गाइडलाइन्स का ध्यान रखते हुए स्वास्थ्य विभाग, पुलिस के सहयोग से कोरोना से जंग लड़ रहा है. स्वास्थ्य विभाग उन सभी छोटी बड़ी बातों की ख्याल रखते हुए काम कर रहा है जिससे कोरोना को हराने में मदद मिल सके.