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अपनी लेखनी से युवाओं को राह दिखा रहा 'मित्र पुलिस' का ये जवान

उत्तराखंड पुलिस के जवान राजकुमार पंवार अभिसूचना तंत्र में तैनात हैं. राजकुमार को किताब लिखने का शौक है और वो इस प्रतिभा के जरिए नौकरी तो कर ही रहे हैं, साथ ही पारिवारिक जिंदगी को भी सकारात्मक रूप में ढालने का प्रयास भी कर रहे हैं.

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Published : Jan 12, 2020, 12:07 PM IST

Updated : Jan 12, 2020, 6:18 PM IST

deradun news
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देहरादून: देश के संविधान ने हर किसी को अपनी बात स्वतंत्रता पूर्वक रखने का अधिकार है. हालांकि, खाकी की वर्दी से जुड़कर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे पुलिसकर्मी कई बार चाहते हुए भी अपनी बात समाज के सामने खुलकर नहीं रख पाते, लेकिन सोशल मीडिया के दौर में देर सवेर वर्दीधारी भी अपने विचारों को रखते दिखाई देते हैं. उत्तराखंड पुलिस में एक पुलिसकर्मी ऐसा भी है जो समाज में सकारात्मक बदलाव को लेकर पिछले 5 सालों से अपने विचारों को किताबों में लिखकर संजो रहा है. साथ ही किताबों के जरिए समाज में संदेश देने के प्रयास में जुटा हुआ है.

अभिसूचना तंत्र में तैनात राजकुमार पंवार का मानना है कि नौकरी के दौरान कई तरह के तनाव निजी जिंदगी व पारिवारिक समस्या न बन जाए. इसके समाधान को लेकर उन्होंने अपने लिखने के शौक को एक विचार में परिवर्तित कर किताबों के जरिए समाज को एक संदेश देने की कोशिश जारी रखी हुई है. आज किताब लिखने की कला से प्रेरणा पाकर उन्होंने अपनी पुलिस की नौकरी के साथ ही पारिवारिक जिंदगी को भी सकारात्मक रूप में ढालने का प्रयास किया है, जो अभी तक काफी हद तक सफल रहा है.

समाज में सकारात्मक बदलाव का संदेश दे रहे हैं राजकुमार.

ईटीवी भारत के गली टैलेंट कार्यक्रम की टीम ने राजकुमार पंवार के सरकारी कंडोली आवास पहुंचकर उनसे बात की. इस दौरान उन्होंने पुलिस नौकरी के दौरान हुए कई तरह के खट्टे-मीठे अनुभवों को किस तरह से समाज के सामने पेश किया जाए. इसके लिए अपने लिखने वाले शौक को एक किताब के रूप में समाज में संदेश देना ही बेहतर समझा.

इसी के चलते उन्होंने 5 साल पहले 'नमक एक दर्शन' नाम से पुस्तक लिखी जिसमें एक समाज से भटका व युवा कैसे आतंकवादी बन कर अपनी सजा भुगतने जेल में आता है. उसी जेल की कालकोठरी में एक आईपीएस पुलिस अधिकारी उसको समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए लंबी वार्ता कर एक सकारात्मक दुनिया से रूबरू कराता है. समाज से भटके हुए युवा आतंकवादी को कैसी नई दिशा दिखाकर इंसान और जिंदगी से प्यार करने की नसीहत मिले. इसी तरह का पूरी किताब 'नमक एक दर्शन' का सारांश है. राजकुमार ने अपनी इस किताब को कई आईपीएस अधिकारियों व नामचीन शख्सियतों को भेंट किया जिससे वह किताब के विचारों से प्रेरित होकर समाज में परिवर्तन लाने के लिए अग्रसर हो सकें.

पढ़ें- पुलिस की नौकरी का तनाव ब्रश और रंगों से दूर करती हैं सुनीता, यूं तराशती हैं अपना टैलेंट

राजकुमार ने बताया कि समाज में किसी तरह का भी सकारात्मक बदलाव हो यही प्रयास उनकी द्वारा लिखी गई किताबों का है. 'नमक एक दर्शन' किताब की सफलता के बाद उन्होंने आज राजनीतिक हालातों का विश्लेषण करते हुए अपनी नई पुस्तक 'विकसित राजनीतिक चेतना' लिखी है. राजकुमार कुमार बताते हैं कि इस पुस्तक के जरिए उन्होंने समाज में यह संदेश देने की कोशिश की है कि किस तरह से दुनिया कहां से कहां तक बदल गई लेकिन आज भी राजनीतिक महत्वाकांक्षी लोग किस तरह से झूठे आश्वासन से वोट बैंक का खेल जारी रखे हुए हैं. ऐसे में जनता में इस तरह के राजनीतिक लोगों के प्रति चेतना और जागरुकता होना जरूरी है, ताकि बदलते समय के मुताबिक राजनीति भी सकारात्मक रूप में विकसित हो सके.

