देहरादून: देश के संविधान ने हर किसी को अपनी बात स्वतंत्रता पूर्वक रखने का अधिकार है. हालांकि, खाकी की वर्दी से जुड़कर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे पुलिसकर्मी कई बार चाहते हुए भी अपनी बात समाज के सामने खुलकर नहीं रख पाते, लेकिन सोशल मीडिया के दौर में देर सवेर वर्दीधारी भी अपने विचारों को रखते दिखाई देते हैं. उत्तराखंड पुलिस में एक पुलिसकर्मी ऐसा भी है जो समाज में सकारात्मक बदलाव को लेकर पिछले 5 सालों से अपने विचारों को किताबों में लिखकर संजो रहा है. साथ ही किताबों के जरिए समाज में संदेश देने के प्रयास में जुटा हुआ है.
अभिसूचना तंत्र में तैनात राजकुमार पंवार का मानना है कि नौकरी के दौरान कई तरह के तनाव निजी जिंदगी व पारिवारिक समस्या न बन जाए. इसके समाधान को लेकर उन्होंने अपने लिखने के शौक को एक विचार में परिवर्तित कर किताबों के जरिए समाज को एक संदेश देने की कोशिश जारी रखी हुई है. आज किताब लिखने की कला से प्रेरणा पाकर उन्होंने अपनी पुलिस की नौकरी के साथ ही पारिवारिक जिंदगी को भी सकारात्मक रूप में ढालने का प्रयास किया है, जो अभी तक काफी हद तक सफल रहा है.
ईटीवी भारत के गली टैलेंट कार्यक्रम की टीम ने राजकुमार पंवार के सरकारी कंडोली आवास पहुंचकर उनसे बात की. इस दौरान उन्होंने पुलिस नौकरी के दौरान हुए कई तरह के खट्टे-मीठे अनुभवों को किस तरह से समाज के सामने पेश किया जाए. इसके लिए अपने लिखने वाले शौक को एक किताब के रूप में समाज में संदेश देना ही बेहतर समझा.
इसी के चलते उन्होंने 5 साल पहले 'नमक एक दर्शन' नाम से पुस्तक लिखी जिसमें एक समाज से भटका व युवा कैसे आतंकवादी बन कर अपनी सजा भुगतने जेल में आता है. उसी जेल की कालकोठरी में एक आईपीएस पुलिस अधिकारी उसको समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए लंबी वार्ता कर एक सकारात्मक दुनिया से रूबरू कराता है. समाज से भटके हुए युवा आतंकवादी को कैसी नई दिशा दिखाकर इंसान और जिंदगी से प्यार करने की नसीहत मिले. इसी तरह का पूरी किताब 'नमक एक दर्शन' का सारांश है. राजकुमार ने अपनी इस किताब को कई आईपीएस अधिकारियों व नामचीन शख्सियतों को भेंट किया जिससे वह किताब के विचारों से प्रेरित होकर समाज में परिवर्तन लाने के लिए अग्रसर हो सकें.
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राजकुमार ने बताया कि समाज में किसी तरह का भी सकारात्मक बदलाव हो यही प्रयास उनकी द्वारा लिखी गई किताबों का है. 'नमक एक दर्शन' किताब की सफलता के बाद उन्होंने आज राजनीतिक हालातों का विश्लेषण करते हुए अपनी नई पुस्तक 'विकसित राजनीतिक चेतना' लिखी है. राजकुमार कुमार बताते हैं कि इस पुस्तक के जरिए उन्होंने समाज में यह संदेश देने की कोशिश की है कि किस तरह से दुनिया कहां से कहां तक बदल गई लेकिन आज भी राजनीतिक महत्वाकांक्षी लोग किस तरह से झूठे आश्वासन से वोट बैंक का खेल जारी रखे हुए हैं. ऐसे में जनता में इस तरह के राजनीतिक लोगों के प्रति चेतना और जागरुकता होना जरूरी है, ताकि बदलते समय के मुताबिक राजनीति भी सकारात्मक रूप में विकसित हो सके.