देहरादून: विधानसभा चुनाव 2022 के लिए राजनीतिक दलों का जनता के द्वार जाने का सिलसिला शुरू हो चुका है. इस दौरान सत्ताधारी भाजपा को पिछले 5 सालों का हिसाब भी देना होगा. जनता से किए वादों का लेखा-जोखा भी जनता के सामने रखना होगा. ऐसे में सवाल यह उठता है कि भारतीय जनता पार्टी सत्ता में रहते हुए जिन मुद्दों को घोषणा पत्र में रखने के बावजूद पूरा नहीं कर पाई, उसका जवाब कैसे देगी. बहरहाल इसका जवाब तो भाजपा ही बेहतर तरीके से दे सकती है लेकिन इससे पहले भाजपा के दृष्टि पत्र की घोषणाओं का आकलन करना बेहद जरूरी है.
राजनीतिक दल चुनाव से पहले जितनी मेहनत और शिद्दत के साथ घोषणा पत्र तैयार करते हैं, उतनी ही गंभीरता से यदि सत्ता में आने के बाद इन घोषणाओं को पूरा करने की कोशिश करें तो सत्ताधारी दलों को ना तो जनता के सामने जवाब देने में कोई परेशानी होगी और ना ही जनता को अपना नेता चुनने में. लेकिन अक्सर पार्टियों के दृष्टि पत्र या घोषणा पत्र जनता को सपने दिखाने तक ही सीमित रह जाते हैं. राज्य में विधानसभा चुनाव 2017 के दौरान भी भाजपा ने घोषणा पत्र को दृष्टि पत्र का नाम दिया था. इसकी एक बुकलेट निकालकर जनता से इन घोषणाओं को पूरा करने का वादा भी कर दिया.
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खास बात यह थी कि भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता में आने से पहले घोषणा पत्र को विभागों और अलग-अलग सेक्टर में बांटा था. ताकि हर वर्ग को फोकस भी किया जा सके और वोटों के रूप में इसका फायदा भी लिया सके. सबसे पहले समझिए भारतीय जनता पार्टी के उस मेनिफेस्टो को, जिसे 5 साल पहले सत्ता में आने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने बनाया था.
बीजेपी का विजन डाक्यूमेंट 2017
स्वस्थ हो हर घर परिवार, पर्यटन और तीर्थाटन 12 मास, बुनियादी विकास मजबूत आधार, युवा पकड़ेंगे रफ्तार, सशक्त नारी समान अधिकार, सबका साथ सबका विकास, विकसित उद्योग सुगम व्यापार और भ्रष्टाचार मुक्त शासन स्वच्छ प्रशासन जैसे महत्वपूर्ण संकल्प जैसे लुभावन नारे दिए गए थे.
बीजेपी के मेनिफेस्टो में ये था खास
भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता में आने के लिए जो वादे किए और नारे दिए वो सभी वाकई जनता को आकर्षित करने वाले थे. लेकिन पिछले करीब 5 सालों में इन वायदों को कितना पूरा किया गया, इसका बिंदुवार श्वेत पत्र भाजपा अब तक नहीं दे पाई है. कांग्रेस का मानना है कि भाजपा ने जो वादे अपने दृष्टि पत्र में किए थे, उनमें 80% बिंदुओं पर काम नहीं किया है. यही नहीं कांग्रेस के नेता तो मेनिफेस्टो पर भाजपा को चेतावनी देते हुए सीधी बहस करने तक को भी आमंत्रित कर रहे हैं. भाजपा के घोषणा पत्र में कई बिंदु स्पष्ट नहीं थे. यानी योजनाओं का जिक्र करने के बजाय इन बिंदुओं में लोगों का विकास करेंगे या योजनाओं को बेहतर करेंगे जैसी बातें लिखी गई थीं. इनमें स्पष्ट योजना या विकास के खाके को नहीं रखा गया था. लेकिन जिन बिंदुओं का स्पष्ट तौर पर विवरण दिया गया उनमें कई क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी काम नहीं कर पाई. मुख्य तौर पर कौनसी रही ये योजनाएं, विभागवार या दिए गए वर्ग के अनुसार जानिए.दृष्टि पत्र में ये था खास वादे जो हैं अधूरे भारतीय जनता पार्टी के दृष्टि पत्र को व्यापक बनाया गया था. इस व्यापकता में ज्यादा से ज्यादा फायदे और घोषणाओं को शामिल भी किया गया था. हालांकि चुनाव परिणाम आने के बाद जनता की इन वायदों को पूरा होने की उम्मीदें भी बढ़ गई थी. ऐसा इसलिए क्योंकि प्रदेश में पहली बार किसी सरकार ने इस हद तक प्रचंड बहुमत पाया था. ऊपर से केंद्र में भी भाजपा की सरकार होने का फायदा उत्तराखंड सरकार के लिए था.
वादे जो पूरे हुए: हालांकि सरकार ने दृष्टि पत्र के कई वादे पूरे भी किए हैं. इनमें गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करना, जैविक खेती जड़ी-बूटी और फूलों की खेती के लिए क्लस्टर बनाकर विशेष सुविधाएं देना शामिल है. इसके साथ ही राज्य में ई-टेंडर प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए उठाये गये कदम भी उल्लेखनीय हैं. सरकार ने सचल चिकित्सा वाहन दल में वाहनों की संख्या बढ़ाई है. अटल आयुष्मान योजना में सभी लोगों को बीमा से कवर किया गया है. चिकित्सकों की कमी को पूरा करने के लिए भर्ती की गई है. होमस्टे योजना के लिए सरकार ने प्रयास किया है.
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बड़ी बात यह है कि उत्तराखंड में अधिकतर कार्यों को तो केंद्र पोषित योजना से ही पूरा किया. इस लिहाज से उत्तराखंड सरकार के काम प्रदेश में काफी सीमित और कमजोर दिखाई पड़ते हैं. हालांकि भारतीय जनता पार्टी के नेता इन मामलों पर अपना अलग तर्क देते हैं और सभी घोषणाओं के जल्द पूरा होने की उम्मीद जताते हैं. यह सब जानते हुए भी कि अब चुनाव के लिए महज 3 महीने का वक्त रह गया है और सरकार के पास अब ज्यादा समय नहीं है.