देहरादून: देश के संविधान ने हर किसी को अपनी बात स्वतंत्रता पूर्वक रखने का अधिकार है. हालांकि, खाकी की वर्दी से जुड़कर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे पुलिसकर्मी कई बार चाहते हुए भी अपनी बात समाज के सामने खुलकर नहीं रख पाते, लेकिन सोशल मीडिया के दौर में देर सवेर वर्दीधारी भी अपने विचारों को रखते दिखाई देते हैं. उत्तराखंड पुलिस में एक पुलिसकर्मी ऐसा भी है जो समाज में सकारात्मक बदलाव को लेकर पिछले 5 सालों से अपने विचारों को किताबों में लिखकर संजो रहा है. साथ ही किताबों के जरिए समाज में संदेश देने के प्रयास में जुटा हुआ है.

अभिसूचना तंत्र में तैनात राजकुमार पंवार का मानना है कि नौकरी के दौरान कई तरह के तनाव निजी जिंदगी व पारिवारिक समस्या न बन जाए. इसके समाधान को लेकर उन्होंने अपने लिखने के शौक को एक विचार में परिवर्तित कर किताबों के जरिए समाज को एक संदेश देने की कोशिश जारी रखी हुई है. आज किताब लिखने की कला से प्रेरणा पाकर उन्होंने अपनी पुलिस की नौकरी के साथ ही पारिवारिक जिंदगी को भी सकारात्मक रूप में ढालने का प्रयास किया है, जो अभी तक काफी हद तक सफल रहा है.

समाज में सकारात्मक बदलाव का संदेश दे रहे हैं राजकुमार.

ईटीवी भारत के गली टैलेंट कार्यक्रम की टीम ने राजकुमार पंवार के सरकारी कंडोली आवास पहुंचकर उनसे बात की. इस दौरान उन्होंने पुलिस नौकरी के दौरान हुए कई तरह के खट्टे-मीठे अनुभवों को किस तरह से समाज के सामने पेश किया जाए. इसके लिए अपने लिखने वाले शौक को एक किताब के रूप में समाज में संदेश देना ही बेहतर समझा.

इसी के चलते उन्होंने 5 साल पहले 'नमक एक दर्शन' नाम से पुस्तक लिखी जिसमें एक समाज से भटका व युवा कैसे आतंकवादी बन कर अपनी सजा भुगतने जेल में आता है. उसी जेल की कालकोठरी में एक आईपीएस पुलिस अधिकारी उसको समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए लंबी वार्ता कर एक सकारात्मक दुनिया से रूबरू कराता है. समाज से भटके हुए युवा आतंकवादी को कैसी नई दिशा दिखाकर इंसान और जिंदगी से प्यार करने की नसीहत मिले. इसी तरह का पूरी किताब 'नमक एक दर्शन' का सारांश है. राजकुमार ने अपनी इस किताब को कई आईपीएस अधिकारियों व नामचीन शख्सियतों को भेंट किया जिससे वह किताब के विचारों से प्रेरित होकर समाज में परिवर्तन लाने के लिए अग्रसर हो सकें.

पढ़ें- पुलिस की नौकरी का तनाव ब्रश और रंगों से दूर करती हैं सुनीता, यूं तराशती हैं अपना टैलेंट

राजकुमार ने बताया कि समाज में किसी तरह का भी सकारात्मक बदलाव हो यही प्रयास उनकी द्वारा लिखी गई किताबों का है. 'नमक एक दर्शन' किताब की सफलता के बाद उन्होंने आज राजनीतिक हालातों का विश्लेषण करते हुए अपनी नई पुस्तक 'विकसित राजनीतिक चेतना' लिखी है. राजकुमार कुमार बताते हैं कि इस पुस्तक के जरिए उन्होंने समाज में यह संदेश देने की कोशिश की है कि किस तरह से दुनिया कहां से कहां तक बदल गई लेकिन आज भी राजनीतिक महत्वाकांक्षी लोग किस तरह से झूठे आश्वासन से वोट बैंक का खेल जारी रखे हुए हैं. ऐसे में जनता में इस तरह के राजनीतिक लोगों के प्रति चेतना और जागरुकता होना जरूरी है, ताकि बदलते समय के मुताबिक राजनीति भी सकारात्मक रूप में विकसित हो सके.

