ETV Bharat / city

मतदान के दिन चंपावत से गायब रहे कांग्रेस लीडर, ऐसे तो सत्ता का रास्ता भूल जाएगी पार्टी !

मंगलवार को चंपावत विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के लिए वोट डाले गए. एक तरफ जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत बीजेपी के वरिष्ठ नेता मतदान के दिन वहां थे, दूसरी तरफ कांग्रेस के बड़े नेता सीन से गायब थे. हालत ये थी कि 151 बूथ में से 103 जगह पर कांग्रेस के बस्ते ही नहीं लगे थे. ऐसे में राजनीति के जानकार कह रहे हैं कि कहीं कांग्रेस सत्ता का रास्ता ही न भूल जाए.

Champawat by election
चंपावत उपचुनाव
author img

By

Published : Jun 1, 2022, 2:12 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के चंपावत में मंगलवार को हुए उपचुनाव के मतदान में कांग्रेस हथियार डालते हुए दिखाई दी. सुबह से शाम तक ना तो चंपावत और ना ही आसपास के इलाके में कांग्रेस में उत्साह दिखा. ना ही उत्साह बढ़ाने के लिए कोई नेता वहां पर मौजूद था. अकेली निर्मल गहतोड़ी ही कुछ एक बूथ पर घूमती दिखाई दीं. जिसके बाद सवाल खड़े हो गए कि क्या निर्मला गहतोड़ी को भंवर में फंसा कर कांग्रेस के सारे नेता देहरादून लौट गए.

कांग्रेस का चुनाव मैनेजमेंट गायब: किसी भी नेता का प्रत्याशी बनना आसान हो सकता है. किसी भी नेता का चुनाव लड़ना आसान हो सकता है. लेकिन चुनावी मैनेजमेंट जो बेहतर तरीके से कर ले, उसे ही राजनीति में माहिर नेता कहते हैं. लेकिन उत्तराखंड के चंपावत में हुए उपचुनावों में ना तो प्रचार में कांग्रेस कहीं दिखाई दी और ना ही मतदान वाले दिन कांग्रेस की तरफ से ऐसा लगा कि वह चुनाव लड़ रही है.

103 जगह कांग्रेस के बस्ते ही नहीं थे: हैरानी की बात यह है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जगह-जगह पर लोगों के साथ दिखाई दे रहे थे. बूथों पर खड़े लोगों से बात कर रहे थे. लेकिन कांग्रेसी कहीं दिखाई नहीं दे रहे थे. इस बात का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि 151 बूथ में से 103 जगह पर कांग्रेस के बस्ते ही नहीं लगे थे. यानी वह बस्ते जो वोटरों को उनके नाम की पर्ची निकाल कर देते हैं. आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि कांग्रेस ने किस तरह से चंपावत चुनाव में शुरुआती दिन से हथियार डाल दिए थे.

मतदाताओं को ढूंढे नहीं मिले कांग्रेस के नेता: चंपावत की तस्वीर मंगलवार को मतदान के दिन ऐसी थी कि कांग्रेस के खुद के वोटर मतदान स्थल के बाहर उन लोगों को ढूंढ रहे थे जो कांग्रेस का डंडा हमेशा से उठाए रहते थे. स्थानीय लोग इस बात को देखकर हैरान थे कि आखिरकार कांग्रेस ने क्यों गंभीरता से चुनाव नहीं लड़ा. क्यों कांग्रेस के तमाम नेता अंतिम समय पर निर्मला को छोड़ कर के अन्य जगहों पर लौट गए. जबकि मुख्यमंत्री और उनका परिवार सहित बीजेपी के कई बड़े नेता आज पूरा दिन चंपावत के अलग-अलग जगहों पर तैनात रहे. सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या जानबूझकर कांग्रेस ने इस चुनाव को हल्के में लिया या फिर कांग्रेस के नेता ही एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ रहे हैं.

