देहरादून: उत्तराखंड में महिला अपराध और उत्पीड़न जैसी घटनाओं पर रोकथाम लगाने के लिए पुलिस मुख्यालय ने कमर कस ली है. शुक्रवार को पुलिस मुख्यालय की ओर से संबंधित आला अधिकारियों और प्रदेश भर के सभी जिला पुलिस प्रभारियों को महिला हेल्पलाइन डेस्क(112 ) व महिला सहायता(1090) सैल को बेहतर और तत्काल रिस्पांस करने की दिशा में सख्त दिशा निर्देश दिए गये. डीजी लॉ एंड ऑर्डर ने इस तरह के मामलों में कोई कोताही न बरतने के सख्त निर्देश भी अधिकारियों को दिये हैं. आदेशों की अवेलहना करने पर विभाग द्वारा सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी अधिकारियों को दी गई है.
महिला अपराध पर पुलिस की लापरवाही बर्दाश्त नहीं :पुलिस मुख्यालय
महिला अपराध पर अंकुश लगाने के साथ ही छेड़छाड़, दुष्कर्म ,घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न जैसे अन्य मामलों को लेकर भी सभी अधिकारियों को प्रभावी ढंग से धरातल पर कार्य करने के लिए कहा गया. डीजी लॉ एंड ऑर्डर ने कहा है कि महिला अपराधों के मामले में किसी भी तरह की कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. डीजी लॉ एंड ऑर्डर के मुताबिक, राज्य में महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध में तत्काल सुनवाई के बाद अग्रिम कार्रवाई और न्याय की दिशा में किसी तरह की देरी नहीं होनी चाहिए.
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घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न जैसे मामलों में पुलिस काउंसलिंग की सीमा तय
प्रदेशभर के थानों और चौकियों में दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा जैसे अन्य मामलों में शिकायत के आधार पर पुलिस हेल्पलाइन काउंसलिंग का समय दो माह किया गया.इसमें जल्द से जल्द काउंसलिंग कर मुकदमा दर्ज करते हुए न्याय दिलाने के प्रयास की बात कही गई. हालांकि, इससे पहले पुलिस हेल्पलाइन काउंसलिंग में लंबे समय तक दोनों पक्षों की काउंसलिंग प्रक्रिया चलती थी. जिसके चलते मामले के निस्तारण और न्याय में भी देरी होती थी. पुलिस महानिदेशक के मुताबिक, अब शिकायत का रिस्पांस टाइम सीमित कर दिया गया है ताकि समय से महिलाओं के प्रति अपराध के मामलों को न्याय मिल सके.
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इन बिंदुओं पर दिए गए पुलिस मुख्यालय के 10 सख्त दिशा निर्देश
- जनपदों में महिलाओं, बच्चों व वरिष्ठ नागरिकों की सहायता के लिए एक ही राजपत्रित नोडल अधिकारी को नियुक्त किए जाने के निर्देश दिए गए हैं.
- महिला सहायता से 90 को महिला सुरक्षा हेल्पलाइन का नाम दिया गया है.
- महिला सुरक्षा हेल्पलाइन 1090 की कॉल केवल महिला कर्मियों द्वारा ही रिसीव की जाएगी.
- सभी जनपद प्रभारियों द्वारा मासिक अपराध गोष्ठी में महिला हेल्पलाइन और महिला सुरक्षा हेल्पलाइन 1090 के कार्यों की समीक्षा जिले और पुलिस मुख्यालय स्तर पर प्रति माह की जाएगी.
- राज्य की प्रत्येक थाना-चौकी, पुलिस कार्यालयों में पोस्टर व पंपलेट के माध्यम से महिला सुरक्षा हेल्पलाइन 1090 और इमरजेंसी सेवा 112 का व्यापक प्रचार प्रसार किया जाएगा. साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से भी इसका प्रचार किया जाएगा.
- महिला व छात्राओं के प्रति हो रहे अपराधों के बारे में उन्हें जागरूक करने के लिए प्रदेश के सभी जनपद प्रभारियों द्वारा प्रत्येक माह स्कूल कॉलेजों में महिला सुरक्षा के संबंध में सेमिनार आयोजित किए जाएंगे.
- महिला हेल्पलाइन में काउंसलिंग प्रक्रिया को अनावश्यक रूप में न बढ़ाया जाए. किसी भी प्रकरण में अधिकतम 3 काउंसलिंग या दो माह तक काउंसलिंग कर निस्तारण किया जाए.
- महिला हेल्पलाइन से काउंसलिंग के पश्चात तत्काल मुकदमा दर्ज करने के लिए संबंधित थाने को रिपोर्ट भेजी जाएगी. साथ ही त्वरित शिकायत पर थाना मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई करेगा.
- वरिष्ठ नागरिकों की समस्या के निस्तारण व उन्हें हर संभव मदद पहुंचाने के लिए प्रदेश के सभी जनपद के अलग-अलग वरिष्ठ नागरिकों के लिए संगठित किया जाएगा. इमरजेंसी सेवा 112 और 1090 हेल्पलाइन को प्रभावी ढंग से सुचारू रूप से क्रियान्वयन करने पर जोर दिया जाएगा.
- पुलिस मुख्यालय स्तर पर महिला हेल्पलाइन, महिला सुरक्षा हेल्पलाइन 1090 और वरिष्ठ नागरिक सैल की मासिक समीक्षा रिपोर्ट ली जाएगी. साथ ही लापरवाही और कोताही बरतने वाले संबंधित पुलिस अधिकारी पर विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.
महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध पर अंकुश लगाने और शिकायतों के तुरंत निपटारे को लेकर जानकारी देते हुए महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि महिलाओं से संबंधित 1090 व 112 सैल के अलावा महिला पुलिस हेल्पलाइन और महिला सुरक्षा सैल जैसी व्यवस्थाओं में एकरूपता लाकर रिस्पांस टाइम बढ़ाने की जरूरत है. डीजी के अनुसार पुलिस मुख्यालय स्तर पर मॉनिटरिंग करने के साथ ही हर महीने समीक्षा बैठक में यह तय किया जाएगा कि प्रदेश भर में थाना-चौकी संबंधित सेल में कितनी महिला अपराध को लेकर शिकायतें आयी और उन पर किस तरह की कार्रवाई की गई.