Intro:pls नोट- डेस्क- महोदय इस गली टैलेंट स्पेशल स्टोरी के विजुअल्स बाइट्स वन टू वन लाइव U0 8 से भेजा गया है,फोल्डर- police book


किताबें लिख कर समाज को संदेश देने में जुटा हैं, ये उत्तराखंड पुलिस का जवान,भटके हुए युवाओं से लेकर देश की अविकसित राजनीति तक लेखनी के ज़रिए जनता से सवाल??



देश के संविधान मुताबिक समाज में हर किसी को अपनी बात स्वतंत्रता पूर्वक रखने का अधिकार लोकतंत्र में दिया गया है। हालांकि ख़ाकी की वर्दी से जुड़कर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे पुलिस कर्मी कई बार चाहते हुए भी अपनी बात समाज के सामने खुलकर नहीं रख सकते। लेकिन आज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के दौर में देर सवेर वर्दी से जुड़े लोग भी अपने विचारों को रख देते है। वहीं उत्तराखंड पुलिस विभाग में ऐसा जवान कार्यरत है जो समाज में सकारात्मक बदलाव को लेकर पिछले 5 सालों से अपने विचारों को अपनी लिखी किताबों के जरिए संदेश देने के प्रयास में जुटा हुआ है।



Body:अभिसूचना तंत्र में तैनात राजकुमार पंवार का मानना हैं कि पुलिस की नौकरी के दौरान कई तरह के तनाव निजी जिंदगी व पारिवारिक समस्या ना बन जाए इसके समाधान को लेकर उन्होंने अपने लिखने के शौक को एक विचार में परिवर्तित कर किताबों के जरिए समाज को एक संदेश देने की कोशिश जारी रखी हुई हैं। आज किताब लिखने की कला से प्रेरणा पाकर उन्होंने अपनी पुलिस की नौकरी के साथ ही पारिवारिक जिंदगी को भी सकारात्मक रूप में डालने का प्रयास किया हैं जो अभी तक काफी हद तक सफल रहा हैं।

ईटीवी भारत के गली टैलेंट कार्यक्रम के दौरान जब हम उत्तराखंड पुलिस में तैनात राजकुमार पवार के सरकारी कंडोली आवास पहुंचे तो उन्होंने बताया कि, उन्होंने अपने पुलिस नौकरी के दौरान हुए कई तरह के खट्टे -मीठे अनुभव को किस तरह से समाज के सामने पेश किया जाए इसके लिए अपने लिखने वाले शौक को एक किताब के रूप में समाज में संदेश देना ही बेहतर समझा।
इसी के चलते उन्होंने 5 साल पहले " नमक एक दर्शन" नाम से पुस्तक लिखी जिसमें एक समाज से भटका व युवा कैसे आतंकवादी बन कर अपनी सजा भुगतने जेल में आता है। उसी जेल की कालकोठरी में एक आईपीएस पुलिस अधिकारी उसको समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए लंबी वार्ता कर एक सकारात्मक दुनियां से रूबरू कराता है। समाज से भटके हुए युवा आतंकवादी को कैसी नई दिशा दिखाकर इंसान और जिंदगी से प्यार करने की नसीहत मिले इसी तरह का पूरी किताब "नमक एक दर्शन" का सारांश है। पुलिस जवान राजकुमार ने अपनी इस किताब को कई आईपीएस अधिकारियों व नामचीन शख्सियतों को भेंट किया ताकि वह किताब के विचारों से प्रेरित होकर समाज में परिवर्तन लाने के लिए अग्रसर हो सकें।






Conclusion:वही ईटीवी भारत को पुलिस जवान राजकुमार पंवार ने बताया कि समाज में किसी तरह का भी सकारात्मक बदलाव हो यही प्रयास उनकी द्वारा लिखी गई किताबों का है। नमक एक दर्शन किताब की सफलता के बाद उन्होंने आज राजनीतिक हालातों का विश्लेषण करते हुए अपनी नई पुस्तक "विकसित राजनीतिक चेतना" लिखी है। राजकुमार कुमार बताते हैं कि इस पुस्तक के जरिए उन्होंने समाज में यह संदेश देने की कोशिश की है कि किस तरह से दुनिया कहाँ से कहाँ तक बदल गई, लेकिन आज भी राजनीतिक महत्वाकांक्षी लोग किस तरह से झूठे आश्वासन प्रचार प्रसार कर वोट बैंक का खेल जारी रखे हुए हैं, ऐसे में जनता में इस तरह के राजनीतिक लोगों के प्रति चेतना और जागरूकता होना जरूरी है ताकि बदलते समय के मुताबिक राजनीति भी सकारात्मक रूप में विकसित हो सके।


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राजकुमार पवार, उत्तराखंड अभिसूचना तंत्र कार्यरत
Last Updated : Jan 12, 2020, 6:18 PM IST
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