ये भी पढ़ें: चंपावत उपचुनाव के लिए वोटिंग संपन्न, 64 फीसदी हुआ मतदान

चुनाव की तरह नहीं लड़ती कांग्रेस: वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा कहते हैं कि कांग्रेस इसीलिए कमजोर होती जा रही है, क्योंकि छोटा हो या बड़ा वह चुनाव अब चुनाव की तरह नहीं लड़ती. नेता अब एकजुट होकर काम नहीं करते. यह एक मजबूत विपक्ष के लिए खतरे की घंटी है. आज धीरे-धीरे जैसे कांग्रेस का ग्राफ नीचे जा रहा है, उसका यही कारण है. चंपावत चुनाव में उन्हें पता था कि मुख्यमंत्री सामने हैं तो अपनी मौजूदगी कांग्रेस को अच्छी तरह से दर्ज करानी चाहिए थी. नहीं तो आने वाले समय में चुनावों में यह तस्वीरें आम हो जाएंगी. वोटिंग और मतगणना से पहले ही आम इंसान भी यह पता लगा लेगा यहां माहौल किसके पक्ष में है.

भागीरथ शर्मा कहते हैं कि इसलिए कांग्रेस को चाहिए कि वो भारतीय जनता पार्टी से कुछ सीखे. उनकी तरह धरातल पर उतर कर जनता से सीधे जुड़े. तभी कुछ हो सकता है. बात अगर चंपावत की करें तो इसमें कोई दो राय नहीं है कि शुरुआती दिनों से ही कांग्रेस ने चंपावत चुनाव में कोई भी इंटरेस्ट नहीं लिया और इसे ज्यादा कड़े शब्दों में कहें तो सरेंडर कर दिया.
ये भी पढ़ें: चंपावत उपचुनाव को लेकर मतदान संपन्न, निर्मला गहतोड़ी ने लगाया गंभीर आरोप

चंपावत में मंगलवार को संपन्न हुआ मतदान: चंपावत उपचुनाव का मतदान मंगलवार को संपन्न हुआ. उपचुनाव में 64 प्रतिशत वोटिंग हुई है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चंपावत से बीजेपी के उम्मीदवार हैं. निर्मला गहतोड़ी कांग्रेस की प्रत्याशी हैं. वैसे चंपावत में कुल चार प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. बीजेपी से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, कांग्रेस से निर्मला गहतोड़ी, समाजवादी पार्टी से मनोज कुमार भट्ट और निर्दलीय हिमांशु गड़कोटी चुनाव लड़ रहे हैं. चंपावत विधानसभा सीट पर 96,213 मतदाता हैं. इनमें 50,171 पुरुष और 46,042 महिला मतदाता हैं. मतदान सिर्फ 64 फीसदी मतदाताओं ने ही किया है. इस चुनाव का परिणाम 3 जून को आएगा.

देहरादून: उत्तराखंड के चंपावत में मंगलवार को हुए उपचुनाव के मतदान में कांग्रेस हथियार डालते हुए दिखाई दी. सुबह से शाम तक ना तो चंपावत और ना ही आसपास के इलाके में कांग्रेस में उत्साह दिखा. ना ही उत्साह बढ़ाने के लिए कोई नेता वहां पर मौजूद था. अकेली निर्मल गहतोड़ी ही कुछ एक बूथ पर घूमती दिखाई दीं. जिसके बाद सवाल खड़े हो गए कि क्या निर्मला गहतोड़ी को भंवर में फंसा कर कांग्रेस के सारे नेता देहरादून लौट गए.

कांग्रेस का चुनाव मैनेजमेंट गायब: किसी भी नेता का प्रत्याशी बनना आसान हो सकता है. किसी भी नेता का चुनाव लड़ना आसान हो सकता है. लेकिन चुनावी मैनेजमेंट जो बेहतर तरीके से कर ले, उसे ही राजनीति में माहिर नेता कहते हैं. लेकिन उत्तराखंड के चंपावत में हुए उपचुनावों में ना तो प्रचार में कांग्रेस कहीं दिखाई दी और ना ही मतदान वाले दिन कांग्रेस की तरफ से ऐसा लगा कि वह चुनाव लड़ रही है.

103 जगह कांग्रेस के बस्ते ही नहीं थे: हैरानी की बात यह है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जगह-जगह पर लोगों के साथ दिखाई दे रहे थे. बूथों पर खड़े लोगों से बात कर रहे थे. लेकिन कांग्रेसी कहीं दिखाई नहीं दे रहे थे. इस बात का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि 151 बूथ में से 103 जगह पर कांग्रेस के बस्ते ही नहीं लगे थे. यानी वह बस्ते जो वोटरों को उनके नाम की पर्ची निकाल कर देते हैं. आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि कांग्रेस ने किस तरह से चंपावत चुनाव में शुरुआती दिन से हथियार डाल दिए थे.

