देहरादून: लॉकडाउन के चलते उत्तराखंड सरकार को राजस्व में बड़ा नुकसान हुआ है. ऐसे में इस नुकसान से उबरने के लिए अब सरकार विभिन्न तरह के विकल्प तलाशने में जुटी हुई है. जिसमें खनन को राजस्व प्राप्ति के लिए एक बेहतर विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है. अपर मुख्य सचिव उत्तराखंड ओम प्रकाश के मुताबिक प्रदेश सरकार को इस बार खनन से काफी बेहतर राजस्व प्राप्त होने जा रहा है. खनन सत्र 2020-21 में 750 करोड़ के लक्ष्य को भी प्राप्त किया जाएगा.
इन सेक्टर्स से होगा फायदा
- भारत सरकार के आदेश के तहत राज्य सरकार निजी क्षेत्र के खनन पट्टों को बढ़ावा दे रही है. इसी के तहत अब तक निजी क्षेत्र से 281 प्रार्थना पत्र हासिल भी हो चुके हैं.
- प्रदेश सरकार को रिवर ट्रेनिंग से बेहतर राजस्व प्राप्त करने की उम्मीद है.
- प्रदेश सरकार ने खनन के मानकों में बदलाव किया है. अब प्रदेश में 1.5 मीटर के बजाय 3 मीटर तक खनन पर कोई रोक नहीं है.
- प्रदेश में चल रहे चारधाम महामार्ग योजना और कर्णप्रयाग रेल लाइन के कार्य से भी सरकार को खनन के माध्यम से बेहतर राजस्व प्राप्त करने की उम्मीद है.
- प्रदेश की खनन सामग्री (आरपीएम) को बाहरी राज्यों में बेचे जाने पर प्रतिबंध है. साथ ही बाहरी राज्यों से भी खनन सामग्री प्रदेश में प्रवेश नहीं कर पाएंगे.
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कोरोना संकट के बीच सरकार खनन को राजस्व प्राप्ति का एक बेहतर विकल्प मान कर चल रही है. दूसरी तरफ पर्यावरणविद् डॉ अनिल जोशी के मुताबिक राजस्व के विकल्प के तौर पर खनन को बढ़ावा देकर सरकार न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है. बल्कि, सरकार इससे प्रदेश में आपराधिक गतिविधियों को भी बढ़ावा दे रही है. ऐसे में सरकार को खनन के मानकों में उचित बदलाव करने की जरूरत है. अगर समय रहते यह बदलाव नहीं किए गए तो आने वाले समय में परिणाम बेहद ही घातक होंगे.