मतदाताओं को ढूंढे नहीं मिले कांग्रेस के नेता: चंपावत की तस्वीर मंगलवार को मतदान के दिन ऐसी थी कि कांग्रेस के खुद के वोटर मतदान स्थल के बाहर उन लोगों को ढूंढ रहे थे जो कांग्रेस का डंडा हमेशा से उठाए रहते थे. स्थानीय लोग इस बात को देखकर हैरान थे कि आखिरकार कांग्रेस ने क्यों गंभीरता से चुनाव नहीं लड़ा. क्यों कांग्रेस के तमाम नेता अंतिम समय पर निर्मला को छोड़ कर के अन्य जगहों पर लौट गए. जबकि मुख्यमंत्री और उनका परिवार सहित बीजेपी के कई बड़े नेता आज पूरा दिन चंपावत के अलग-अलग जगहों पर तैनात रहे. सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या जानबूझकर कांग्रेस ने इस चुनाव को हल्के में लिया या फिर कांग्रेस के नेता ही एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ रहे हैं.

ये भी पढ़ें: चंपावत उपचुनाव के लिए वोटिंग संपन्न, 64 फीसदी हुआ मतदान

चुनाव की तरह नहीं लड़ती कांग्रेस: वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा कहते हैं कि कांग्रेस इसीलिए कमजोर होती जा रही है, क्योंकि छोटा हो या बड़ा वह चुनाव अब चुनाव की तरह नहीं लड़ती. नेता अब एकजुट होकर काम नहीं करते. यह एक मजबूत विपक्ष के लिए खतरे की घंटी है. आज धीरे-धीरे जैसे कांग्रेस का ग्राफ नीचे जा रहा है, उसका यही कारण है. चंपावत चुनाव में उन्हें पता था कि मुख्यमंत्री सामने हैं तो अपनी मौजूदगी कांग्रेस को अच्छी तरह से दर्ज करानी चाहिए थी. नहीं तो आने वाले समय में चुनावों में यह तस्वीरें आम हो जाएंगी. वोटिंग और मतगणना से पहले ही आम इंसान भी यह पता लगा लेगा यहां माहौल किसके पक्ष में है.

भागीरथ शर्मा कहते हैं कि इसलिए कांग्रेस को चाहिए कि वो भारतीय जनता पार्टी से कुछ सीखे. उनकी तरह धरातल पर उतर कर जनता से सीधे जुड़े. तभी कुछ हो सकता है. बात अगर चंपावत की करें तो इसमें कोई दो राय नहीं है कि शुरुआती दिनों से ही कांग्रेस ने चंपावत चुनाव में कोई भी इंटरेस्ट नहीं लिया और इसे ज्यादा कड़े शब्दों में कहें तो सरेंडर कर दिया.
ये भी पढ़ें: चंपावत उपचुनाव को लेकर मतदान संपन्न, निर्मला गहतोड़ी ने लगाया गंभीर आरोप

चंपावत में मंगलवार को संपन्न हुआ मतदान: चंपावत उपचुनाव का मतदान मंगलवार को संपन्न हुआ. उपचुनाव में 64 प्रतिशत वोटिंग हुई है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चंपावत से बीजेपी के उम्मीदवार हैं. निर्मला गहतोड़ी कांग्रेस की प्रत्याशी हैं. वैसे चंपावत में कुल चार प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. बीजेपी से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, कांग्रेस से निर्मला गहतोड़ी, समाजवादी पार्टी से मनोज कुमार भट्ट और निर्दलीय हिमांशु गड़कोटी चुनाव लड़ रहे हैं. चंपावत विधानसभा सीट पर 96,213 मतदाता हैं. इनमें 50,171 पुरुष और 46,042 महिला मतदाता हैं. मतदान सिर्फ 64 फीसदी मतदाताओं ने ही किया है. इस चुनाव का परिणाम 3 जून को आएगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.